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    7 से कम घंटे की नींद बन सकती है मुसीबत की वजह, इन तरीकों से करें स्लीप पैटर्न में सुधार

    Updated: Tue, 12 Aug 2025 08:50 AM (IST)

    क्या आप जानते हैं अगर आप रोजाना अपनी नींद पूरी नहीं कर रहे हैं तो आप स्लीप डेट (Sleep Debt) का शिकार हो सकते हैं। जी हां इसका आपकी फिजिकल और मेंटल हेल्थ पर काफी बुरा असर हो सकता है। इसलिए इससे बचना जरूरी है। आइए जानें स्लीप डेट क्या होता है और नींद की क्वालिटी सुधारने के लिए क्या कर सकते हैं।

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    कैसे करें नींद की क्वालिटी में सुधार? (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दिनभर की थकान दूर करने के लिए रात को कम से कम 7 घंटे सोना बेहद जरूरी है। लेकिन हमारी बिजी लाइफस्टाइल के कारण हम अक्सर पूरी नींद ले नहीं पाते हैं और हमारा स्लीप डेट (Sleep Debt) बढ़ने लगता है।

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    इस वजह से हमारी फिजिकल और मेंटल हेल्थ, दोनों पर ही असर होता है। आइए जानते हैं कि स्लीप डेट होता क्या है, इसके नुकसान क्या हैं और इससे बचने के लिए हम क्या (Tips to Improve Sleep Quality) कर सकते हैं।

    स्लीप डेट क्या होता है?

    स्लीप डेट तब होता है जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक अपनी जरूरत के अनुसार पूरी नींद नहीं ले पाता। इसे यूं समझ सकते हैं कि अगर किसी व्यक्ति को रोजाना 7-8 घंटे की नींद चाहिए, लेकिन वह केवल 5-6 घंटे ही सो पाता है, तो धीरे-धीरे उसका स्लीप डेट बढ़ता जाता है।

    यह समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब व्यक्ति लगातार कई दिनों या हफ्तों तक नींद पूरी नहीं कर पाता। इस स्थिति में शरीर और दिमाग दोनों पर काफी नेगेटिव असर पड़ता है।

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    स्लीप डेट के नुकसान क्या हैं?

    नींद पूरी न होने से न केवल थकान महसूस होती है, बल्कि इसके और भी कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जैसे-

    • मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव- नींद की कमी से चिड़चिड़ापन, तनाव, डिप्रेशन और फोकस की कमी हो सकती है
    • शारीरिक समस्याएं- हार्ट डिजीज, मोटापा, डायबिटीज और इम्युनिटी कमजोर होने का खतरा बढ़ जाता है।
    • याददाश्त कमजोर होना- नींद पूरी न होने से दिमाग सही तरीके से काम नहीं करता, जिससे याद रखने की क्षमता प्रभावित होती है।
    • दिनभर सुस्ती और आलस- स्लीप डेट के कारण दिन में नींद आना, एनर्जी की कमी और काम में मन न लगना जैसी समस्याएं होती हैं।

    नींद पूरी करने के लिए क्या करें?

    • सोने का समय तय करें- हर रोज एक ही समय पर सोने और उठने की आदत डालें, यहां तक कि वीकेंड पर भी। इससे शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक संतुलित रहती है।
    • सोने से पहले स्क्रीन टाइम कम करें- मोबाइल, लैपटॉप या टीवी से निकलने वाली ब्लू लाइट मेलाटोनिन हार्मोन को प्रभावित करती है, जो नींद लाने में मदद करता है। सोने से 1 घंटे पहले इन डिवाइसेज का इस्तेमाल बंद कर दें।
    • आरामदायक स्लीपिंग एनवायरनमेंट बनाएं- बेडरूम को शांत, अंधेरा और ठंडा रखें। आरामदायक गद्दे और तकिए का इस्तेमाल करें।
    • कैफीन और हैवी मील से बचें- सोने से 4-6 घंटे पहले कॉफी, चाय या एनर्जी ड्रिंक्स न पिएं। रात में हल्का खाना खाएं, ताकि पाचन तंत्र पर जोर न पड़े।
    • रिलैक्सेशन तकनीक अपनाएं- सोने से पहले मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग या हल्की स्ट्रेचिंग करें। गुनगुने पानी से नहाना भी अच्छी नींद लेने में मददगार होता है।
    • दिन में नैप लें- अगर रात की नींद पूरी नहीं हुई, तो दिन में 20-30 मिनट की पावर नैप ले सकते हैं। लेकिन लंबी झपकी लेने से रात की नींद पर असर पड़ सकता है।
    • एक्सरसाइज और योग करें- नियमित व्यायाम करने से नींद अच्छी आती है, लेकिन सोने से ठीक पहले हैवी वर्कआउट न करें।

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    Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।