क्या आपको भी दूध या उससे बने प्रोडक्ट बीमार कर देते हैं? तो हो सकते हैं Lactose Intolerance का शिकार
दूध या उससे बने प्रोडक्ट पचाने में परेशानी महसूस हो रही है तो यह लेक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या हो सकती है। इनसे मिलने वाले पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए अपने आहार में बदलाव जरूरी है। यग एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर डेयरी उत्पादों में मौजूद लेक्टोज नामक शुगर को पचाने में असमर्थ होता है।
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बचपन में आपने मिल्कशेक, आइसक्रीम जैसी चीजों के खूब मजे लिए, लेकिन वक्त के साथ मिल्क या मिल्क प्रोडक्ट लेते ही गैस बनने लगे या पेट फूला हुआ महसूस होने लगे तो हो सकता आपक लेक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या है। दरअसल, लेक्टोज एक प्रकार का शुगर है, जो डेयरी प्रोडक्ट्स में पाया जाता है और शरीर को इसे पचाने में परेशानी होने लगती है। आइए इस समस्या के बारे में थोड़ा और विस्तार से जानते हैं:-
मिल्क एलर्जी से अलग होता है लेक्टोज इंटॉलरेंस
लेक्टोज इंटॉलरेंस तब होता है, जब आपका शरीर लेक्टेज नाम का एंजाइम पर्याप्त मात्रा में नहीं बना पाता। यह एंजाइम आपके छोटी आंत में बनता है, जो लेक्टेज को ब्रेक डाउन कर देता है, लेकिन जब यह टूटता नहीं तो यह सीधे कोलन में पहुंच जाता है जहां बैक्टीरिया की वजह से वह फर्मेंट हो जाता है। ऐसा होने से गैस, ब्लोटिंग, डायरिया और अन्य समस्याएं होने लगती हैं। वहीं, मिल्क एलर्जी, इम्यून सिस्टम का गंभीर रिएक्शन माना जाता है। लेक्टोज इंटॉलरेंस पाचन से जुड़ी परेशानी है, फूड एलर्जी नहीं।
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क्या हैं लक्षण
- ब्लोटिंग
- पेट में दर्द या मरोड़
- मितली
- पेट से गुड़गुड़ की आवाज
इनको होता है ज्यादा खतरा
दुनिया में लगभग 65-70% लोगों में बचपन के बाद ही लेक्टोज पचाने की क्षमता खत्म हो जाती है। वैसे तो किसी को भी लेक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या हो सकती है और इन लोगों ज्यादा खतरा रहता है:-
- जेनेटिक्स की वजह से लैक्टेज की कमी हो
- पाचन से जुड़ी समस्या की वजह से सेकंडरी लैक्टोज इंटॉलरेंस हो
- आंत की सर्जरी या कैंसर का इलाज हुआ हो
इस तरह होती है पहचान
- हाइड्रोजन ब्रीद टेस्ट: लेक्टोज लेने के बाद हाइड्रोजन का स्तर जांचने वाली एक डिवाइस में सांस लेना होता है। हाइड्रोजन का हाई लेबल लेक्टोज इंटॉलरेंस की ओर इशारा करता है।
- स्टूल एसिडिटी टेस्ट: इसमें स्टूल में एसिड की जांच की जाती है। यह एसिड अपच दूध या मिल्क प्रोडक्ट की वजह से बनता है। आमतौर पर नवजात या छोटे बच्चों में इस तरीके से जांच की जाती है।
क्या लेक्टोज इंटॉलरेंट ले सकते हैं डेयरी प्रोडक्ट्स
कई ऐसे लोग हैं जो लेक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या होने के बावजूद थोड़ी मात्रा में डेयरी लेते हैं। ऐसे में यह देखना जरूरी है कि कौन-सा डेयरी प्रोडक्ट आपके लक्षणों को ट्रिगर करता है। आप ऐसा कर सकते हैं:
- पूरे दिनभर में थोड़ा-थोड़ा पोर्शन लेने से शुरुआत करें।
- लाइव कल्चर वाला दही लें, क्योंकि प्रोबायोटिक्स से लैक्टोज को पचाने में मदद मिल सकती है।
- दूध, सॉफ्ट चीज और आइसक्रीम कम से कम लें। इनमें लैक्टोज की मात्रा सबसे ज्यादा होती है।
- खाने-पीने की चीजें लेने से पहले उसके लेबल पर लिखी सामग्रियों को जरूर पड़ें। कई बार कुछ प्रोसेस फूड्स में भी मिल्क के प्रोडक्ट होते हैं।
डाइट पर हो सकता है असर
लेक्टोज इंटॉलरेंस का असर आपकी डाइट पर पड़ सकता है, इसलिए आप जो पोषक तत्व ले रहे हैं उस पर नजर रखने की जरूरत है। अगर आप सभी डेयरी प्रोडक्ट्स छोड़ देते हैं, तो आपके शरीर में कैल्शियम और विटामिन डी की भी कमी हो सकती है। आप इन पोषक तत्वों की कमी को दूसरे फूड आइटम से पूरा कर सकते हैं। बढ़ते बच्चों के लिए यह और भी जरूरी हो जाता है, इसलिए उनके डॉक्टर से जरूर परामर्श लें।
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