माइंडफुलनेस मेडिटेशन थेरेपी करेंगे तो मिलेगी खुशी, रहेंगे दर्द से दूर
विज्ञानियों ने बताया कि माइंडफुलनेस मेडिटेशन एक ऐसी थेरेपी है जिसके माध्यम से हम अपने अंदर आसपास की घटनाओं और हालात के बारे में सजगता पैदा करते हैं। इस प्रक्रिया में हमें बस उन्हीं स्थितियों पर ध्यान केंद्रित करना होता है जहां हम होते हैं।
वाशिंगटन, एएनआइ : इन दिनों भागदौड़ और व्यस्त जीवनशैली में भौतिक सुख-सुविधाएं तो मिल जाती है, लेकिन जीवन में आनंद कहीं पीछे छूट जाता है। यूं कहें कि आंतरिक खुशी की जगह मानसिक उलझन और पीड़ा अपनी जड़ जमा लेती है। माइंडफुलनेस मेडिटेशन इन्हीं पीड़ा को दूर करने में मदद करता है। न्यूरोसाइंटिस्ट हाल में ही एक अध्ययन में यह पता लगाने में सक्षम हुए हैं कि दशकों से पीड़ा में जी रहे लोग माइंडफुलनेस मेडिटेशन कर स्वयं को मानसिक तनाव और दर्द से दूर कर सकते हैं।
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के सैन डिएगो स्कूल आफ मेडिसिन के विज्ञानियों ने जांच की कि किस प्रकार माइंडफुलनेस मेडिटेशन ने मस्तिष्क की गतिविधि और दर्द की धारणा को प्रभावित किया। इस शोध के निष्कर्ष को पेन नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया है। इसी वर्ष सात जुलाई को प्रकाशित लेख में बताया गया कि नियमित रूप से माइंडफुलनेस मेडिटेशन करने से दर्द की धारणा के लिए जिम्मेवार मस्तिष्क के क्षेत्रों और स्वयं की भावना को जन्म देने वालो क्षेत्रों के बीच सूचना के प्रवाह को काट दिया। इस प्रक्रिया में दर्द के संकेत अभी भी दिमाग तक पहुंचते हैं, लेकिन व्यक्ति को इस मेडिटेशन से दर्दनाक भावनाओं पर नियंत्रण पाने आता है तो कम दर्द और पीड़ा का अनुभव करते हैं।
यूसी सैन डिएगो स्कूल आफ मेडिसिन के एनेस्थिसियोलाजी के एसोसिएट प्रोफेसर फादेल जिदान ने कहा कि अत्यधिक दर्द की अवस्था में हम किस प्रकार व्यवहार करते हैं। आप अपने अहंकार और स्वयं की भावना को जोड़े बिना विचारों और संवेदनाओं को समझने के लिए खुद को प्रशिक्षित करते हैं।अध्ययन के लिए 40 प्रतिभागियों ने प्रयोग के पहले दिन दिमाग को स्कैन करते हुए कष्टदायी पैर को गर्म किया। पूरे प्रयोग को दर्द के स्तर को मापने की आवश्यकता थी। इसके बाद प्रतिभागियों को दो समूहों में बांटा गया। इन प्रतिभागियों को माइंडफुलनेस मेडिटेशन के प्रशिक्षण सत्र में शामिल कराया गया। तकरीबन 20 मिनट के सत्र में प्रतिभागियों को अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करने को कहा गया। वहीं दूसरे समूह को अत्यधिक गर्मी के बीच ध्यान केंद्रित करने को कहा गया। दोनों समूह के प्रतिभागियों के मस्तिष्क गतिविधि की जांच की गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग सक्रिय रूप से ध्यान कर रहे थे उन्होंने दर्द का अनुभव 32 प्रतिशत कम तीव्र और 33 प्रतिशत कम अप्रिय किया।
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