पार्किन्संस डिजीज: जानें बीमारी के लक्षण, इलाज और फिजियोथेरेपी की भूमिका
मस्तिष्क से संबंधित पार्किन्संस नामक बीमारी में शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है। आइए जानते हैं इस बीमारी के लक्षण और इलाज क्या है। इस मर्ज के इलाज में फिजियोथेरेपी की भूमिका क्या है?
पार्किन्संस ऐसी बीमारी है,जिसमें मरीज के दिमाग का एक भाग जिसको हम मिड ब्रेन कहते हैं, वह डोपामाइन नामक न्यूरो केमिकल को कम मात्रा में प्रवाहित करता है। इस कारण मरीज के शरीर और व्यवहार में बदलाव आ जाते हैं। इनमें से कुछ बदलाव इस प्रकार हैं..
1. कार्य की गति में कमी आना। किसी भी काम को करने में पहले की अपेक्षा दोगुना या तिगुना समय लग सकता है जैसे कि अगर मरीज कपड़े पहनने में 5 मिनट लगाता था तो अब वह 10 से 15 मिनट लगा सकता है या पहन ही नहीं सकता।
2. शरीर के संतुलन का बिगड़ना।
3. हाथों और उंगलियों में कंपन होते रहना।
4. बोलने में तुतलाहट।
5. शरीर की गति का कम होना।
6. शरीर की मांसपेशियों का अकड़ना।

डायग्नोसिस
आमतौर पर न्यूरोलॉजिस्ट पार्किन्संस का निदान (डायग्नोसिस) मरीज के लक्षणों के आधार पर ही कर ले लेते हैं। इलाज के बारे में पार्किन्संस को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता, किंतु दवाओं की सहायता से इसके लक्षणों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। डॉ.राजेश कुमार सीनियर न्यूरोलॉजिस्टमेट्रो हॉस्पिटल,नोएडा फिजियोथेरेपी से इलाज पार्किन्संस के मरीजों को फिजियोथेरेपी से काफी राहत मिलती है। इस थेरेपी की कुछ विधियां इस प्रकार हैं..
बैलेंस ट्रेनिंग: इसमें मरीज को शरीर के संतुलन के प्रति जागरूक किया जाता है और संतुलन को बेहतर बनाने के लिए कार्य किया जाता है। जैसे खड़े होकर कदम ताल करना,एक पैर पर खड़े होना, एक लाइन पर सीधे चलना, आगे और पीछे की तरफ चलना और साइड से चलना।
कोऑर्डिनेशन एक्सरसाइज: इसके अंतर्गत बॉल को कैच करना और फेंकना, हाथों और पैरों से फिगर 8 बनाना और गिरने से बचने के उपाय शामिल हैं।
स्ट्रेंग्थेनिंग एक्सरसाइज: पूरे शरीर की मांसपेशिओं की ताकत को बढ़ावा देने के लिए एक्सरसाइज करनी पड़ती हैं, जिनमें से प्रमुख तौर पर कंधों, कमर, कूल्हे और घुटने की एक्सरसाइज शामिल हैं।
स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज: इसमें मरीज को सभी जोड़ों और मांसपेशियों को खींचने (स्ट्रेच) के तरीके बताए जाते हैं। गेट ट्रेनिंग: इसमें मरीज को सही तरीके से चलना सिखाया जाता है।

स्पीच थेरेपी: इसमें मरीज के तुतलाहट और आवाज के कम होने की वजह से आई दिक्कतों का समाधान किया जाता है।
फैमिली एजूकेशन: इसमें मरीज के परिजनों को मरीज की देखरेख और खानपान के बारे में शिक्षित किया जाता है।
सांस की एक्सरसाइज: जैसे प्राणायाम भी पार्किन्संस के मरीजों के लिए लाभप्रद है।
डॉ.सर्वोत्तम चौहान सीनियर फिजियोथेरेपिस्टमेदांता दि मेडिसिटी, गुरुग्राम
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