Effects of Microplastics: क्या होते हैं माइक्रोप्लास्टिक और कैसे यह पहुंचाता है हमारी स्किन को नुकसान?
Effects of Microplastics मेकअप प्रोडक्ट्स में कई तरह के खतरनाक केमिकल्स होते हैं जिनमें से एक है माइक्रोप्लास्टिक्स जो कैंसर थायरॉइड समेत कई गंभीर बीमारियों की कारण बन सकते हैं। तो आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Effects of Microplastics: चेहरे को खूबसूरत बनाने वाले मेकअप प्रोडक्ट्स को रात में सोने से पहले रिमूव करने को क्यों जरूरी बताया गया है, क्या आपने कभी इस पर गौर किया है? अगर नहीं, तो आपको बता दें कि इन मेकअप प्रोडक्ट्स में कई तरह के खतरनाक केमिकल्स होते हैं। जो कैंसर, थायरॉइड समेत कई गंभीर बीमारियों की कारण बन सकते हैं। ब्यूटी प्रोडक्ट में लेड, मरकरी, निकेल, कोबाल्ट, क्रोमियम जैसे कई और भी दूसरे जहरीले तत्व होते हैं। जिसे त्वचा पर जलन होती है और चेहरे पर दाग-धब्बे भी पड़ जाते हैं। इन खतरनाक केमिकल्स में से एक है माइक्रोप्लास्टिक्स। 10 में से 9 ब्यूटी प्रोडक्ट्स में माइक्रोप्लास्टिक्स शामिल होते हैं, जिनका इस्तेमाल अक्सर बाइंडिंग एजेंट्स के रूप में किया जाता है। जिन मेकअप प्रोडक्ट्स में ये शामिल होता है उन्हें इस्तेमाल करना असुरक्षित होता है।
माइक्रोप्लास्टिक्स क्या हैं?
'माइक्रोप्लास्टिक्स' सिंथेटिक पॉलिमर से बने छोटे ठोस कण होते हैं। पर्सनल केयर और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में इसका इस्तेमाल उनका गाढ़ापन या चिपचिपापन बढ़ाने के लिए किया जाता है। प्लास्टिक सूप फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, माइक्रोप्लास्टिक्स 87% प्रोडक्ट्स में पाया जाता है। यह पाया गया कि 10 में से 9 पर्सनल केयर और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में माइक्रो बीड्स या माइक्रोप्लास्टिक्स होते हैं।
लगभग हर ब्यूटी प्रोडक्ट्स में शामिल होते हैं माइक्रोप्लास्टिक्स
इन माइक्रोप्लास्टिक को विभिन्न प्रकार के लीव-ऑन और रिंस-ऑफ फॉर्मूलेशन में डाला जाता है, जैसे- डियोड्रेंट, शैंपू, कंडीशनर, शॉवर जैल, लिपस्टिक, बालों का रंग, शेविंग क्रीम, सनस्क्रीन, एंटी-रिंकल क्रीम, मॉइस्चराइजर, हेयर स्प्रे, फेशियल मास्क, बेबी केयर प्रोडक्ट्स, आई शैडो, मस्कारा। मतलब आपके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले लगभग हर पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स में ये शामिल होता है। पर्सनल केयर और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में माइक्रोप्लास्टिक कण 1% से लेकर 90% तक, अलग-अलग प्रतिशत में मौजूद होते हैं!
मेकअप के लिए जिस फाउंडेशन क्रीम का इस्तेमाल किया जाता है, उसमें सिलिकॉन, माइक्रोप्लास्टिक, ग्लूटेन और आर्टिफिशियल फ्रेग्नेंस मौजूद होते हैं। ये कुछ घंटों के लिए तो स्किन को चिकना और दाग-धब्बे रहित रखते हैं, लेकिन बाद में स्किन के इनर लेयर को नुकसान पहुंचा कर दाग-धब्बे बना देते हैं।
माइक्रोप्लास्टिक स्किन के लिए किस तरह से हैं नुकसानदायक?
जब आप ऐसे प्रोडक्ट्स लगाते हैं जिनमें माइक्रोप्लास्टिक शामिल होता है, तो ये आपकी त्वचा पर एक परत बना देता है, और आपकी त्वचा के छिद्रों को बंद कर देता है, जिससे आपके रोमछिद्र सांस नहीं ले पाते या आपके द्वारा लगाए गए प्रोडक्ट्स के न्यूट्रिएंट्स को एब्जॉर्ब नहीं कर पाते हैं। जिससे स्किन से जुड़ी समस्याएं आपको परेशान कर सकती हैं।
ला पिंक ने भारत के सौंदर्य एवं स्किनकेयर उद्योग में क्रांति करते हुए देश में पहली बार माइक्रोप्लास्टिक से 100% मुक्त आधुनिक फार्मूलेशंस पेश किए हैं। ला पिंक के इन महत्वपूर्ण प्रोडक्ट्स को फ्रांस के विशेषज्ञों ने फ्रांस, यूएसए तथा स्विटज़रलैण्ड से आयात की गईं अनूठी और प्राकृतिक सामग्रियों से महीनों के शोध एवं विकास के बाद बनाया है। ला पिंक अपनी प्रोडक्ट श्रृंखला में माइक्रोप्लास्टिक से 100% मुक्त फार्मूलेशंस बनाने के लिए पौधों से प्राप्त होने वाले बाइंडिंग एजेंट्स का इस्तेमाल कर त्वचा के लिए सुरक्षित सौंदर्य की पेशकश करने पर केन्द्रित है।
भारत के विशाल और तेजी से बढ़ रहे सौंदर्य उद्योग का और भी विस्तार करने की सोच रहे ला पिंक के अनूठे प्रोडक्ट्स में एक कमाल की सामग्री, सफेद हल्दी है। यह एक शक्तिशाली सामग्री है, जो अपने जलनरोधी और रोगाणुरोधी गुणों के लिए जाना जाता है। सफेद हल्दी हाइपरपिगमेंटेशन को कम करने के लिए सक्रियता से काम करती है। यह नेचुरल एक्सफोलिएंट और मॉइश्चराइजर भी है। यह आपकी त्वचा को चमकदार और गोरा बनाने में भी मदद करती है और आपको चमकदार एवं जवां त्वचा देती है।
ला पिंक के संस्थापक नितिन जैन ने कहा, “ऐसे वक्त में, जब लगभग पूरी दुनिया सल्फेट और पैराबेन से रहित प्रोडक्ट चाहती है, लेकिन मइक्रोप्लास्टिक के बारे में कोई बात ही नहीं करता। यह अच्छा है कि उपभोक्ता अपने द्वारा इस्तेमाल होने वाले ब्राण्ड्स, सामग्रियों और ब्राण्ड की नीतियों पर ज्यादा जागरूक और शिक्षित हैं, लेकिन हमें त्वचा की देखभाल के प्रोडक्ट्स में माइक्रोप्लास्टिक्स की मौजूदगी पर ज्यादा रोशनी डालने की जरूरत है। ला पिंक में हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं कि हमारा हर प्रोडक्ट माइक्रोप्लास्टिक्स से 100% मुक्त हो, पैराबेन/सल्फेट/एसएलएस से मुक्त हो, वीगन हो, त्वचा रोग विज्ञान के अनुसार परखा गया हो, क्रूरता से मुक्त हो और एफडीए से अनुमोदित हो। हमारा उद्देश्य उपभोक्ताओं को ज्यादा से ज्यादा लाभ पहुंचाने के साथ त्वचा की देखभाल के लिए यथासंभव सर्वश्रेष्ठ तरीके से उचित दाम वाले समाधान प्रदान करना है। हम महीनों तक हुए शोध और नवाचार के बाद बाजार में कदम रखते हुए उत्साहित हैं और हमें विश्वास है कि हमारे प्रोडक्ट उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय होंगे।”
ला पिंक के लक्षित ग्राहक 18 से 35 साल तक की उम्र के लोग हैं और इसकी श्रृंखला में अभी त्वचा की देखभाल के 17 प्रोडक्ट हैं और यह ब्राण्ड आने वाले महीनों में हेयर और पर्सनल केयर में और भी प्रोडक्ट लॉन्च करेगा। इस ब्राण्ड के प्रोडक्ट इसकी ऑफिशियल वेबसाइट, अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर ऑनलाइन और मध्यप्रदेश, पंजाब तथा हरियाणा में रिटेल स्टोर्स पर उपलब्ध हैं। ब्राण्ड जल्दी ही दूसरे सभी मार्केटप्लेसेस और भौगोलिक क्षेत्रों में भी लॉन्च होगा।
कैसे बचें इस खतरनाक केमिकल से?
- मेकअप प्रोडक्ट्स का कम से कम इस्तेमाल करें।
- रात को सोने से पहले मेकअप रिमूव करना बिल्कुल भी न भूलें।
- ऐसे प्रोडक्ट्स यूज करें जो माइक्रोप्लास्टिक्स और दूसरे हानिकारक केमिकल्स से फ्री हों।
Pic credit- freepik
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