स्मोकिंग न करने वालों को भी हो रहा गले का कैंसर! डॉक्टर बोले- "इन वजहों से बढ़ जाता है रिस्क"
क्या आप भी अबतक यही मानते आए हैं कि गले का कैंसर सिर्फ स्मोकिंग करने वालों को होता है? अगर हां तो आप गलत हैं! डॉक्टर का कहना है कि यह बीमारी उन लोगों को भी हो सकती है जिन्होंने कभी बीड़ी-सिगरेट को हाथ तक नहीं लगाया है। आइए इस आर्टिकल में जानें इसके पीछे की वजह।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। क्या आप सोचते हैं कि गले का कैंसर सिर्फ धूम्रपान करने वालों को ही होता है? अगर हां, तो इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपकी धारणा पूरी तरह बदल जाएगी। दरअसल, सी.के. बिड़ला हॉस्पिटल, दिल्ली में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी के डायरेक्टर डॉक्टर मनदीप सिंह मल्होत्रा बताते हैं कि गले का कैंसर उन लोगों को भी हो सकता है, जिन्होंने कभी स्मोकिंग नहीं की है।
डॉक्टर ने कुछ ऐसी आदतें और कंडीशन्स (Causes Of Throat Cancer) बताई हैं, जो स्मोकिंग न करने वाले लोगों में भी गले के कैंसर का रिस्क बढ़ा सकती हैं। आइए जानते हैं।
बदलता लाइफस्टाइल और HPV वायरस
स्मोकिंग न करने वालों में गले के कैंसर का मुख्य कारण बनकर उभर रहा है HPV वायरस (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस)। यह एक सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन है, जो शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित कर सकता है- खासकर मुंह और गले के टिशूज को।
एक्सपर्ट का मानना है कि आज की पीढ़ी में सेक्शुअल बिहेवियर में आए बदलाव, जैसे ओरल सेक्स का बढ़ता चलन, HPV (ह्यूमन पैपिलोमावायरस) इन्फेक्शन के तेजी से फैलने का एक मुख्य कारण है। यह बिहेवियर अब पहले से कहीं ज्यादा आम हो गया है, जिसके चलते गले के कैंसर के नए मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।
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सिर्फ वायरस ही नहीं, ये आदतें भी बना रही हैं खतरा
- ज्यादा शराब पीना
- डाइट में फल-सब्जियों की कमी
- मुंह की सफाई में लापरवाही
- प्रदूषण, पेट्रोकेमिकल्स या धूल के संपर्क में आना
- इन सभी कारणों से गले के टिशूज में धीरे-धीरे नुकसान होता है, जिससे कैंसर बनने का खतरा बढ़ता है।
कौन-सा कैंसर है ज्यादा खतरनाक?
स्मोकिंग से होने वाला गले का कैंसर आमतौर पर ज्यादा अग्रेसिव होता है, यानी जल्दी फैलता है और गंभीर होता है। वहीं, HPV से जुड़ा कैंसर आमतौर पर शरीर में फैलने के बाद भी इलाज को बेहतर तरीके से रिस्पॉन्ड देता है।
HPV वाले मामलों में मरीज की गर्दन में गांठें (Lymph Nodes) बड़ी हो सकती हैं, लेकिन इनका इलाज ज्यादा सफल होता है। कीमोथेरेपी और रेडिएशन का असर भी इस पर बेहतर होता है।
अब बिना टांके और चीरे के होती है सर्जरी
डॉक्टर का कहना है कि अब एक आधुनिक तकनीक आई है- Transoral Robotic Surgery (TORS)। इसमें मरीज के मुंह के रास्ते ही रोबोट की मदद से ट्यूमर को हटाया जाता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि न तो कोई बाहरी चीरा लगता है और न ही हड्डियों को काटने की जरूरत पड़ती है।
TORS से शुरुआती स्टेज के कैंसर को बड़ी आसानी से हटाया जा सकता है। और अगर कैंसर एडवांस स्टेज में है, तो डॉक्टर अब एक नई पद्धति अपनाते हैं- बायो-सिलेक्शन।
हर मरीज के लिए अलग इलाज
- इस पद्धति में सबसे पहले 2–3 साइकिल कीमोथेरेपी दी जाती है और देखा जाता है कि ट्यूमर कितना सिकुड़ता है।
- अगर 50-80% तक ट्यूमर घट जाए, तो मरीज को रेडिएशन या TORS जैसे कम इनवेसिव इलाज से ठीक किया जा सकता है।
- अगर ट्यूमर का जवाब अच्छा नहीं हो, तो पहले ऑपरेशन और फिर रेडिएशन की सलाह दी जाती है।
- इस तरह डॉक्टर अब हर मरीज के ट्यूमर के नेचर को समझकर पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट की प्लानिंग कर रहे हैं, जिससे इलाज के साइड इफेक्ट कम हों और रिजल्ट्स बेहतर हों।
सिर्फ धूम्रपान नहीं है गले के कैंसर की वजह
गले का कैंसर अब सिर्फ धूम्रपान करने वालों तक सीमित नहीं रहा। बदलता लाइफस्टाइल, सेक्शुअल बिहेवियर में बदलाव, खान-पान और पर्यावरण से जुड़े कुछ फैक्टर्स ने इसे और जटिल बना दिया है। अच्छी बात यह है कि नई तकनीकों और समझ ने इलाज को और बेहतर बना दिया है।
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