कम खतरनाक नहीं है कोलोरेक्टल कैंसर, 50 की उम्र के बाद है सबसे ज्यादा खतरा, पढ़िए कारण
कोलोरेक्टल कैंसर का जोखिम बढ़ाने में उम्र डायबिटीज मोटापा सिगरेट और अल्कोहल का अधिक सेवन सुस्त लाइफस्टाइल जैसे कुछ फैक्टर शामिल हैं। 50 वर्ष से ज्यादा की उम्र वाले को कोलोरेक्टल कैंसर पीड़ित होने का ज्यादा रिस्क फैक्टर होता है।

रोहतक, जागरण संवाददाता। कैंसर का नाम आते ही लोगों के सामने एक लाइलाज बीमारी की तस्वीर उभरती है। कैंसरे वैसे तो कई प्रकार का होता है। लेकिन इसमें कोलोरेक्टल कैंसर बहुत खतरनाक होता है। इसको लेकर मार्च माह में पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की ओर से जागरुकता अभियान चलाएगा।
व्यस्कों में भी बढ़ रहा है यह कैंसर
पीजीआइ के विशेषज्ञों की मानें तो कैंसर असामान्य कोशिकाओं के अनियंत्रित विभाजन की विशेषता वाली बीमारी है। जब इस प्रकार की वृद्धि कोलन या मलाशय में होती है, तो इसे कोलोरेक्टल कैंसर (सीआरसी) कहा जाता है। बृहदान्त्र और मलाशय (कोलोरेक्टम), बड़ी आंत, जठरांत्र (जीआई) प्रणाली का अंतिम खंड बनाते हैं।
कहा जाता है बड़ी आंत का कैंसर
कोलोरेक्टल कैंसर को पेट का कैंसर या बड़ी आंत का कैंसर भी कहा जाता है। हमारी पाचन प्रणाली भोजन को पचाती है और उसमें से पोषक तत्वों को अवशोषित करती है। ग्रासनली, पेट, छोटी आंत और बड़ी आंत मिलकर पाचन तंत्र बनाते हैं। बड़ी आंत, कोलन से शुरू होती है, जो लगभग पांच फीट लंबा होता है। कैंसर तब होता है जब शरीर में कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। कोलोरेक्टल कैंसर की शुरुआत बड़ी आंत की दीवार के सबसे भीतरी परत में होती है।
व्यस्कों में बढ़ रहा है कोलोरेक्टल कैंसर
कोलोरेक्टल कैंसर की दर व्यस्कों के बीच पिछले दो दशकों में उनके 20 से 40 की उम्र में बढ़ रही है। 20 से 40 साल की उम्र का पड़ाव जिंदगी में महत्वपूर्ण होता है। इस उम्र में लोग एक्टिव रहते हैं, परिवार और कैरियर बनाते हैं। इसलिए इन मरीजों को इलाज के बाद जिंदगी की क्वालिटी को सुनिश्चित करना जरूरी है।
कोलोरेक्टल कैंसर होने के कुछ अहम कारण
कोलोरेक्टल कैंसर का जोखिम बढ़ाने में उम्र, डायबिटीज, मोटापा, सिगरेट और अल्कोहल का अधिक सेवन, सुस्त लाइफस्टाइल जैसे कुछ फैक्टर शामिल हैं। 50 वर्ष से ज्यादा की उम्र वाले को कोलोरेक्टल कैंसर पीड़ित होने का ज्यादा रिस्क फैक्टर होता है। डायबिटीज के मरीजों और बहुत ज्यादा अल्कहोल या सिगरेट पीनेवालों को भी इस स्थिति के विकसित होने का अधिक खतरा रहता है। सुस्त लाइफस्टाइल या शारीरिक रूप से निष्क्रिय रहने वाले लोगों में बीमारी बहुत आसानी से विकसित हो सकती है।
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