बच्चों को गुदगुदी करना बंद करें! डॉक्टर ने समझाया कैसे उनके लिए सजा बन सकता है आपका मजा
बचपन में शायद ही कोई ऐसा हो जिसे दोस्तों या परिवार के हाथों गुदगुदी का एहसास न हुआ हो। अक्सर माता-पिता या बड़े अपने बच्चों को प्यार जताने या हंसाने के लिए गुदगुदी का सहारा लेते हैं, लेकिन क्या आपको मालूम है कि जिसे आप प्यार भरा खेल या मजा समझ रहे हैं, वह आपके बच्चे के लिए तनाव, बेचैनी और कभी-कभी 'सजा' जैसा बन सकता है? आइए, डॉ. मनन वोरा से जानते हैं इसके बारे में।

आज ही छोड़ दें बच्चों को गुदगुदी करने की आदत (Image Source: AI-Generated)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हम अक्सर सोचते हैं कि बच्चों को गुदगुदाना एक मासूम, मजेदार और प्यारा-सा पल होता है। बच्चा हंस पड़ता है, पेरेंट्स भी खुश हो जाते हैं- जैसे सब ठीक ही चल रहा हो, लेकिन क्या हर हंसी वास्तव में खुशी ही होती है? शायद नहीं।
बच्चों को गुदगुदी करना जितना बाहर से क्यूट लगता है, अंदर से उनका शरीर कुछ और ही कहानी कह रहा होता है। कई बार यह हंसी खुशी की नहीं, बल्कि एक रिफ्लेक्स की होती है और जरूरी नहीं कि बच्चा वास्तव में मजे में हो।
View this post on Instagram
गुदगुदी का सच
जब किसी छोटे बच्चे को गुदगुदाया जाता है, उसके शरीर में कुछ ऐसे बदलाव होते हैं जिन्हें हम अक्सर नोटिस नहीं करते:
हंसी एक रिफ्लेक्स है, हमेशा खुशी नहीं
बच्चा हंस जरूर देता है, लेकिन यह हंसी ज्यादातर ऑटोमेटिक प्रतिक्रिया होती है। शरीर इस तरह बना है कि कुछ जगहों को छूने पर वह अनायास हंस पड़ता है- भले ही भीतर से उसे अच्छा न लग रहा हो।
सांस रुकने जैसा एहसास
कई बच्चों की सांस एक पल को अटक सकती है। गुदगुदी से अचानक शरीर में तनाव जैसा महसूस होता है, जिससे उनका ब्रीथ पैटर्न बदल सकता है।
दिल की धड़कन तेज हो जाना
गुदगुदी को शरीर कभी-कभी फन के बजाय अचानक के डर की तरह लेता है। ऐसे में हार्ट रेट बढ़ सकती है।
मसल्स टाइट हो जाना
बच्चों का पूरा शरीर गुदगुदाने पर सिकुड़ जाता है। ये भी एक रिफ्लेक्स है, लेकिन यह असहजता भी पैदा कर सकता है।
स्ट्रेस हार्मोन बढ़ सकते हैं
हम सोचते हैं कि हम बच्चे को हंसा रहे हैं, लेकिन उसका शरीर इसे स्ट्रेस की तरह भी ले सकता है। कई बार उसे खुद समझ नहीं आता कि वो मजे में है या घबरा गया है।

(Image Source: AI-Generated)
फिर बच्चे हंसते क्यों हैं?
क्योंकि शरीर को गुदगुदी पर ऑटोमेटिक रूप से हंसने के लिए डिजाइन किया गया है। बच्चा ये नहीं बता पाता कि उसे गुदगुदी अच्छी लग रही है या वो सिर्फ रिएक्ट कर रहा है। यह हंसी उसकी सहमति नहीं होती।
क्या गुदगुदी करना गलत है?
गुदगुदी पूरी तरह बुरी नहीं, पर जोखिम तब बढ़ता है जब:
- लगातार और ज्यादा देर तक गुदगुदाया जाए
- बच्चा ना कह रहा हो, लेकिन हंसने के कारण उसकी बात को हल्के में लिया जाए
- उसे अपनी बॉडी पर कंट्रोल न महसूस हो
- वह भागने की कोशिश करे लेकिन उसे रोका जाए
- गुदगुदाने से वह चौंक जाए, बेचैन हो या चिड़चिड़ा दिखे
गुदगुदी बच्चे के लिए कभी-कभी ओवरस्टिमुलेशन का कारण भी बन सकती है- यानी इतनी ज्यादा उत्तेजना कि बच्चा खुद को सुरक्षित महसूस न करे।
कैसे समझें कि बच्चा असहज है?
हर बच्चा कुछ संकेत देता है, बस हमें उन्हें पढ़ना सीखना होता है:
- शरीर को पीछे खींचना
- हाथों से रोकने की कोशिश
- तेज सांस लेना
- चेहरा सिकोड़ना या आंखें बड़ी होना
- नजरें बचाना
- अचानक चुप हो जाना
- रुकने के लिए शरीर को टेढ़ा करना
अगर ये संकेत दिखें, तो तुरंत रुक जाएं- भले ही बच्चा हंस रहा हो।
बच्चे का ‘कंसेंट’ समझें
बच्चों को छोटी उम्र में ही यह महसूस होना चाहिए कि उनका शरीर उनका है।
अगर आप हर बार पूछकर गुदगुदाएं -
“क्या मैं गुदगुदाऊं?”
“बस हो गया?”
“और करूं या रुकूं?”
ये छोटा-सा कदम उन्हें बॉडी सेफ्टी और कंसेंट समझने में मदद करता है। यह आदत आगे चलकर उन्हें अपने लिए बोलने की ताकत देती है।
गुदगुदाने के सही तरीके
- बहुत हल्की और छोटी गुदगुदी
- हमेशा बच्चे की बॉडी लैंग्वेज देखें
- बीच-बीच में रुककर पूछें कि वह ठीक है या नहीं
- अगर बच्चा भागे तो उसे जाने दें
- ऐसे गेम खेलें, जो बच्चे कंट्रोल कर सके, जैसे “किसने छुआ?” या “कहां छुआ?” जैसे फन टच गेम्स
बच्चों को मजा तभी आता है जब उन्हें चॉइस मिले, यानी कंट्रोल नहीं छीना जाए।
गुदगुदी का मजा तभी, जब बच्चा भी हो तैयार
गुदगुदाना गलत नहीं, लेकिन बेवजह, लंबे समय तक या बिना उनकी सहमति के गुदगुदाना उनके शरीर और दिमाग पर तनाव डाल सकता है।
यह भी पढ़ें- बच्चों को खुद से खाना खिलाना अब नहीं लगेगा चैलेंजिंग, ये 7 आसान टिप्स आएंगे काम
यह भी पढ़ें- क्या हर चीज में केचअप मिलाता है आपका बच्चा?️ अगर हां, तो चुपके से सेहत को पहुंच रहे 5 नुकसान

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।