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    स्मोक नहीं करते, फिर भी हो सकता है लंग कैंसर! इन शुरुआती लक्षणों से करें वक्त रहते पहचान

    Updated: Thu, 24 Jul 2025 08:16 AM (IST)

    लंग कैंसर यानी फेफड़ों में होने वाला कैंसर पहले सिर्फ स्मोकर्स की बीमारी मानी जाती थी। लेकिन हाल के कुछ सालों में इसके कई मामले उन लोगों में भी देखे गए जो सिगरेट या बीड़ी नहीं पीते। नॉन स्मोकर्स में लंग कैंसर के मामले क्यों बढ़ रहे हैं और इसके लक्षण (Lung Cancer Early Symptoms) कैसे होते हैं आइए जानते हैं इस बारे में।

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    लंग कैंसर के इन लक्षणों से रहें सावधान! (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। लंग कैंसर को अक्सर स्मोकिंग से जोड़कर देखा जाता है। कई लोग तो ये भी मानते हैं कि लंग कैंसर सिर्फ उन्हीं लोगों को होता है, जो बीड़ी-सिगरेट पीते हैं। लेकिन हाल के वर्षों में नॉन-स्मोकर्स यानी जिन्होंने कभी स्मोक नहीं किया है, में भी इसके मामले (Lung Cancer in Non-Smokers) तेजी से बढ़ रहे हैं।

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    अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में लंग कैंसर के 20% मामले उन लोगों में पाए जाते हैं, जिन्होंने कभी सिगरेट नहीं पी। वहीं, एशिया के कुछ क्षेत्रों में, खासकर महिलाओं में, यह आंकड़ा 50% तक पहुंच जाता है। ये आंकड़े साफ बयां कर रहे हैं कि लंग कैंसर सिर्फ स्मोकर्स की बीमारी नहीं रह गई है। तो नॉन स्मोकर्स में लंग कैंसर के क्या कारण हैं और इसके लक्षण (Lung Cancer Symptoms) कैसे होते हैं? आइए जानें इस बारे में।

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    नॉन-स्मोकर्स में लंग कैंसर के कारण

    • वायु प्रदूषण- गाड़ियों और उद्योगों से निकलने वाले हानिकारक कण (पीएम 2.5, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड आदि) फेफड़ों में जमकर कैंसर का कारण बन सकते हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार, वायु प्रदूषण लंग कैंसर का सबसे बड़ा कारण है।
    • सेकेंडहैंड स्मोक (पैसिव स्मोकिंग)- अगर आप स्मोक नहीं करते, लेकिन आपके आसपास कोई स्मोकिंग करता है, तो भी आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंच सकता है। सेकेंडहैंड स्मोक में भी 70 से ज्यादा कैंसरकारक तत्व पाए जाते हैं।
    • जेनेटिक म्यूटेशन- कुछ लोगों में एंवायरनमेंटल फैक्टर्स के कारण जीन म्यूटेशन्स होता है, जिससे लंग कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
    • इंडोर प्रदूषण- रसोई में लकड़ी, कोयला या केरोसिन के धुएं के संपर्क में आने से भी फेफड़ों को नुकसान होता है। भारत जैसे देशों में, जहां ग्रामीण इलाकों में चूल्हे का इस्तेमाल होता है, यह एक बड़ा रिस्क फैक्टर है।
    • रेडॉन गैस- यह एक रेडियोएक्टिव गैस है, जो जमीन से निकलकर घरों में जमा हो सकती है। अमेरिका में रेडॉन गैस को लंग कैंसर का दूसरा सबसे बड़ा कारण माना जाता है।
    • वायरस और इन्फेक्शन- HPV (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) और टीबी जैसे इन्फेक्शन भी लंग कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।

    लंग कैंसर के लक्षण कैसे होते हैं?

    लंग कैंसर के लक्षण अक्सर देर से पहचान में आते हैं और जिन लोगों में लक्षण नजर भी आते हैं, वे किसी मामूली बीमारी से मेल खाते हैं, जिसके कारण इसका जल्दी पता लगाना मुश्किल हो जाता है।

    • लंबे समय तक खांसी जो ठीक न हो या बिगड़ती जाए।
    • सांस लेने में तकलीफ (डिस्प्निया) या घरघराहट (व्हीजिंग)।
    • खांसी के साथ खून आना।
    • सीने में दर्द, जो गहरी सांस लेने या खांसने पर बढ़ जाए।
    • आवाज का भारी होना (होर्सनेस)।
    • बिना कारण वजन कम होना और थकान महसूस होना
    • चेहरे, गर्दन या हाथों में सूजन।
    • एक आंख की पुतली छोटी होना, पलक झुकना और चेहरे के एक तरफ पसीना न आना।

    यह भी पढ़ें- पुरुषों के मुकाबले महिलाएं 5 साल पहले होती हैं फेफड़े के कैंसर का शिकार; AIIMS और ICMR के रिसर्च में खुलासा

    Source: 

    American Cancer Society: https://www.cancer.org/cancer/latest-news/why-lung-cancer-strikes-nonsmokers.html#:~:text=Published%20on:%20October%2014%2C%202020,have%20no%20known%20risk%20factors.

    Cleveland Clinic: https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/4375-lung-cancer#symptoms-and-causes