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    एक साथ कई काम करना बन जाता है दिमाग के लिए बोझ, Multitasking की आदत को ऐसे करें कंट्रोल

    ऐसा माना जाता है कि एक ही समय में कई काम करके हम ज्यादा प्रोडक्टिव बन सकते हैं और समय बचा सकते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि हमारा दिमाग इस तरह से काम करने के लिए डिजाइन नहीं किया गया है। जी हां Multitasking की आदत न सिर्फ हमारे काम की क्वालिटी को कम करती है बल्कि यह चिंता तनाव और मानसिक थकान का भी कारण बन सकती है।

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Sat, 10 May 2025 08:39 PM (IST)
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    क्यों दिमाग के लिए सही नहीं है Multitasking की आदत, कैसे पाएं इसपर काबू? (Image Source: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज के दौर में जो एक समय में जितना ज्यादा काम कर सके, उसे उतना ही बेहतर माना जाता है। एक हाथ में फोन, दूसरे हाथ से लैपटॉप पर टाइपिंग और दिमाग में अगली मीटिंग की तैयारी! इसे ही हम कहते हैं Multitasking...

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    शुरुआत में यह सुनने में बहुत स्मार्ट लगता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक साथ कई काम करना आपके दिमाग के लिए भारी बोझ बन सकता है? जी हां, कई शोध यह साबित कर चुके हैं कि लगातार मल्टीटास्किंग करने से न केवल आपकी एकाग्रता घटती है, बल्कि इससे मानसिक थकान, चिंता और प्रोडक्टिविटी में गिरावट भी आती है।

    आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि कैसे मल्टीटास्किंग हमारे ब्रेन को नुकसान पहुंचाती है और इसे कंट्रोल करने के कुछ आसान तरीके (Tips To Avoid Multitasking) क्या हैं।

    मल्टीटास्किंग क्यों है दिमाग के लिए नुकसानदायक?

    दिमाग को स्विचिंग में लगती है एनर्जी

    जब आप एक साथ कई काम करते हैं, तो आपका दिमाग असल में उन्हें एक-एक करके करता है, लेकिन बहुत तेजी से स्विच करता है। हर बार जब दिमाग एक काम से दूसरे पर जाता है, तो थोड़ी-सी ऊर्जा खर्च होती है। यह "context switching" आपके ब्रेन को थका देता है।

    कम होती है फोकस और क्वालिटी

    जब आप किसी एक काम पर पूरा ध्यान नहीं देते, तो उसमें ग़लतियां होना आम है। मल्टीटास्किंग करने से आपकी काम की गुणवत्ता और सटीकता दोनों प्रभावित होती हैं।

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    बढ़ती है मानसिक थकान

    लगातार मल्टीटास्किंग करने से आपका मस्तिष्क बिना रुके काम करता रहता है। इसका असर आपकी नींद, मूड और मानसिक संतुलन पर पड़ता है।

    कम होती है याद रखने की क्षमता

    कई रिसर्च बताती हैं कि जो लोग बार-बार मल्टीटास्क करते हैं, उनकी लॉन्ग टर्म मेमोरी कमजोर हो जाती है। क्योंकि दिमाग को हर बार रीसेट करने में समय और ध्यान दोनों खर्च होता है।

    मल्टीटास्किंग की आदत को कैसे करें कंट्रोल?

    अब जब आप जान गए हैं कि मल्टीटास्किंग हमारे दिमाग को कैसे नुकसान पहुंचाती है, तो आइए जानते हैं कि इस आदत को कैसे धीरे-धीरे बदला जा सकता है।

    To-Do List बनाएं

    हर सुबह 5-6 जरूरी कामों की एक सूची बनाएं और उन्हें प्राथमिकता के अनुसार करें। जब हम लिखित लक्ष्य बनाते हैं, तो हमारा दिमाग उसी क्रम में काम करने लगता है।

    एक समय में एक काम

    "Single-tasking" को आदत बनाइए। जब भी कोई काम करें, उसे पूरी तरह खत्म करें और तभी अगला काम शुरू करें। इससे आपका ध्यान बना रहेगा और गुणवत्ता भी सुधरेगी।

    फोन और नोटिफिकेशन से दूरी

    मोबाइल नोटिफिकेशन, सोशल मीडिया अलर्ट- ये सब आपके ध्यान को भटकाते हैं। काम के समय इन्हें साइलेंट या बंद कर दें। आप चाहें तो "Focus Mode" या "Do Not Disturb" जैसे फीचर्स का यूज करें।

    Pomodoro Technique अपनाएं

    25 मिनट तक बिना किसी रुकावट के एक काम पर ध्यान दें, फिर 5 मिनट का ब्रेक लें। यह तकनीक न सिर्फ फोकस बढ़ाती है, बल्कि थकान को भी कम करती है।

    मेडिटेशन और माइंडफुलनेस

    हर दिन 10-15 मिनट ध्यान या माइंडफुलनेस एक्सरसाइज करें। इससे आपका दिमाग शांत रहेगा और आप हर काम में ज्यादा उपस्थित रह पाएंगे।

    आज की तेज रफ्तार जिंदगी में धीरे चलना कमजोरी नहीं, बल्कि समझदारी है। जब आप हर काम को ध्यान और फोकस के साथ करते हैं, तो नतीजे ज्यादा बेहतर आते हैं। मल्टीटास्किंग की आदत को छोड़ना एक दिन में नहीं होगा, लेकिन हर दिन की छोटी कोशिशें आपके दिमाग को राहत देंगी और आपकी कार्यक्षमता को नया आयाम देंगी।

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