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    World Liver Day 2025: मोटापा, डायबिटीज और फैटी लिवर का है आपस में गहरा कनेक्शन, डॉक्टर से जानें कैसे

    फैटी लिवर (Fatty Liver) के मामले लोगों में काफी बढ़ गए हैं जिसके पीछे लाइफस्टाइल का अहम रोल है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि डायबिटीज और मोटापे जैसे मेटाबॉलिक डिसऑर्डर भी फैटी लिवर के रिस्क को बढ़ा सकते हैं (Fatty Liver and Diabetes Connection)। आइए जानें कैसे फैटी लिवर और ये आपस में जुड़े हैं और इन कंडिशन्स से बचने के लिए हमें क्या-क्या करना चाहिए।

    By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Fri, 18 Apr 2025 11:53 AM (IST)
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    फैटी लिवर बढ़ा सकता है डायबिटीज का रिस्क (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज के समय में मोटापा, डायबिटीज और फैटी लिवर (Fatty Liver) जैसी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। ये तीनों ही समस्याएं एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी हुई हैं और एक साथ होने पर शरीर के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकती हैं।

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    इसलिए वर्ल्ड लिवर डे (World Liver Day 2025) के मौके पर हमने डॉ. राजेश उपाध्याय (मैक्स सुपर स्पेशेलिटी हॉस्पिटल, शालिमार बाग के गैस्ट्रोएंट्रियोलॉजी विभाद के सीनियर डायरेक्टर) से बात की और यह जानने की कोशिश की कि मोटापा, फैटी लिवर और डायबिटीज (Fatty Liver and Metabolic Disorder) में क्या कनेक्शन है। साथ ही यह भी जाना कि कैसे हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर इनसे बचा जा सकता है। 

    मोटापा- सभी बीमारियों की जड़

    मोटापा केवल शरीर का वजन बढ़ने की समस्या नहीं है, बल्कि यह एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है, जो कई अन्य बीमारियों को जन्म देता है। मोटापे का मुख्य कारण ज्यादा कैलोरी वाली डाइट, प्रोसेस्ड फूड, फास्ट फूड और फिजिकल एक्टिविटी की कमी है। जब शरीर में एक्स्ट्रा फैट जमा होती है, तो यह केवल चर्बी के रूप में नहीं रहती, बल्कि एक एक्टिव ऑर्गन की तरह काम करने लगती है, जो कई प्रकार के हानिकारक केमिकल्स और सूजन पैदा करने वाले पदार्थों को छोड़ती है।

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    फैटी लिवर- मोटापे का दुष्परिणाम

    जब शरीर में ज्यादा फैट जमा हो जाता है, तो यह लिवर तक भी पहुंचती है और फैटी लिवर की स्थिति पैदा करती है। फैटी लिवर दो प्रकार का होता है- अल्कोहलिक और नॉन-अल्कोहलिक। आजकल नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर (NAFLD) की समस्या ज्यादा देखने को मिल रही है, जिसका मुख्य कारण मोटापा और अनहेल्दी खानपान है।

    लीवर में ज्यादा फैट जमा होने से इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin Resistance) बढ़ता है, जिससे शरीर के सेल्स इंसुलिन का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। इसके कारण ब्लड में शुगर लेवल बढ़ने लगता है और टाइप-2 डायबिटीज का खतरा पैदा हो जाता है।

    डायबिटीज और फैटी लिवर का कनेक्शन (Fatty Liver And Diabetes Connection)

    डायबिटीज और फैटी लिवर का रिश्ता दोतरफा है। एक तरफ फैटी लिवर इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ाकर डायबिटीज का कारण बनता है, वहीं दूसरी ओर डायबिटीज होने पर यह लिवर में फैट के जमाव को और बढ़ा देता है। यह एक साइकिल बन जाता है, जिसमें दोनों ही कंडिशन एक-दूसरे को बढ़ाती हैं।

    कई स्टडीज में पाया गया है कि जिन लोगों को फैटी लिवर की समस्या होती है, उनमें 10-15 साल बाद डायबिटीज होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। इसी तरह, डायबिटीज के मरीजों में फैटी लिवर की समस्या भी तेजी से बढ़ती है।

    इन समस्याओं से बचाव के उपाय

    इन तीनों बीमारियों से बचने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाना सबसे जरूरी है।

    • हेल्दी डाइट- ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीन से भरपूर डाइट लें। शुगर, तेल और प्रोसेस्ड फूड से दूर रहें।
    • नियमित एक्सरसाइज- रोजाना कम से कम 30 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी जरूर करें।
    • वजन कंट्रोल- मोटापा कम करने से फैटी लिवर और डायबिटीज का खतरा कम होता है।
    • शराब और स्मोकिंग से परहेज- ये लीवर को नुकसान पहुंचाते हैं और इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ाते हैं।
    • नियमित जांच- समय-समय पर डॉक्टर से सलाह लेकर ब्लड शुगर और लीवर फंक्शन टेस्ट करवाते रहें, ताकि समय रहते इन बीमारियों का पता चल सके।

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