भरपूर नींद के बाद भी थकान भरी होती है सुबह, तो हो सकते हैं ये कारण; बिल्कुल न करें अनदेखा
क्या रात में एक अच्छी नींद के बाद भी आपको दिनभर थकान महसूस होती रहती है। अगर हां तो इसे सामान्य समझ नजरअंदाज करें। दरअसल ऐसा क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम के कारण हो सकता है। यह एक जटिल समस्या है जिसके कई लक्षण नजर आते हैं। आइए जानते हैं क्या है यह समस्या और इसके लक्षण। साथ ही जानेंगे इससे जुड़ी और भी बातों के बारे में।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। दिनभर ज्यादा काम करने की वजह से थकान होना स्वाभाविक है, लेकिन अगर रातभर अच्छी नींद लेने के बाद भी सुबह की शुरुआत थकान के साथ हो रही है, तो इसे हल्के में न लें। आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे आखिर क्यों भला आराम के बाद भी थकान बनी रहती है।
ये है क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम
इसे एक जटिल समस्या के रूप में माना जाता है। इसका प्रभाव शरीर के सिस्टम और फंक्शन पर पड़ता है। वैसे यह समस्या कई अन्य समस्याओं से मिलती-जुलती सी नजर आती है, जिसकी वजह से इसे पहचाना काफी मुश्किल हो जाता है।
दर्द इसका आम लक्षण है
- क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम के मरीज अक्सर दर्द की शिकायत करते हैं। उसका संबंध न किसी चोट से होता है और न ही उस दर्द के होने की कोई साफ वजह दिखाई देती है।
- मसल्स में अकड़न और दर्द
- जोड़ों में रेडनेस या सूजन के बिना ही दर्द होना
- सिरदर्द
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ऐसा भी होता है
गर्दन या बगलों (armpit) में दर्द होना
ठंड लगना और रात में पसीने आना
फूड से एलर्जी होना
रोशनी, गर्म या ठंडे से सेंसिटिव हो जाना
मसल्स में कमजोरी
सांस लेने में दिक्कत
धड़कनों का अनियमित होना
मूड में बदलाव
एंग्जायटी या पैनिक अटैक
हाथों, पैर और चेहरे पर सुन्नपन या झनझनाहट
हल्का-हल्का बुखार बने रहना
देखने में परेशानी
क्यों होता है
एक्सपर्ट इसके होने का कोई सटीक कारण नहीं बता पाते, लेकिन कुछ लोग किसी और बीमारी के बाद इस समस्या की शुरुआत होने की बात करते हैं, जैसे:
फ्लू जैसी बीमारी
किसी प्रकार का इन्फेक्शन
फिजिकल स्ट्रेस जैसे सर्जरी
इम्यून सिस्टम का भी है कनेक्शन
क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम और हमारा इम्यून सिस्टम जिस तरह काम करता है, उसके बीच काफी गहरा नाता है। इसे साबित करने के लिए अभी भी रिसर्च जारी है।
महिलाओं को ज्यादा होता है
एक रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं को पुरुषों की तुलना में क्रॉनिग फटीग सिंड्रोम होने की समस्या दो से चार गुना ज्यादा है। वैसे बच्चों में भी यह समस्या देखी गई है, लेकिन उसके आंकड़े काफी कम हैं।
कैसे जानें
इस समस्या का पता लगाने के लिए कोई भी विशेष टेस्ट नहीं है। अगर कोई इस समस्या के साथ डॉक्टर के पास पहुंचता है, तो उन्हें इस तरह की प्रक्रिया से होकर गुजरना होता है:
- सबसे पहले उस व्यक्ति से उनके लक्षणों के बारे में पूछा जाता है
- उनकी फिजिकल जांच होती है
- लक्षणों को जांचने के लिए कई और टेस्ट कराए जाते हैं
क्या ट्रीटमेंट दिया जाता है?
इस समस्या का कोई खास उपचार अभी मौजूद नहीं है, लेकिन डॉक्टर लक्षणों को ठीक रखने पर सारा फोकस करते हैं। ट्रीटमेंट प्लान अलग-अलग हो सकते हैं, क्योंकि हर व्यक्ति पर इसका प्रभाव अलग तरह से नजर आता है।
- सबसे पहले उन लक्षणों को ठीक करने की कोशिश की जाती है, जो सबसे ज्यादा परेशान कर रही होती है
- दर्द को दूर करने की कोशिश की जाती है
- उनकी एक्टिविटीज को मैनेज करने के नए-नए तरीके सोचे जाते हैं
इनसे भी मिल सकती है राहत
- हल्की-फुलकी स्ट्रेचिंग और टोनिंग एक्सरसाइज
- हीट थैरेपी
- वॉटर थैरेपी
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