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    अगर आपके भी लगातार झड़ रहे हैं बाल, तो हो सकते हैं एलोपेशिया एरियाटा का शिकार

    By Digital DeskEdited By: Harshita Saxena
    Updated: Sat, 21 Jun 2025 01:44 PM (IST)

    एलोपेशिया एरियाटा एक ऐसी बीमारी है, जिसमें बालों के झड़ने की समस्या हो जाती है। कई लोगों के सिर्फ सिर के बाल ही नहीं दाढ़ी, आइब्रोज़ और पलकों के बाल भ ...और पढ़ें

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    हल्के में न लें लगातार झड़ते बाल (Picture Credit- Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बालों के झड़ने की समस्या कई प्रकार की होती है, जिसमें सबसे आम टाइप है एलोपेशिया एरियाटा। यह किसी भी उम्र में और जेंडर को हो सकती है। एलोपेशिया का मतलब होता है, ‘हेयर लॉस’ वहीं एरियाटा का अर्थ है ‘पैची हेयर लॉस’। बालों के झड़ने की इस समस्या को कई टाइप में बांटा गया है और इसे रोकने के लिए कई उपचार भी मौजूद हैं, आइए इस बारे में और विस्तार से जानते हैं डर्मेटोलॉजिस्ट एंड वेनरोलॉजिस्ट, डॉ. यशवंत सिंह से।

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    ये हैं एलोपेशिया एरियाटा के टाइप

    • एलोपिशया टोटालिस: यह लोकलाइज्ड़ एलोपेशिया से अलग होता है, जिसमें स्कैल्प के बाल पैचेस में झड़ जाते हैं। वहीं एलोपेशिया टोटालिस में स्कैल्प के बाल पूरी तरह से झड़ जाते हैं। यह एलोपेशिया यूनिवर्सलिस से भी अलग है, जिसमें पूरे शरीर के बाल झड़ जाते हैं।
    • एलोपेशिया यूनिवर्सलिस: इसमें पूरे शरीर के बाल झड़ जाते हैं, आइब्रोज और पलकों के भी। एलोपेशिया का यह प्रकार बहुत कम देखने को मिलता है।
    • एंड्रोजेनिक एलोपेशिया: यह मेल और फीमेल दोनों में होने वाला हेयर लॉस का एक आम प्रकार है। पुरुषों में होने वाले गंजेपन को मेल पैटर्न कहते हैं और महिलाओं में इसे फीमेल पैटर्न हेयर लॉस कहते हैं।

    कुछ बीमारी के उपचार के दौरान भी झड़ जाते हैं बाल

    कैंसर के इलाज के दौरान ली जाने वाली दवाओं या रेडिएशन थैरेपी की वजह से भी अस्थाई रूप से बाल झड़ जाते हैं, जिसे अफ्लुबियम (Effluvium) कहा जाता है। इस स्थिति में थैरेपी खत्म होने के बाद बाल दोबारा उग आते हैं।

    क्या हैं कारण

    हेयर लॉस की यह समस्या एंग्जाइटी या डिप्रेशन की वजह से हो सकती है। कुछ लोगों में दवाओं की वजह से भी यह समस्या हो जाती है। ऐसा बहुत कम देखा गया है कि इसमें जेनेटिक्स की भूमिका रही हो।

    क्या है इसका इलाज

    •  इसमें टॉपिकल रूप से लगाने के लिए क्रीम, फोम या ऑइंटमेंट दिया जाता है। ओरली ली जाने वाली दवाएं भी दी जा सकती हैं। कई रोगियों को कोर्टिकोटस्टेरॉइड का इंजेक्शन भी उनके स्कैल्प पर लगाया जाता है।
    • एलोपेशिया एरियाटा के उपचार में कई बार लेज़र लाइट का इस्तेमाल कर इलाज किया जाता है।
    • कुछ ऐसे ऑइंटमेंट इस्तेमाल होते हैं जिससे हेयर फॉलिकल एरिटेट हो जाते हैं और वे बढ़ने लगते हैं। इससे धीरे-धीरे हेयर ग्रोथ होने लगती है।

    ट्रिकोटिलोमेनिया में खुद ही अपने बाल निकालने लगते हैं

    यह एक मानसिक समस्या है, जिसमें मरीज खुद ही अपने बाल खींचकर निकालने लगता है। एक ही जगह से बार-बार बाल खींचने से गंजापन आ जाता है। इसे OCD यानी ऑब्सेसिव कम्प्लसिव डिसऑर्डर के तहत रखा गया है। यह आमतौर पर महिलाओं में पाया जाता है। गंभीर स्थिति होने पर व्यक्ति की सेहत और क्वालिटी ऑफ लाइफ पर प्रभाव पड़ता है। 

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