माइग्रेन सिर्फ सिरदर्द नहीं, महिलाओं में Hormonal Imbalance का भी है बड़ा संकेत; पढ़ें एक्सपर्ट की राय
आज की तेज रफ्तार जिंदगी में सिरदर्द आम समस्या लगती है, लेकिन क्या हो अगर यह बार-बार हो, बेहद तेज हो और आपकी दिनचर्या को अस्त-व्यस्त कर दे? दरअसल, माइग्रेन ऐसी ही एक गंभीर बीमारी है, जिसे कई लोग हल्के में लेने की गलती करते हैं। ऐसे में, एक्सपर्ट का कहना है कि यह सिर्फ सिरदर्द नहीं, बल्कि शरीर में चल रहे Hormonal Imbalance का संकेत भी हो सकता है।
महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन का संकेत हो सकता है माइग्रेन (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में माइग्रेन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। कुछ अध्ययनों के अनुसार, देश की 10% से 25% तक आबादी इस समस्या से जूझ रही है। एक्सपर्ट का कहना है कि कर्नाटक और खासतौर पर बेंगलुरु जैसे शहरों में हर चार में से एक वयस्क माइग्रेन से प्रभावित है। इससे लोगों की प्रोडक्टिविटी, मेंटल हेल्थ और लाइफ की क्वालिटी पर बुरा असर पड़ता है। आइए, डॉ. सूर्यनारायण शर्मा पीएम (सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट और स्ट्रोक स्पेशलिस्ट, अपोलो हॉस्पिटल्स, बन्नेरघट्टा, बेंगलुरु) से इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
माइग्रेन अवेयरनेस का महीना है जून
हर साल जून महीना माइग्रेन और सिरदर्द से जुड़ी बीमारियों के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए समर्पित होता है। बैंगनी रंग का रिबन इस अभियान का प्रतीक है, जो माइग्रेन जैसी 'अनदेखी' बीमारियों को गंभीरता से लेने का मैसेज देता है।
माइग्रेन होता क्या है?
माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें मध्यम से लेकर तेज सिरदर्द के साथ-साथ उल्टी, जी घबराना, रोशनी और आवाज से सेंसिटिविटी जैसी समस्याएं होती हैं। यह दर्द आमतौर पर सिर के एक ओर होता है और धड़कता हुआ महसूस होता है।
डायग्नोसिस के लिए मुख्य लक्षण:
- दर्द 4 से 72 घंटे तक रह सकता है
- सिर के एक ओर तेज धड़कन जैसा दर्द
- हल्की एक्टिविटी से भी दर्द बढ़ना
- उल्टी, जी घबराना, तेज रोशनी या आवाज से परेशानी
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माइग्रेन क्यों होता है?
माइग्रेन का कारण सीधे तौर पर मस्तिष्क में खून की नलियों और तंत्रिकाओं की गतिविधि में गड़बड़ी होता है। इसके कुछ नॉर्मल ट्रिगर हैं:
- हार्मोन में बदलाव (विशेषकर महिलाओं में)
- कुछ खास चीजें जैसे चॉकलेट, चीज, शराब
- नींद की कमी या अचानक बदलाव
- तनाव और भूखे रहना
- ज्यादा स्क्रीन टाइम
- तेज रोशनी, तेज गंध या मौसम में बदलाव
महिलाओं में माइग्रेन की समस्या
महिलाओं में माइग्रेन के पीछे सबसे बड़ा कारण है एस्ट्रोजन हार्मोन में उतार-चढ़ाव (Estrogen Withdrawal)। पीरियड्स से ठीक पहले जब एस्ट्रोजन घटता है, तब माइग्रेन का हमला ज्यादा होता है। यही नहीं, पीरियड्स, प्रेगनेंसी, मेनोपॉज- सभी स्टेज में हार्मोनल बदलाव माइग्रेन की गंभीरता को प्रभावित करते हैं।
महिलाओं में माइग्रेन के टाइप
- मेंस्ट्रुअल माइग्रेन – पीरियड्स के आसपास होता है, ज्यादा दर्दनाक होता है।
- माइग्रेन विद ऑरा – सिरदर्द से पहले दिखने की समस्या, सुन्नता या बोलने में कठिनाई होती है।
- माइग्रेन बिना ऑरा के – सामान्य लक्षण जैसे तेज सिरदर्द, उल्टी आदि।
- क्रॉनिक माइग्रेन – महीने में 15 या उससे ज्यादा बार सिरदर्द होना।
बचाव और इलाज
- माइग्रेन के इलाज में दो रणनीतियां अपनाई जाती हैं – तीव्र इलाज (acute) और रोकथाम (preventive)।
- तीव्र इलाज में पेन किलर दवाएं, ट्रिप्टान्स, और मतली रोकने वाली गोलियां दी जाती हैं।
- बार-बार माइग्रेन होने पर रोग को रोकने के लिए बीटा-ब्लॉकर, एंटीडिप्रेसेंट, एंटी-एपिलेप्टिक दवाएं और नए सीजीआरपी इनहिबिटर्स यूज किए जाते हैं।
- लाइफस्टाइल में बदलाव – जैसे नियमित नींद, तनाव कम करना, ट्रिगर से बचना भी बहुत मददगार होता है।
बता दें, माइग्रेन को नजरअंदाज करना महिलाओं के लिए कई बार आगे चलकर बांझपन, एंडोमेट्रियोसिस, जल्दी मेनोपॉज, क्रॉनिक थकान या ऑटोइम्यून बीमारियों के संकेत बन सकता है। इसलिए यह सिर्फ दर्द नहीं, बल्कि एक चेतावनी है- समय रहते इसे पहचानना और इलाज करवाना जरूरी है।
माइग्रेन सिर्फ एक सिरदर्द नहीं है, यह हमारे शरीर में चल रहे अंदरूनी असंतुलन (Hormonal Migraine) की निशानी हो सकता है। खासकर महिलाओं के लिए यह हार्मोनल चेतावनी का काम करता है। सही समय पर इसकी पहचान और इलाज न केवल दर्द को कम कर सकता है, बल्कि भविष्य की बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं से भी बचा सकता है।
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