Secrets of long Term Memory: दिमाग में कैसे जमा होती है याददाश्त? वैज्ञानिकों ने खोला राज़
Secrets of long Term Memory क्या आप जानते हैं कि याददाश्त को दिमाग में कैसे संचित किया जाता है? इसका तय फॉर्मूला आज तक किसी के पास नहीं है लेकिन वैज्ञानिक इस दिशा में अब आगे की ओर बढ़ रहे हैं।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। याददाश्त जिंदगी की पूंजी है, जिसे इंसान जिंदगी भर संजोकर रखता है। दिमाग में मौजूद याददाश्त ही वह चीज है, जिससे इंसान, इंसान बनता है। अगर याददाश्त नहीं हो तो इंसान में काबिलियत नहीं होगी और इंसान को अच्छे और बुरे की तहजीब नहीं रहेगी। याददाश्त ही वह चीज है, जो किसी इंसान को ऊंचा पहुंचाती है। याददाश्त को दुरुस्त रखने के लिए हम क्या कुछ जतन नहीं करते। क्या आप जानते हैं कि याददाश्त को दिमाग में कैसे संचित किया जाता है? इसका तय फॉर्मूला आज तक किसी के पास नहीं है, लेकिन वैज्ञानिक इस दिशा में अब आगे की ओर बढ़ रहे हैं।
एक ताजा शोध में दावा किया गया है कि दिमाग में याददाश्त के संचित होने के दौरान कम से कम दो अलग-अलग प्रकियाएं काम करती हैं, जिनमें दो अलग-अलग ब्रेन नेटवर्क भाग लेते हैं। एक एक्जिस्टेटरी और दूसरा इनहिबेटरी नेटवर्क। एक्जिस्टेटरी न्यूरॉन याददाश्त के खांके को संचित करता है, जबकि इनहिबेटरी न्यूरॉन बेकग्राउंड शोर को मिटाकर लंबे समय के लिए यादों को संजोकर रखने में भाग लेता है।
यह रिसर्च यूनिवर्सिटी ऑफ मॉट्रियल के प्रोफेसर नाहुम सोनेनवर्ग के नेतृत्व में की गई है। इस अध्ययन को नेचर जर्नल में प्रकाशित किया गया है। एक खास प्रकार का न्यूरॉन स्मृति समेकन के लिए जरूरी है। अध्ययन में पाया गया कि दीर्घकालिक याददाश्त को नियंत्रित करने के लिए प्रत्येक न्यूरॉन सिस्टम बड़ी कुशलता से तंत्रिका प्रणाली का इस्तेमाल करते है। लंबे समय से वैज्ञानिक इस प्रश्न के उत्तर खोजने में लगे हुए है कि आखिर याददाश्त के समेकन में न्यूरॉन के प्रकार किस तरह संलग्न हैं। कम समय तक याद रहने वाली स्मृतियों को लंबे समय तक याद रहने वाली स्मृतियों में बदलने की प्रक्रिया को मेमोरी कंसोलिडेशन यानी स्मृति समेकन कहते हैं। इस प्रक्रिया के लिए ब्रेन की कोशिकाओं में नए प्रोटीन के संश्लेषण की जरूरत पड़ती है। लेकिन अब तक हम यह नहीं जानते थे कि न्यूरॉन के कौन से प्रकार इस प्रक्रिया में भाग लेते हैं।
स्मृति समेकन की प्रक्रिया को समझने के लिए इस न्यूरॉन नेटवर्क की पहचान करना जरूरी है। वैज्ञानिकों ने चूहों पर अध्ययन के क्रम में ईएलएफ2 अल्फा नाम के एक विशेष प्रकार के न्यूरॉन मॉल्यूकूलर पाथवे में कुछ मामूली फेर बदल किया। इसके बाद पाया कि यह पाथवे लंबे समय तक याददाश्त को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यह न्यूरॉन में प्रोटीन के सिंथेसिस को भी नियंत्रण करता है। शोध के एक प्रमुख लेखक डॉ कोबी रोजेनबलम ने बताया कि हमने अपनी रिसर्च में पाया है कि एक्जिस्टेटरी न्यूरॉन में ईएलएफ2 अल्फा के माध्यम से प्रोटीन सिंथेसिस को उत्प्रेरित करने के बाद स्मृति के संचय की प्रक्रिया तेजी से बढ़ गई।
यानी ईएलएफ2 अल्फा खास प्रकार का न्यूरॉन है जो स्मृति समेकन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
Written By: Shahina Noor
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