पार्किंसंस डिजीज (Parkinson's Disease)
2023 World Parkinsons Day 11 अप्रैल को दुनिया भर में पार्किंसंस डिजीज को लेकर जागरुकता फैलाने के लिए विश्व पार्किंसंस दिवस मनाया जा रहा है। चलिए जानते हैं पार्किंसंस डिजीज के कारण लक्षण और उपचार से लेकर सबकुछ।

हर साल 11 अप्रैल को दुनिया भर में पार्किंसंस डे मनाया जाता है। इसका उद्देश्य है ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक किया जा सके। इसके बावजूद आज भी लाखों ऐसे लोग हैं, जो इस बीमारी का नाम तक नहीं जानते होंगे। पार्किंसंस डिजीज एक मस्तिष्क से जुड़ा विकार है, जिसकी वजह से शरीर कई बार बेकाबू और आपे से बाहर हो जाता है। इस बीमारी के लक्षण धीरे-धीरे शुरू होकर गंभीर रूप ले सकते हैं। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, लोगों को चलने, बात करने समेत कई अन्य गतिविधि में भी कठिनाई होने लगती है।
कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि यह बीमारी महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक प्रभावित करती है। विशेषज्ञ उन कारणों को समझने के लिए अधिक अध्ययन कर रहे हैं, जिसकी वजह से इसका खतरा बढ़ सकता है। पार्किंसंस के पीड़ित अधिकांश लोग 60 वर्ष की आयु के देखे जाते हैं। इसके अलावा लगभग 5% से 10% लोग ऐसे हैं, जो 50 वर्ष की आयु से इसके लक्षण का अनुभव करने लगते हैं।
पार्किंसंस डिजीज का कारण
पार्किंसंस रोग मस्तिष्क के सब्सटांशिया नाइग्रा नामक हिस्से में तंत्रिका कोशिकाओं के नुकसान के कारण होता है। मस्तिष्क के इस हिस्से में तंत्रिका कोशिकाएं डोपामाइन नामक रसायन के उत्पादन के लिए जिम्मेदार होती हैं। ऐसे में जब इन तंत्रिका कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है, तो डोपामाइन के रिलीज मात्रा भी कम हो जाती है और यही इस समस्या का कारण बनती है।
पार्किंसंस डिजीज के कुछ सामान्य लक्षण
पार्किंसंस के लक्षण और इसके बढ़ने का दर हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकता है।
- हथेली, बाजू, पैर, जबड़े या सिर का कांपना
- मांसपेशियों में अकड़न, जहां मांसपेशियां लंबे समय तक सिकुड़ी रहती हैं
- गतिविधि में धीमापन
- बिगड़ा हुआ संतुलन, जो कभी-कभी व्यक्ति के गिरने का कारण बनता है
- डिप्रेशन और भावनात्मक बदलाव
- निगलने, चबाने और बोलने में कठिनाई
- मूत्र संबंधी समस्याएं या कब्ज
- त्वचा संबंधी समस्याएं
पार्किंसंस डिजीज के लक्षण अक्सर शरीर के एक तरफ या एक अंग से शुरू होते हैं। जैसे-जैसे यह रोग बढ़ता है वैसे-वैसे यह शरीर के ज्यादा से ज्यादा हिस्से को प्रभावित करने लगता है। जकड़न और कंपकंपी का अनुभव करने से पहले, रोगी को नींद की समस्या, कब्ज, सूंघने की क्षमता में कमी और पैरों में बेचैनी की समस्या भी हो सकती है।
पार्किंसंस डिजीज का निदान
फिलहाल पार्किंसंस के नॉन-जेनेटिक मामलों की जांच के लिए कोई ब्लड या लैब टेस्ट नहीं है। डॉक्टर आमतौर पर किसी व्यक्ति का मेडिकल इतिहास देखकर और न्यूरोलॉजिकल परीक्षण करके बीमारी का निदान करते हैं।
पार्किंसंस डिजीज के लिए उपचार
अभी तक पार्किंसंस डिजीज का कोई इलाज नहीं है। दवाएं, सर्जिकल ट्रीटमेंट के अलावा कुछ थेरेपी हैं, जिनकी मदद से इसका उपचार मुमकिन है।
दवाओं के अलावा कुछ अन्य उपचार भी हैं
-चलने और बोलने में कठिनाई के लिए कुछ थेरेपी, जिसकी मदद से चलने और आवाज निकलने जैसी समस्या में राहत मिल सकती है।
-शरीर के समग्र स्वास्थ्य के लिए पोषक आहार
-मांसपेशियों को मजबूत, संतुलित और लचीला बनाने के लिए व्यायाम
-तनाव कम करने के लिए मसाज थेरेपी

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