दवाओं के बाद भी कम नहीं हो रहा हाई ब्लड प्रेशर? डॉक्टर ने बताए रेजिस्टेंट हाइपरटेंशन के कारण
हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) के मरीजों को लाइफस्टाइल और दवाओं की मदद से बीपी कंट्रोल करने की सलाह दी जाती है। लेकिन कई बार इन सबके बावजूद बीपी कंट्रोल नहीं होता। इस कंडीशन को रेजिस्टेंट हाइपरटेंशन कहा जाता है। इसे कंट्रोल करना जरूरी है वरना कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन अपने आप में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन जब यह दवाओं के बावजूद कंट्रोल नहीं होता, तो यह और भी चिंताजनक हो जाता है। इसी कंडीशन को 'रेजिस्टेंट हाइपरटेंशन' (Resistant Hypertension) कहा जाता है।
यह सिर्फ एक बीमारी नहीं, बल्कि एक गंभीर चेतावनी है जिस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत होती है। अगर इस पर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो परेशानी बढ़ सकती है, जिसके कारण हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का खतरा काफी बढ़ जाता है। लेकिन चिंता की बात यह है कि यह कंडीशन आसानी से पहचान में नहीं आती है। आइए जानें ऐसा क्यों होता है और इसे कंट्रोल (Tips to Control High Blood Pressure) करने के लिए क्या करना चाहिए।
रेजिस्टेंट हाइपरटेंशन क्या है?
रेजिस्टेंट हाइपरटेंशन तब माना जाता है जब मरीज का ब्लड प्रेशर 140/90 mmHg से ऊपर बना रहता है, भले ही वह तीन या ज्यादा अलग-अलग तरह की हाई बीपी कंट्रोल करने की दवाएं ले रहा हो, जिनमें एक डाईयूरेटिक दवा भी शामिल है, और सभी दवाएं उनके सही खुराक पर दी जा रही हों।
मुंबई के हेल्थ फर्स्ट कार्डिएक सेंटर के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अमित शर्मा बताते हैं कि रेजिस्टेंट हाइपरटेंशन सिर्फ एक ब्लड प्रेशर रीडिंग से कहीं ज्यादा है, यह एक चेतावनी संकेत है कि व्यक्ति को हार्ट अटैक, स्ट्रोक या किडनी डिजीज का ज्यादा खतरा है। इसलिए यह जरूरी है कि इसके छिपे कारणों जैसे स्लीप एप्निया, हार्मोनल असंतुलन, मोटापा, अल्कोहल के सेवन, या यहां तक कि कुछ खास दवाओं के इस्तेमाल की पहचान की जाए।
इसके पीछे छिपे कारण क्या हैं?
डॉ. शर्मा द्वारा बताए गए कारणों के अलावा, एक बड़ी चुनौती इसकी पहचान ही न हो पाना है। गुरुग्राम के पारस हॉस्पिटल के डायरेक्टर एंड हेड, इंटरवेंशन कार्डियोलॉजी, डॉ. अमित भूषण शर्मा बताते हैं कि यह और भी खतरनाक इसलिए हो जाता है, क्योंकि अक्सर इस यह कह कर टाल दिया जाता है कि यह नॉर्मल हाई बीपी ही है, जिसे कंट्रोल होने में समय लग रहा है। ऐसी कंडीशन में मरीजों से इंतजार करने को कहा जा सकता है, जबकि बीमारी चुपचाप बढ़ती रहती है।
रेजिस्टेंट हाइपरटेंशन को मैनेज कैसे करें?
सही डायग्नोसिस और कारणों की तलाश
सबसे पहला स्टेप यह पता करना है कि ब्लड प्रेशर की माप सही है। इसके बाद, डॉक्टर 'व्हाइट कोट हाइपरटेंशन' या दवाएं न लेने जैसे फैक्टर्स को खारिज करेंगे। फिर, स्लीप एप्निया, किडनी रोग, एड्रेनल ग्लैंड की समस्याएं, या ब्लड वेसल्स में कॉन्ट्रेक्शन जैसे कारणों की जांच की जाती है।
लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव
- डाइट- फल, सब्जियों, साबुत अनाज और कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट्स से भरपूर डाइट अपनाएं। खाने में नमक की मात्रा सख्ती से सीमित करें।
- वेट मैनेजमेंट- मोटापा इसका एक अहम कारण है। वजन कम करने से ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में काफी मदद मिलती है।
- नियमित एक्सरसाइज- हर दिन कम से कम 30 मिनट की मीडियम इंटेंसिटी एक्सरसाइज, जैसे ब्रिस्क वॉक, तैराकी या साइकिल चलाना, बेहद फायदेमंद है।
- शराब और स्मोकिंग से परहेज- शराब और स्मोकिंग पूरी तरह छोड़ दें।
दवाओं पर ध्यान दें
अगर बीपी कंट्रोल नहीं हो रहा है, तो डॉक्टर दवाओं की खुराक बदल सकते हैं या नई दवाएं दे सकते हैं। यह ध्यान रखें कि दवाएं नियमित और सही तरीके से ले।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।