Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आपके किचन से सीधा शरीर में पहुंच रहा है माइक्रोप्लास्टिक, बचने के लिए आज ही अपनाएं ये नेचुरल ऑप्शन

    Updated: Tue, 08 Jul 2025 12:26 PM (IST)

    आजकल हमें नेचुरल या ऑर्गेनिक शब्द काफी सुनने को मिलते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है हमने कुछ ऐसी चीजों को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लिया है जो नेचुरल नहीं हैं और रोजाना नुकसान पहुंचा रही हैं जैसे माइक्रोप्लास्टिक। हमारे घर में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक के ऐसे ही स्रोतों को पहचानकर हमें नेचुरल या ऑर्गेनिक की तरफ जाने की जरूरत है।

    Hero Image
    अपने किचन को ऐसे बनाएं इकोफ्रेंडली (Picture Credit- Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। जैसा कि नाम से ही पता चलता है, माइक्रोप्लास्टिक की श्रेणी में 5 मिलीमीटर से भी कम साइज के प्लास्टिक आते हैं। प्लास्टिक का यह रूप न चाहते हुए भी किसी न किसी तरह हमारे शरीर में प्रवेश कर रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हम जो खाते हैं, पीते हैं और जिस हवा में सांस ले रहे हैं, हर तरफ हमारा सामना माइक्रोप्लास्टिक से हो रहा है। हमारा किचन माइक्रोप्लास्टिक का सबसे बड़ा स्रोत है। ऐसे में हम कैसे प्लास्टिक के उस सोर्स को हटाकर नेचुरल चीजों का ऑप्शन चुन सकते हैं, आइए जानते हैं।

    यह भी पढ़ें- पहली बार अंटार्कटिक की ताजी बर्फ में मिला माइक्रोप्लास्टिक, विज्ञानियों ने जताई बर्फ के पिघलने की रफ्तार बढ़ने की आशंका

    माइक्रोप्लास्टिक का सेहत पर ये पड़ता है असर

    न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपी एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि हार्ट डिजीज वाले लोगों को माइक्रोप्लास्टिक की वजह से हार्ट अटैक या स्ट्रोक होने का खतरा दोगुना रहता है। इसके साथ ही माइक्रोप्लास्टिक की वजह से ये परेशानियां हो सकती हैं:-

    • गट बायोम में परेशानी
    • स्पर्म क्वालिटी और टेस्टोस्टेरॉन का कम होना
    • लर्निंग और मेमोरी से जुड़ी परेशानियां

    ऐसे करें रिप्लेस माइक्रोप्लास्टिक को

    माइक्रोप्लास्टिक से होने वाले नुकसानों को कम करने के लिए आप उसके नेचुरल विकल्पों को चुन सकते हैं:

    • प्लास्टिक टेकआउट कंटेनर से बंद करें खाना: रिसर्च बताती है कि हर पांच से दस टेकआउट फूड ऑर्डर से आप जो खाते हैं, उससे 145 से 5000 माइक्रोप्लास्टिक के कण आपके शरीर में चले जाते हैं। इसलिए सीधे ऐसे कंटेरनर से खाने की बजाय घर के बाउल या प्लेट में डालकर खाना खाएं।
    • बर्तनों की नेचुरल सफाई: बर्तन साफ करने के लिए इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक स्पॉन्ज की जगह प्लांट बेस्ड स्पॉन्ज का इस्तेमाल करें। ये प्लास्टिक फ्री और बायोडिग्रेडेबल होते हैं।
    • मेलामाइन नहीं ग्लास के मिक्सिंग बाउल: हाल ही में आई एक स्टडी बताती है कि मेलामाइन के घिसने या खराब होने से फॉर्मेल्डिहाइड रिलीज होता है। इस कम्पाउंड को कैंसरकारी माना गया है। ऐसे में ग्लास से बने मिक्सिंग बाउल का इस्तेमाल करना ज्यादा हेल्दी है।
    • प्लास्टिक की जगह ग्लास या स्टेनलेस स्टील: यदि आप फ्रिजर में चीजें स्टोर करने के लिए भी प्लास्टिक कंटेनर का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो उससे भी माइक्रोप्लास्टिक रिलीज होती है। ऐसे में फूड स्टोर करने के लिए भी ग्लास या फिर स्टेनलेस स्टील कंटेनर का इस्तेमाल करें।
    • सिर्फ सब्जियां काटें, प्लास्टिक नहीं: यदि आप प्लास्टिक के चॉपिंग बोर्ड पर सब्जियां काटते हैं, तो रोजना थोड़ा-थोड़ा प्लास्टिक आपके अंदर जा रहा होता है। ऐसे में वुडन कटिंग बोर्ड सबसे अच्छा ऑप्शन है।

    यह भी पढ़ें- क्या होते हैं माइक्रोप्लास्टिक और कैसे यह पहुंचाता है हमारी स्किन को नुकसान?