सेहत के दुश्मन हैं ये 5 पॉपुलर डाइट मिथक, कार्ब्स और फैट-फ्री खाने के चक्कर में सेहत न बिगाड़ लें आप
फिट रहने के लिए पड़ोसियों की दी गई सलाह से लेकर इंटरनेट पर इंफ्लूएंसर्स तक की बात को हम आंख बंद करके सच मान लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसे ही क ...और पढ़ें

आप भी करते हैं इन मिथकों पर यकीन? (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में नई जानकारियां लगातार सामने आ रही हैं, लेकिन कुछ डाइट मिथक (Healthy Diet Myths) ऐसे हैं जो साल दर साल हमारे साथ चलते आ रहे हैं। इनके कारण सेहत को काफी नुकसान होता है।
इसलिए इस नए साल में जाने से पहले इन मिथकों (Myths about Diet) की सच्चाई जान लें, ताकि आप अपने हेल्थ गोल्स को पूरा कर सकें और आपकी सेहत दुरुस्त रहे।
कार्ब्स खाना मोटापे की वजह है
यह शायद सबसे प्रचलित मिथक है। सच्चाई यह है कि सभी कार्बोहाइड्रेट्स खराब नहीं होते। प्रोसेस्ड और रिफाइंड कार्ब्स (जैसे मैदा, चीनी) स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं, लेकिन साबुत अनाज, दालें, फल और सब्जियों से मिलने वाले कार्ब्स शरीर के लिए एनर्जी के सबसे मुख्य सोर्स हैं। इनमें फाइबर, विटामिन और मिनरल्स भरपूर मात्रा में होते हैं। संतुलित मात्रा में सही कार्ब्स स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं।
फैट-फ्री या लो-फैट प्रोडक्ट्स हमेशा बेहतर होते हैं
बाजार में फैट-फ्री या लो-फैट लेबल वाले प्रोडक्ट्स की भरमार है, लेकिन क्या वे सचमुच हेल्दी हैं? अक्सर इन प्रोडक्ट्स में फैट की कमी को पूरा करने के लिए शुगर, आर्टिफिशियल स्वीटनर या अन्य केमिकल्स मिलाए जाते हैं। हेल्दी फैट्स, जैसे एवोकाडो, नट्स, ऑलिव ऑयल और फैटी फिश में मिलने वाले फैट्स, शरीर के लिए जरूरी हैं। इनसे परहेज करने की बजाय, संतुलित मात्रा में खाना लाभदायक है।
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(AI Generated Image)
बिना भूख के भी नियमित अंतराल पर खाना जरूरी है
यह धारणा कि दिन में छह से आठ बार थोड़ा-थोड़ा खाने से मेटाबॉलिज्म तेज होता है, पूरी तरह सही नहीं है। हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है। कुछ लोगों को दिन में तीन बार बैलेंस्ड डाइट की जरूरत होती है, तो कुछ को छोटे-छोटे इंटरवल पर। जबरदस्ती खाने के बजाय, अपनी भूख के संकेतों को समझना और उसके अनुसार खाना ज्यादा असरदार है।
डिटॉक्स डाइट या जूस क्लींज शरीर से टॉक्सिन्स निकालते हैं
नए साल की शुरुआत में अक्सर लोग डिटॉक्स डाइट या जूस क्लींज की ओर रुख करते हैं। यह समझना जरूरी है कि हमारा शरीर लिवर, किडनी और पाचन तंत्र के माध्यम से नेचुरल तरीके से डिटॉक्सीफिकेशन करता रहता है। इसके कारण पोषक तत्वों की कमी और एनर्जी का स्तर गिर सकता है।
कैलोरी कम करना ही वजन घटाने का एकमात्र तरीका है
वजन घटाने के लिए कैलोरी घाटा जरूरी है, लेकिन सिर्फ कैलोरी गिनने पर फोकस करना काफी नहीं है। खाने की गुणवत्ता भी उतनी ही जरूरी है। 100 कैलोरी की एक चॉकलेट बार और 100 कैलोरी के एक सेब का शरीर पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। प्रोटीन, फाइबर और हेल्दी फैट्स से भरपूर खान-पान लंबे समय तक पेट भरे होने का अहसास कराता है और पोषण देता है।

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