Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्या Microplastics से बढ़ रहा है अल्जाइमर का खतरा? नई स्टडी के नतीजे जानकर चौंक जाएंगे आप

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 12:21 PM (IST)

    क्या आप जानते हैं कि प्लास्टिक अब हमारे शरीर के अंदर घुसकर हमारे दिमाग को भी नुकसान पहुंचा रहा है? हाल ही में हुए एक नए शोध ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है जिसके मुताबिक हमारे आसपास मौजूद छोटे-छोटे प्लास्टिक के कण जिन्हें माइक्रो और नैनो प्लास्टिक कहा जाता है अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं।

    Hero Image
    Microplastics बढ़ा सकते हैं अल्जाइमर का खतरा (Image Source: Freepik)

    आइएएनएस, नई दिल्ली। आज की दुनिया में प्लास्टिक हमारी जिंदगी का ऐसा हिस्सा बन चुका है जिससे पूरी तरह बच पाना लगभग असंभव है। पानी की बोतल, पैकेजिंग, खाने-पीने की चीजें और यहां तक कि हवा में भी प्लास्टिक के बेहद छोटे-छोटे कण मौजूद रहते हैं। इन्हें माइक्रो और नैनो प्लास्टिक कहा जाता है। हाल ही में हुए एक अध्ययन ने इस ओर इशारा किया है कि इन अदृश्य प्लास्टिक कणों का हमारे मस्तिष्क पर भी गंभीर असर हो सकता है और यह अल्जाइमर जैसी बीमारी का खतरा बढ़ा सकते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शरीर में कैसे पहुंचते हैं माइक्रोप्लास्टिक?

    • वैज्ञानिकों का कहना है कि ये कण हमारे रोजमर्रा के जीवन में कई रास्तों से शरीर के भीतर प्रवेश करते हैं।
    • हम जो पानी पीते हैं, उसमें अक्सर माइक्रोप्लास्टिक घुला रहता है।
    • पैकेजिंग और प्रोसेस्ड फूड आइटम्स के जरिए भी यह शरीर में पहुंच जाता है।
    • यहां तक कि सांस के साथ हवा में मौजूद प्लास्टिक कण भी हमारे शरीर में दाखिल हो जाते हैं।

    दिमाग तक पहुंचने का खतरा

    अमेरिका के रोड आइलैंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस पर गहराई से अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि ये छोटे-छोटे प्लास्टिक कण केवल पेट या खून में ही नहीं रहते, बल्कि शरीर की सभी प्रणालियों तक पहुंच जाते हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि ये मस्तिष्क तक भी जमा हो सकते हैं। जब ऐसा होता है तो यह दिमाग की कार्यप्रणाली पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं और धीरे-धीरे स्मृति हानि और संज्ञानात्मक कमजोरी (Cognitive Decline) जैसी समस्याएं पैदा कर सकते हैं।

    अल्जाइमर से जुड़ा रिश्ता

    शोध में उन चूहों को शामिल किया गया जिन्हें विशेष रूप से इस तरह तैयार किया गया था कि उनमें एपीओई4 (APOE4) जीन मौजूद रहे। यह जीन अल्जाइमर रोग का एक बड़ा संकेतक माना जाता है। जिन लोगों में यह जीन होता है, वे सामान्य लोगों की तुलना में कई गुना अधिक जोखिम में रहते हैं। अध्ययन में यह सामने आया कि सूक्ष्म प्लास्टिक का संपर्क ऐसे व्यक्तियों में अल्जाइमर के खतरे को और बढ़ा सकता है।

    क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

    शोधकर्ताओं के अनुसार, यह अध्ययन एक गंभीर चेतावनी है। जीवनशैली और पर्यावरणीय कारक पहले से ही हमारे स्वास्थ्य पर गहरा असर डालते हैं। अब यह साफ हो रहा है कि प्लास्टिक प्रदूषण भी उन खतरनाक कारणों में शामिल है, जो धीरे-धीरे मस्तिष्क संबंधी बीमारियों को जन्म दे सकते हैं।

    वैज्ञानिकों का मानना है कि इस विषय पर और विस्तृत शोध की आवश्यकता है। फिलहाल यह साफ है कि सूक्ष्म और नैनो प्लास्टिक सिर्फ पर्यावरण ही नहीं बल्कि हमारी सेहत के लिए भी बड़ा खतरा बन चुके हैं। भविष्य में इनसे बचाव और इनके असर को कम करने के उपाय खोजना बेहद जरूरी होगा।

    यह भी पढ़ें- आपके किचन से सीधा शरीर में पहुंच रहा है माइक्रोप्लास्टिक, बचने के लिए आज ही अपनाएं ये नेचुरल ऑप्शन

    यह भी पढ़ें- प्लास्टिक से भी ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक छोड़ती हैं कांच की बोतलें! नई स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा