Parkinson Disease: अब साधारण ब्लड टेस्ट से पता चल जाएगा पार्किंसन बीमारी का
Parkinson Disease दिमाग से जुड़ी होती है जो उम्रदराज लोगों को ही अपना शिकार बनाता है। अभी तक इस बीमारी का निदान डॉक्टर लक्षणों को देखकर ही कर रहे हैं लेकिन हाल ही में हुई एक स्टडी भविष्य में निदान को आसान बना सकती है। इसके अनुसार आने वाले समय में सिर्फ ब्लड टेस्ट की मदद से इस बीमारी का पता लगाना मुमकिन हो सकेगा।

लाइफस्टाइल डेसक, नई दिल्ली। Parkinson Disease: पार्किंसन बीमारी के निदान को लेकर हाल ही में एक स्टडी की गई। जिसमें पाया गया कि अब इस बीमारी का निदान ब्लड टेस्ट की मदद से भी मुमकिन हो सकता है। जिससे उम्मीद है कि आगे आने वाले समय में डॉक्टर्स पार्किंसन के शुरुआती चरण का पता लगाने में सक्षम हो सकते हैं।
हालांकि, यह रिसर्च अभी पूरी नहीं हुई है और अभी इस एक्सपेरीमेंट टेस्ट को सभी तक पहुंचने में कुछ साल लग सकते हैं। मौजूदा समय में पार्किंसन रोग का निदान लक्षणों को देख कर किया जाता है। ऐसे में ब्लड टेस्ट इस बीमारी को शुरुआत में ही पकड़ लेने में मदद कर सकता है। शुरुआती चरण में इसका पता लगने से डॉक्टर्स थेरेपी की मदद से पार्किंसन को कंट्रोल कर सकते हैं। आपको बता दें कि जैसे-जैसे यह बीमारी फैलती है, वैसे ही यह तंत्रिका तंत्र को अधिक क्षति पहुंचाती जाती है।
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कैसे काम आएगा ब्लड टेस्ट?
यह टेस्ट माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए को पहुंचे नुकसान का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसे बीमारी से जुड़ा हुआ माना जाता है। शुरुआती अध्ययनों से पता चलता है कि टेस्ट उन लोगों की तुलना में पार्किंसंस के रोगियों के रक्त में क्षति के उच्च स्तर का पता लगा सकता है जिन्हें यह बीमारी नहीं थी।

क्या होती है पार्किंसन डिजीज?
पार्किंसंस एक दिमाग से जुड़ी बीमारी है, जिसकी वजह से शरीर पर काबू रखना मुश्किल हो जाता है। इस बीमारी के लक्षण धीरे-धीरे शुरू होकर गंभीर रूप ले सकते हैं। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, लोगों को चलने, खड़े होने, बात करने और यहां तक कि बैठने में दिक्कत होने लगती है। मरीज के हाथ और पैर लगातार हिलते रहते हैं। अध्ययनों की मानें तो यह बीमारी महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ज्यादा प्रभावित करती है। पार्किंसन बीमारी आमतौपर पर 60 की आयु के बाद ही देखी जाती है। इसके अलावा लगभग 5% से 10% लोग ऐसे हैं, जो 50 वर्ष की आयु से इसके लक्षण का अनुभव करने लगते हैं।
पार्किंसन के शुरुआती लक्षण कैसे होते हैं?
पार्किंसंस डिजीज के लक्षण अक्सर शरीर के एक हिस्से से शुरू होते हैं। जैसे-जैसे यह रोग बढ़ता है वैसे-वैसे यह शरीर के ज्यादा से ज्यादा हिस्सों को प्रभावित करने लगता है।
- हथेली, बाजू, पैर, जबड़े या सिर का लगातार कांपना या तेजी से हिलना
- मांसपेशियों में अकड़न
- फिजिकल एक्टीविटी का मुश्किल हो जाना
- संतुलन का बिगड़ जाना, जिससे कई बार मरीज गिर भी सकता है
- डिप्रेशन और भावनात्मक बदलाव
- निगलने, चबाने और बोलने में कठिनाई
- मूत्र संबंधी समस्याएं
- पांचन खराब होना जैसे कब्ज
- त्वचा संबंधी समस्याएं
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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