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    पीरियड की तारीख याद रखना सेहत के लिए भी है फायदेमंद, क्या आप जानते हैं दोनों में कनेक्शन

    Updated: Thu, 22 May 2025 02:47 PM (IST)

    सदियों से ही महिलाएं अपनी मेंस्ट्रुअल साइकिल की तारीख ट्रैक करती आ रही हैं। अब इसे ट्रैक करने के कई ऐप भी आ गए हैं। इस तरह अपनी साइकिल की तारीख याद रखने से आप पीरियड में आए बदलाव लक्षणों पर नजर रख सकते हैं और समय रहते समस्या का पता लगाकर बीमारियों से बची रह सकती हैं।

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    पीरियड को ट्रैक करने के हैं कई फायदे (Picture Credit- Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आपका पीरियड कब आने वाला है, इसके बारे में जानकारी रखने भर से ही आपको अपनी हेल्थ, फर्टिलिटी और हॉर्मोन से जुड़ी काफी महत्वपूर्ण जानकारियां भी मिल जाती हैं। इससे आपको मेंस्ट्रुअल माइग्रेन, प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फॉरिक डिस्ऑर्डर (PMDDI) और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बेहतर जान सकते हैं। आइए जानते हैं पीरियड को ट्रैक करने के और भी फायदों के बारे- 

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    अगली तारीख याद रखने में होगी आसानी

    पीरियड को ट्रैक करने से आप ये याद रख पाएंगी कि आपकी अगली डेट कब होगी। इससे आप किसी अहम कार्यक्रम की प्लानिंग पहले कर सकती हैं, अपने लक्षणों को अच्छी तरह मैनेज कर सकती हैं और साथ ही आप माहवारी के लिए पहले से ही तैयार रहेंगी। इससे आप अपने पीरियड का पैटर्न भी जान सकती हैं कि वह कितने दिनों तक चला और कब आपको ज्यादा दर्द, थकान या मूड में बदलाव महसूस हुए। साथ ही ये भी जान पाएंगी कि एक्ने, ब्लोटिंग जैसी समस्या आपके पीरियड से तो नहीं जुड़ी।

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    किसी गड़बड़ी को पकड़ने में आसानी

    पीरियड ट्रैक करने से आप किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या की वजह से होने वाले बदलावों को जान पाएंगी। अगर आपका पीरियड लंबे समय तक चला, कम दिनों तक रहा या अनियमित रहा तो यह पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) या थायरॉइड डिसऑर्डर के लक्षण हो सकते हैं।

    अपनी हॉर्मोनल हेल्थ का ख्याल रख सकती हैं

    पूरी माहवारी के दौरान ही आपके हॉर्मोन में बदलाव होते रहते हैं। इसका प्रभाव आपके मूड, एनर्जी के स्तर, भूख और नींद पर भी असर पड़ सकता है। आप इस ट्रैकिंग से पता लगा सकते हैं कि आपको माहवारी के किस दिन ज्यादा एनर्जी महसूस होती है और किस दिन ज्यादा थकान।

    फर्टिलिटी के बारे में जान सकती हैं

    अपने पीरियड को ट्रैक करते हुए आप सर्वाइकल म्यूकस और बॉडी टेम्परेचर में होने वाले बदलावों पर ध्यान दे सकती हैं। इससे आप अपने ओव्युलेशन का समय जान सकती हैं। चाहे आप कंसीव करने का प्रयास कर रही हों या नहीं, लेकिन यह जानना बेहद जरूरी है कि आपके गर्भवती होने की संभावना सबसे ज्यादा कब है।

    इन समस्याओं का लगा सकते हैं पता

    कुछ समस्याएं ऐसी होती हैं, जिसमें हॉर्मोन्स में बदलाव देखने को मिलते हैं। काफी सारी महिलाओं को इस बारे में पता नहीं होता कि उनकी कुछ समस्याएं पीरियड से जुड़ी हैं।

    • मेंस्ट्रुअल माइग्रेन: पीरियड शुरू होने से पहले एस्ट्रोजेन का स्तर गिर जाता है, जिसकी वजह से माइग्रेन ट्रिगर हो सकता है।
    • पीएमडीडी: प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फॉरिक डिसऑर्डर, प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम  (PMS) का एक गंभीर रूप है। मूड में होने वाला गंभीर बदलाव, माहवारी शुरू होने के एक से दो हफ्ते पहले शुरू होता है। इसकी वजह से मूड में बदलाव, डिप्रेशन और एंग्जायटी हो सकती है।
    • हैवी ब्लीडिंग: अपने दर्द, पीरियड की अवधि और ब्लड का फ्लो जानकर आप यह पता कर सकते हैं कि एंडोमेट्रियोसिस या फायब्रॉयड की समस्या है या नहीं। आप इस बारे में अपने डॉक्टर से भी बात कर सकती हैं।

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