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    50 साल से कम उम्र के लोगों में आम हो रहा कोलोरेक्टल कैंसर का यह एक लक्षण, बिल्कुल अनदेखा न करें

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 04:46 PM (IST)

    एक नए अध्ययन में पाया गया है कि 50 वर्ष से कम उम्र के वयस्कों में मलाशय से खून आना कोलोरेक्टल कैंसर का एक प्रमुख लक्षण है जिससे जोखिम 850% तक बढ़ जाता है। लुइसविले हेल्थ यूनिवर्सिटी के शोध में यह बात सामने आई है कि मलाशय से खून आने को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए खासकर युवाओं में।

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    कोलोरेक्टल कैंसर का बड़ा संकेत मलाशय से खून आना (Picture Credit- Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो किसी को भी अपना शिकार बना सकती है। यह दुनियाभर में चिंता का एक विषय बनी हुई है और इसलिए इससे बचाव करना बेहद जरूरी है। कैंसर कई प्रकार का होता है, जो शरीर के अलग-अलग हिस्सों को प्रभावित करता है। कोलोरेक्टल कैंसर इन्हीं में से एक है, जो इस बीमारी का एक गंभीर प्रकार है।

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    हाल ही में इससे जुड़ी एक स्टडी सामने आई है, जिसमें कोलोरेक्टल कैंसर के एक प्रमुख लक्षण के बारे में पता चला है। इस नए अध्ययन में 50 साल से कम आयु के वयस्कों में मलाशय से ब्लीडिंग को कोलोरेक्टल कैंसर का सबसे महत्वपूर्ण कारण बताया गया है, जिससे जोखिम 850% तक बढ़ जाता है। आइए जानते हैं इस स्टडी के बारे में विस्तार से-

    क्या कहती है स्टडी?

    लुइसविले हेल्थ यूनिवर्सिटी में किए गए इस शोध में पता चला कि 50 साल से कम उम्र के लोगों में मलाशय से खून आना आम नहीं है। इस स्टडी में साल 2021 और 2023 के बीच कोलोनोस्कोपी कराने वाले 50 साल से कम आयु के 443 मरीजों के मेडिकल रिकॉर्ड का एनालिसिस किया गया। जिन मरीज की जांच की गई, उनमें से लगभग आधे मरीजों में शुरुआती कोलोरेक्टल कैंसर का निदान किया गया। इसके सभी लक्षणों में, मलाशय से खून आना सबसे साफ चेतावनी संकेत के रूप में सामने आया।

    क्या कहते है एक्सपर्ट

    रिसर्च की सीनियर डॉ. सैंड्रा कवालुकस (कोलोरेक्टल सर्जन) कहती हैं कि मलाशय में दर्द की समस्या हर साल गंभीर नहीं होती। जरूरी नहीं कि रेक्टम में दर्द की शिकायत होने पर व्यक्ति को कोलोनोस्कोपी की जरूरत हो। हालांकि, अगर खून आ रहा है, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, खासकर अगर व्यक्ति चाहे व्यक्ति 30 साल का ही क्यों न हो।

    जेनेटिक कारण भी था अहम

    स्टडी में यह भी सामने आया कि परिवार में कैंसर का इतिहास होने से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा दोगुना हो जाता है, लेकिन यह यह इकलौता ऐसा कारण नहीं है। स्टडी के दौरान सिर्फ 13% मामलों में ही जेनेटिक कारण पाए गए, बाकी के मरीजों के परिवार में कैंसर का कोई पारिवारिक इतिहास नहीं था।

    लक्षण दिखने पर तुरंत कराएं कोलोनोस्कोपी

    कोलोरेक्टल कैंसर के लिए एक्सपर्ट्स अक्सर 45 की उम्र के बाद ही कोलोनोस्कोपी कराने की सलाह देते हैं। हालांकि, इस कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए अब जल्द से जल्द कोलोनोस्कोपी करवाई जानी चाहिए, भले ही आपकी उम्र स्क्रीनिंग की तय लिमिट से कम हो।

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    Source

    EurekAlert