Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मेडिटेशन के दौरान 'रोना' अगर आप भी समझते हैं नेगेटिव, तो एक्सपर्ट की बात जानकर बदल जाएगी सोच

    क्या आपने कभी ध्यान (Meditation) करते समय लोगों को रोते हुए देखा है? या खुद अनुभव किया है कि कभी-कभी शांत बैठते ही आंखें क्यों नम हो जाती हैं? दरअसल इसके पीछे गहरी वजह छिपी है। आइए इस आर्टिकल में हेल्थ कोच उर्वशी अग्रवाल से विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Tue, 26 Aug 2025 05:13 PM (IST)
    Hero Image
    मेडिटेशन में बैठते ही क्यों रोने लगते हैं कुछ लोग? (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। जब हम ध्यान या मेडिटेशन के बारे में सोचते हैं, तो हमारे दिमाग में एक शांत, सुकून भरा एहसास आता है, जहां सब कुछ कंट्रोल में होता है, लेकिन क्या हो अगर ध्यान करते समय अचानक आपकी आंखों में आंसू आ जाएं (Crying During Meditation)? क्या यह एक बुरी बात है? क्या इसका मतलब है कि आप ध्यान ठीक से नहीं कर रहे हैं?

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अगर आपके साथ ऐसा हुआ है, तो आप अकेले नहीं हैं। ध्यान के दौरान रोना एक बहुत ही नॉर्मल एक्सपीरिएंस है। हमारे समाज में रोने को अक्सर कमजोरी से जोड़ा जाता है, लेकिन मेडिटेशन की दुनिया में इसका मतलब बिलकुल अलग है। आइए, हेल्थ कोच उर्वशी अग्रवाल की मदद से समझते हैं इसके पीछे का साइंस।

    View this post on Instagram

    A post shared by Urvashi Agarwal (@urvashiagarwal1)

    दबे हुए जज्बात सतह पर आते हैं

    हम सबकी जिंदगी तेज रफ्तार में भागती रहती है। रोजमर्रा की भागदौड़ में गुस्सा, दुख, अपराधबोध और अनगिनत भावनाएं हम अपने अंदर दबाते रहते हैं। सामान्य दिनों में हम इन भावनाओं को महसूस करने का समय ही नहीं निकाल पाते, लेकिन जैसे ही हम ध्यान में बैठते हैं और मन शांत होता है, ये दबे हुए जज्बात सतह पर आ जाते हैं। इसी वजह से कई लोग ध्यान करते-करते अचानक रोने लगते हैं।

    रोने से मिलता है सुकून

    ध्यान के दौरान हम गहरी सांसें लेते हैं। यह गहरी सांसें शरीर को Parasympathetic Mode यानी ‘Rest and Digest’ स्टेज में ले जाती हैं। यही वह अवस्था है जहां शरीर और मन दोनों को आराम मिलता है और दबी हुई फीलिंग्स को बाहर निकलने की जगह मिलती है। जब ये भावनाएं खुलकर बाहर आती हैं तो आंसू अपने आप बहने लगते हैं।

    भावनाओं को स्वीकारना जरूरी

    अक्सर हम अपनी भावनाओं को नजरअंदाज करते हैं, लेकिन ध्यान हमें उन्हें पहचानने और स्वीकारने का अवसर देता है। आंसू बहना कमजोरी नहीं बल्कि यह संकेत है कि आपका मन बोझ हल्का कर रहा है। यह प्रक्रिया भीतर से साफ-सफाई (Emotional Cleansing) की तरह है।

    डीप ब्रीदिंग से शुरुआत करें

    अगर आप ध्यान या ब्रीदवर्क शुरू करना चाहते हैं, तो सबसे पहले कुछ समय खुद के साथ शांति से बिताएं। अपनी सांसों को महसूस करें। जब आप अपनी सांसों से जुड़ जाते हैं, तो धीरे-धीरे मन भी गहराई से शांत होने लगता है और भावनाओं को देखना आसान हो जाता है। इसके बाद कोई भी ब्रीदवर्क या ध्यान का अभ्यास आपके लिए सरल और सहज हो जाएगा।

    ध्यान के दौरान आंसू आना बिल्कुल सामान्य है। यह इस बात का संकेत है कि आपका मन और शरीर गहरी शांति की अवस्था में प्रवेश कर चुके हैं और अंदर छिपी भावनाएं बाहर निकल रही हैं। इसलिए जब अगली बार ध्यान में आपकी आंखें भर आएं, तो इन्हें रोकें नहीं। इन्हें बहने दें, क्योंकि यही आंसू आपके मन का बोझ हल्का कर रहे हैं।

    यह भी पढ़ें- Overthinking से बढ़ सकता है कई बीमार‍ियों का खतरा, आपको भी है ये आदत तो जरूर करें 5 काम

    यह भी पढ़ें- रोज सुबह 10 मिनट Meditation करने से मिलेंगे 10 फायदे, तनाव होगा दूर और नींद में भी होगा सुधार