हेल्दी फैट vs ट्रांस फैट: क्या है दोनों में अंतर? AIIMS के डॉक्टर ने बताया एक दिन में कितनी मात्रा सेहत के लिए सही
एम्स दिल्ली में सही पोषण-देश रोशन अभियान के तहत स्वस्थ वसा के महत्व पर जोर दिया गया। विशेषज्ञों के अनुसार संतुलित वसा का सेवन शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक है। स्वस्थ वसा जैसे जैतून और सरसों का तेल हृदय के लिए फायदेमंद हैं। ट्रांस वसा से बचना चाहिए। खाना पकाने के लिए तेल बदलते रहना और ओमेगा-3 और ओमेगा-6 का संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। सही पोषण न केवल चोट से तेजी से उबरने में मदद करता है, बल्कि शारीरिक और मानसिक विकास को भी सुनिश्चित करता है।
वसा भी पोषण का एक जरूरी हिस्सा है, पर आधुनिक समय में इसका संतुलित उपयोग करना होगा। स्वस्थ वसा और ट्रांस वसा का अंतर भी समझना होगा।
एक सेहत के लिए फायदेमंद है तो दूसरा नुकसान पहुंचाता है। हालांकि एक स्वस्थ व्यक्ति को पूरे दिन में 20 मिलीलीटर से अधिक वसा का सेवन नहीं करना चाहिए।
यह जानकारी एम्स ट्रॉमा सेंटर में 11 अक्टूबर तक चलने वाले पोषण माह 'सही पोषण-देश रोशन' अभियान के तहत मरीजों व उनके स्वजन को दी जा रही है।
किस तेल में होता है हेल्दी फैट और ट्रांस फैट?
डायटेटिक्स विभाग की फैकल्टी इंचार्ज डॉ. आशीष बिंद्रा ने स्वस्थ जीवन के लिए वसा और तेलों के दैनिक उपयोग की जानकारी दी।
उनके मुताबिक स्वस्थ वसा में जैतून का तेल, सरसों का तेल, सूरजमुखी का तेल, मूंगफली का तेल, सोयाबीन का तेल, मेवे और मछली में पाए जाने वाले असंतृप्त वसा शामिल हैं। ये हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छे हैं।
वहीं ट्रांस वसा और संतृप्त वसा को अस्वास्थ्यकर वसा माना जाता है। ट्रांस वसा पैकेज्ड स्नैक्स, तले हुए खाद्य पदार्थों, बेकरी उत्पादों में पाए जाते हैं, जबकि संतृप्त वसा मक्खन, घी, रेड मीट, क्रीम, वनस्पति घी आदि में पाए जाते हैं, जब इनका सेवन प्रतिदिन अनुशंसित मात्रा (कुल कैलोरी के 30 प्रतिशत से कम) से अधिक किया जाता है।
खाना पकाने के लिए हर बार तेल बदलना अच्छा
डायटेटिक्स विभाग की वरिष्ठ डायटीशियन डॉ. वसुंधरा के मुताबिक खाना पकाने के लिए कोई भी एक तेल सही नहीं होता। हर महीने जब आप किराना खरीदारी करते हैं, तो तेल बदलना अच्छा होता है।
दैनिक खाना पकाने में भी हमें विभिन्न खाद्य पदार्थों को अलग-अलग तेलों में पकाना चाहिए। उदाहरण के लिए एक सब्जी सरसों के तेल में और दाल तड़का सोयाबीन तेल में पकाया जा सकता है।
एक स्वस्थ वयस्क के लिए गतिविधि के स्तर के आधार पर प्रतिदिन लगभग तीन से चार चम्मच (15-20 मिलीलीटर) वसा या तेल पर्याप्त है।
प्रतिदिन अनुशंसित मात्रा के अनुसार ही तेल का उपयोग करें। तेलों को दोबारा गर्म करने से बचें क्योंकि इससे ट्रांस वसा उत्पन्न होती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
ओमेगा-6 से कम होता है कोलेस्ट्राल
मेगा-3 और ओमेगा-6 पालीअनसेचुरेटेड आवश्यक फैटी एसिड हैं। ओमेगा-3, सोयाबीन, कैनोला, सरसों, अलसी, चिया बीज, अखरोट और मछली में पाया जाता है।
यह रक्त में ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को कम करने में मदद करता है। वहीं ओमेगा-6, वनस्पति तेलों, जैसे कुसुम, सूरजमुखी, कपास के बीज, मक्का, सोयाबीन, चावल की भूसी, मूंगफली और तिल में पाया जाता है।
यह एलडीएल कोलेस्ट्राल को कम करता है। रोजाना खाना पकाने के लिए दो या दो से अधिक वनस्पति तेलों का मिश्रण इस्तेमाल कर हम ओमेगा-3 व ओमेगा-6 का अनुपात संतुलित रख सकते हैं। मूंगफली, तिल या चावल की भूसी के तेल के साथ सरसों तेल या सोयाबीन तेल प्रयोग करें।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।