बॉडी बिल्डिंग के लिए सिर्फ वेट उठाना ही काफी नहीं, एक्सपर्ट बता रहे हैं Muscle Growth का सीक्रेट
बहुत से लोग सोचते हैं कि बॉडी बिल्डिंग का मतलब सिर्फ जिम में जाकर घंटों तक भारी-भरकम वेट उठाना है। अगर आप भी ऐसा मानते हैं तो यह बात जान लें कि सिर्फ पसीना बहाने से आपकी बॉडी नहीं बनेगी। अगर आपको सच में शानदार मसल्स चाहिए तो इसके लिए वर्कआउट के अलावा कुछ और भी बहुत जरूरी है।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। हममें से ज्यादातर लोग यह सोचते हैं कि मसल्स बनाने के लिए बस जिम जाकर वेट लिफ्टिंग ही काफी है, लेकिन फिटनेस एक्सपर्ट ल्यूक कोटिन्हो के अनुसार, मसल ग्रोथ का सफर सिर्फ डम्बल्स या मशीनों तक सीमित नहीं है। असली विकास आपके पूरे लाइफस्टाइल पर निर्भर करता है, यानी आप कैसे खाते हैं, कैसे सोते हैं, कितना चलते हैं और शरीर को कैसे आराम देते हैं।
मसल्स तब नहीं बढ़ते जब आप वर्कआउट कर रहे होते हैं, बल्कि तब बनते हैं जब शरीर को पर्याप्त नींद, पोषण और रिकवरी मिलती है। आइए जानते हैं कि आखिर किन छोटी-छोटी आदतों (Muscle Building Tips) से बड़ा फर्क पड़ता है।
नींद
जिम में मेहनत करना जरूरी है, लेकिन मसल्स असल में तब बढ़ते हैं जब आप सो रहे होते हैं। गहरी नींद के दौरान शरीर ग्रोथ हार्मोन छोड़ता है, जो ट्रेनिंग के दौरान हुई मसल डैमेज को रिपेयर करता है। अगर आप रोजाना 7–9 घंटे की अच्छी नींद नहीं लेते, तो रिकवरी धीमी हो जाती है और मसल ग्रोथ रुक जाती है। इसलिए सोने से पहले मोबाइल या लैपटॉप से दूरी बनाएं, कमरा ठंडा और शांत रखें और एक नियमित नींद का शेड्यूल अपनाएं।
प्रोटीन
मसल्स के निर्माण में प्रोटीन की भूमिका सबसे अहम होती है। शरीर इसे कार्ब्स या फैट की तरह स्टोर नहीं कर सकता, इसलिए दिनभर में प्रोटीन का सेवन बराबर मात्रा में करना चाहिए। अच्छे सोर्स हैं- अंडे, चिकन, मछली, पनीर, दालें, राजमा और सोया। ल्यूक का सुझाव है कि एनिमल और प्लांट प्रोटीन दोनों को डाइट में शामिल करें ताकि सभी जरूरी अमीनो एसिड मिल सकें।
कार्बोहाइड्रेट
कई लोग मसल बिल्डिंग के दौरान कार्ब्स से दूर भागते हैं, लेकिन यह बड़ी गलती है। कार्बोहाइड्रेट शरीर को ऊर्जा देता है और यह सुनिश्चित करता है कि प्रोटीन ईंधन की तरह जलने के बजाय मसल रिपेयर में काम आए। स्मार्ट कार्ब्स जैसे ब्राउन राइस, ओट्स, क्विनोआ और शकरकंद बेहतरीन विकल्प हैं। ट्रेनिंग से पहले और बाद में कार्ब्स लेना ऊर्जा बढ़ाने और रिकवरी तेज करने में मदद करता है।
रेजिस्टेंस ट्रेनिंग
सिर्फ भारी वजन उठाना ही काफी नहीं है। मसल्स को बढ़ाने के लिए प्रोग्रेसिव ओवरलोड यानी धीरे-धीरे वजन, रेप्स या इंटेंसिटी बढ़ाना जरूरी है। स्क्वैट्स, डेडलिफ्ट्स, प्रेस और पुल-अप्स जैसी कंपाउंड एक्सरसाइज एक साथ कई मसल ग्रुप्स को सक्रिय करती हैं और तेज परिणाम देती हैं।
कंसिस्टेंसी
मसल ग्रोथ कोई एक दिन का खेल नहीं है। सबसे जरूरी है कंसिस्टेंसी, यानी हर दिन थोड़ा-थोड़ा आगे बढ़ना। अपनी ग्रोथ को नोट करें, छोटी-छोटी उपलब्धियों का जश्न मनाएं और ओवरथिंक करने से बचें। याद रखें, परफेक्शन नहीं, प्रोग्रेस ही असली जीत है।
मसल्स बनाना केवल मेहनत का नहीं बल्कि समझदारी का भी खेल है। सही नींद, संतुलित आहार, लगातार ट्रेनिंग और मानसिक संतुलन- ये चारों मिलकर शरीर को अंदर से मजबूत बनाते हैं।
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