सिर्फ मोटापा नहीं, जान भी ले सकता है फास्ट फूड! एक्सपर्ट से जानें महीने में कितनी बार खाना है सही
फास्ट फूड आज की जीवनशैली का अहम हिस्सा बन गया है, लेकिन इसके गंभीर खतरे हैं। हाल ही में अमरोहा में एक 16 वर्षीय बच्ची की फास्ट फूड के कारण हुई मौत ने ...और पढ़ें

फास्ट फूड: स्वाद के साथ सेहत पर खतरा, एक्सपर्ट की राय (Picture Credit- AI Generated)
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लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज की तेज रफ्तार जिंदगी में फास्ट फूड हमारी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। पिज्जा, बर्गर, मैगी और चाउमीन जैसे फूड्स खाने में भले ही स्वादिष्ट लगें, लेकिन डॉक्टर्स का कहना है कि इन्हें ज्यादा मात्रा में खाने से धीरे-धीरे शरीर को अंदर से नुकसान पहुंचाता है। हाल ही में अमरोहा से सामने आए एक मामले ने फास्टफूड पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
यहां लगातार पिज्जा, बर्गर, मैगी और चाउमीन जैसी फास्टफूड खाने की वजह से एक 16 साल की बच्ची की मौत हो गई। इस मामले के बाद से ही यह सवाल उठ रहा है कि क्या फास्टफूड इस कदर हानिकारक हो सकता है कि यह मौत का कारण बन जाए। इस बारे में विस्तार से जानने के लिए मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, वैशाली में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के सीनियर डायरेक्टर डॉ सुभाशीष मजूमदार से बातचीत की और फास्टफूड से जुड़े कुछ सवालों के जवाब जानने की कोशिश की।
क्या फास्ट फूड वाकई जानलेवा हो सकता है?
डॉक्टर की मानें, तो लगातार फास्ट फूड खाने से मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इन फूड्स में ट्रांस फैट, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, बहुत ज्यादा नमक और चीनी होती है, जो शरीर की मेटाबॉलिक प्रोसेस को बिगाड़ देती है। लंबे समय तक यह स्थिति बनी रहे तो हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी जानलेवा समस्याएं हो सकती हैं।
पिज्जा, बर्गर, मैगी या चाउमीन- क्या ज्यादा खतरनाक है?
डॉक्टर ने यह साफ किया कि सवाल किसी एक फूड का नहीं, बल्कि उसकी गुणवत्ता और बार-बार इसे खाने का है। पिज्जा और बर्गर में ज्यादा कैलोरी और सैचुरेटेड फैट होता है, जबकि मैगी और चाउमीन में सोडियम और रिफाइंड आटा ज्यादा मात्रा में होता है। ये सभी पाचन तंत्र पर दबाव डालते हैं और शरीर में सूजन बढ़ाते हैं। नियमित इन्हें खाने से ये सभी लगभग समान रूप से नुकसानदायक हो सकते हैं।
फास्ट फूड शरीर को अंदर से कैसे नुकसान पहुंचाता है?
फास्ट फूड आंतों में मौजूद गुड बैक्टीरिया की संख्या को कम कर देता है, जिससे पाचन और इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। बहुत ज्यादा नमक किडनी पर असर डालता है और हाई ब्लड प्रेशर की वजह बनता है। वहीं ट्रांस फैट और खराब तेल लिवर में फैट जमा करते हैं, जिससे फैटी लिवर की समस्या हो सकती है। डॉक्टर के मुताबिक, इस तरह का खाना दिमाग पर भी असर डालता है और लंबे समय में थकान, चिड़चिड़ापन और फोकस में कमी का कारण बन सकता है।
मेंटल हेल्थ पर भी असर
बेहद कम लोग ही यह जानते हैं कि ज्यादा फास्ट फूड खाने से मेंटल हेल्थ पर भी असर पड़ता है। रिसर्च बताती है कि बहुत ज्यादा प्रोसेस्ड फूड डिप्रेशन और चिंता जैसी समस्याओं को बढ़ा सकता है। इसका कारण पोषक तत्वों की कमी और ब्लड शुगर में अचानक उतार-चढ़ाव है, जो दिमाग के काम करने के तरीके को प्रभावित करता है।
कितना फास्ट फूड खाना सही है?
डॉक्टर सलाह देते हैं कि फास्ट फूड को आदत नहीं, बल्कि कभी-कभार की पसंद बनाएं। महीने में एक या दो बार सीमित मात्रा में इसे खाना अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जा सकता है, बशर्ते बाकी समय घर का संतुलित भोजन लिया जाए। बच्चों और युवाओं को विशेष रूप से जागरूक रहने की जरूरत है, क्योंकि कम उम्र में बनी आदतें आगे चलकर गंभीर बीमारियों का कारण बनती हैं।
यह भी जानना जरूरी
फास्ट फूड इंस्टेंट एनर्जी और स्वाद का अहसास जरूर देता है, लेकिन इसका लंबे समय तक इस्तेमाल शरीर के लिए खतरनाक हो सकता है। डॉक्टरों का मानना है कि सही जानकारी, संतुलित आहार और संयम ही सबसे बड़ा बचाव है। स्वाद के साथ-साथ सेहत को प्राथमिकता देना आज की सबसे बड़ी जरूरत है।

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