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    युवाओं में बढ़ रहा कोलन कैंसर का खतरा, ये 5 रिस्क फैक्टर हो सकते हैं जिम्मेदार

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 04:03 PM (IST)

    युवाओं में कोलन कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं जिसके कई रिस्क फैक्टर्स हैं। फिजिकल एक्टिविटी की कमी अनहेल्दी डाइट मोटापा स्मोकिंग और शराब का सेवन और खराब गट हेल्थ इस कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं। प्रोसेस्ड फूड्स और रेड मीट भी हानिकारक हैं। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर और इन रिस्क फैक्टर्स से बचकर कोलन कैंसर से बचाव किया जा सकता है।

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    युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है कोलन कैंसर (Picture Credit- Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। इन दिनों युवाओं में कोलन कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो किसी को भी अपना शिकार बना सकती है। इसके कई प्रकार होते हैं, जिनमें से एक कोलन कैंसर भी है। पहले अक्सर बुजुर्गों को होने वाली यह बीमारी अब 50 साल से कम उम्र के युवाओं को भी प्रभावित कर रही है।

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    ऐसे में जरूरी है कि इस गंभीर कैंसर से बचाव के लिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखा जाए। कोलन कैंसर कई वजहों से किसी को अपना शिकार बना सकता है। ऐसे में इसके लक्षणों और कारणों के बारे में जानना बेहद जरूरी है। आज इस आर्टिकल में मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के क्लिनिकल डायरेक्टर एवं एचओडी डॉ. मोहित शर्मा से जानेंगे कोलन कैंसर के 5 रिस्क फैक्टर्स के बारे में, जो इसका खतरा बढ़ाते हैं।

    फिजिकल एक्टिविटी की कमी

    फिजिकल एक्टिविटी की कमी कोलन कैंसर के प्रमुख रिस्क फैक्टर में से एक है। बिना किसी एक्सरसाइज या वर्कआउट के लंबे समय तक बैठे रहने से पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है और कैंसर से बचाव की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। स्टडी में पता चला कि हफ्ते में कम से कम 150 मिनट वॉक करते या साइकिल चलाते हैं, उनमें कोलन कैंसर होने की संभावना कम हो जाती है।

    अनहेल्दी डाइट

    इन दिनों लोगों का खानपान भी काफी ज्यादा बदल चुका है। ऐसे में प्रोसेस्ड फूड्स से भरपूर डाइट कोलन कैंसर की संभावना को बढ़ा देते हैं। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि प्रोसेस्ड फूड्स के साथ-साथ सॉसेज, बेकन और बीफ जैसे रेड मीट को खाने से कोलन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इन फूड्स में खास केमिकल होते हैं, जो कोलन की परत को नुकसान पहुंचाते हैं और सेल्स में बदलाव को ट्रिगर करते हैं, जिससे बीमारी होती है।

    मोटापा

    युवाओं को कोलन कैंसर का खतरा तब ज्यादा बढ़ जाता है, जब वह मोटापे का शिकार होने लगते हैं। मोटापा भी इस कैंसर का एक प्रमुख रिस्क फैक्टर है। जब लोगों का वजन बढ़ जाता है, तो उनके शरीर में हार्मोनल बदलाव और लगातार सूजन होती है, जिससे ऐसा वातावरण बनता है, जहां कोलन कैंसर सेल्स पनपती हैं।

    स्मोकिंग और शराब

    सिगरेट पीने और बहुत ज्यादा शराब पीने से कोलन कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। तंबाकू के धुएं के केमिकल से सेल डैमेज होती है और बहुत ज्यादा शराब पीने से इम्युनिटी और पाचन अंगों पर बुरा असर पड़ता है। ऐसे में जो युवा ज्यादा मात्रा में सिगरेट या शराब पीते हैं, उनमें धूम्रपान न करने वालों की तुलना में कोलन कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है।

    खराब गट हेल्थ

    जब लंबे समय तक इंफ्लामेटरी बॉवल डिजीज के लिए कारण आंत में सूजन बनी रहती है, तो इससे कोलन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। तनाव और खास इन्फेक्शन के साथ अनहेल्दी खाना, गट बैक्टीरिया के संतुलन को बिगाड़ देता है, जिससे कोलन की परत को नुकसान पहुंचता है और इस प्रकार गट हेल्थ खराब होती है। यह वातावरण समय के साथ कैंसर सेल्स के विकास को बढ़ावा देता है।

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