Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सेक्शुअली एक्टिव हैं, तो जरूर कराएं ये STI Tests, वरना जानलेवा साबित हो सकती है आपकी लापरवाही

    क्या आप Sexually Active हैं? अगर हां तो यह आर्टिकल आपके लिए बेहद जरूरी है। अक्सर लोग सेक्शुअल हेल्थ को गंभीरता से नहीं लेते और यही लापरवाही कई बार जानलेवा साबित हो सकती है। जी हां सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन (STI) एक गंभीर समस्या है जो किसी भी सेक्शुअली एक्टिव व्यक्ति को अपना शिकार बना सकती है। इसलिए आपको कुछ STI Tests समय-समय पर करवाते रहने चाहिए। आइए जानें।

    By Nikhil Pawar Edited By: Nikhil Pawar Updated: Tue, 10 Jun 2025 12:38 PM (IST)
    Hero Image
    सेक्शुअली एक्टिव लोगों के लिए क्यों जरूरी हैं रूटीन STI Tests, डॉक्टर से जानें (Image Source: Jagran)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आज भी बहुत से लोगों में STI के बारे में जागरूकता की कमी है और इसी वजह से कई लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं बिना यह जाने कि वे संक्रमित हैं (Why Get STI Tested)। जी हां, इसलिए अगर आप भी सेक्शुअली एक्टिव हैं, तो कुछ खास STI Tests करवाना आपके और आपके पार्टनर की सेहत के लिए बेहद जरूरी है। आइए, आकाश हेल्थकेयर में रोबोटिक यूरोलॉजी, किडनी ट्रांसप्लांट, यूरो-ऑन्कोलॉजी, एंड्रोलॉजी और मेल इनफर्टिलिटी के डायरेक्टर और एचओडी डॉ. विकास अग्रवाल से इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    STI टेस्ट करवाना क्यों है जरूरी?

    बहुत से सेक्सुअल इन्फेक्शन ऐसे होते हैं जिनके शुरुआती दिनों में कोई लक्षण नजर नहीं आते। ऐसे में, लोग सोचते हैं कि अगर कोई तकलीफ नहीं हो रही तो सब कुछ ठीक है, लेकिन हकीकत ये है कि बिना लक्षण के भी ये बीमारियां शरीर में चुपचाप बढ़ती रहती हैं। जी हां, डॉक्टर बताते हैं कि समय के साथ ये इन्फेक्शन गंभीर बीमारियों का रूप ले सकते हैं, जैसे- इनफर्टिलिटी, लिवर डैमेज या यहां तक कि कैंसर। इसलिए STI की नियमित जांच करवाना, न सिर्फ अपनी सेहत की सुरक्षा है, बल्कि अपने पार्टनर की सेहत की जिम्मेदारी भी है।

    STI टेस्टिंग में क्या-कुछ होता है?

    STI टेस्टिंग के दौरान डॉक्टर आपकी सेक्सुअल एक्टिविटीज और हाल के किसी रिस्क के बारे में पूछते हैं। इसके बाद ब्लड टेस्ट, यूरिन टेस्ट और कभी-कभी शरीर के कुछ हिस्सों से स्वैब भी लिए जाते हैं। ब्लड टेस्ट के जरिए HIV, सिफिलिस और हेपेटाइटिस की पहचान होती है। यूरिन टेस्ट से गोनोरिया और क्लेमाइडिया जैसी बीमारियां पकड़ी जाती हैं। वहीं, स्वैब टेस्ट में गले, वजाइना या गुदा से सैंपल लेकर देखा जाता है कि कहीं इन्फेक्शन तो नहीं है। अगर प्राइवेट पार्ट्स पर कोई घाव या बदलाव दिखता है, तो डॉक्टर फिजिकल जांच भी करते हैं।

    यह भी पढ़ें- सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज के कारण, लक्षण व बचाव के तरीके

    किन लोगों को करवाने चाहिए STI टेस्ट?

    सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक नीचे बताए गए लोगों को STI टेस्टिंग के बारे में जरूर सोचना चाहिए।

    सेक्शुअली एक्टिव लोग (13 से 64 साल):

    अगर आप 13 से 64 साल के बीच हैं और सेक्शुअली एक्टिव हैं, तो आपको हर साल कम से कम एक बार HIV की जांच जरूर करवानी चाहिए।

    महिलाओं के लिए:

    • 25 साल से कम उम्र की सेक्शुअली एक्टिव महिलाएं: इन्हें हर साल गोनोरिया और क्लैमाइडिया की जांच करवानी चाहिए।
    • 25 साल या उससे ज्यादा उम्र की महिलाएं (रिस्क होने पर): अगर आपकी उम्र 25 या उससे ज्यादा है और आपको नए पार्टनर, मल्टिपल पार्टनर या ऐसे पार्टनर जिनसे STI होने का खतरा हो, तो इन्हें भी हर साल गोनोरिया और क्लैमाइडिया की जांच करवानी चाहिए।

    प्रेग्नेंट महिलाएं:

    प्रेग्नेंसी के दौरान STI टेस्टिंग मां और बच्चे दोनों के लिए बहुत जरूरी है।

    • सभी प्रेग्नेंट महिलाओं को प्रेग्नेंसी की शुरुआत में सिफलिस, HIV, हेपेटाइटिस B और हेपेटाइटिस C की जांच करवानी चाहिए। जरूरत पड़ने पर यह टेस्ट दोबारा भी हो सकता है।
    • जिन प्रेग्नेंट महिलाओं को STI का रिस्क है, उन्हें प्रेग्नेंसीकी शुरुआत में क्लैमाइडिया और गोनोरिया की भी जांच करवानी चाहिए। कुछ मामलों में इसकी जांच भी दोबारा हो सकती है।

    होमोसेक्सुअल या बाइसेक्सुअल पुरुष और जो पुरुष दूसरे पुरुषों के साथ सेक्सुअल रिलेशन रखते हैं:

    • इन्हें साल में कम से से एक बार सिफलिस, क्लैमाइडिया और गोनोरिया की जांच करवानी चाहिए। अगर आपके मल्टिपल पार्टनर हैं, तो हर 3 से 6 महीने में टेस्ट करवाएं।
    • इन्हें साल में कम से कम एक बार HIV की जांच भी करवानी चाहिए। अगर जरूरत हो, तो हर 3 से 6 महीने में भी जांच करवा सकते हैं।
    • अगर आप HIV पॉजिटिव हैं, तो आपको हर साल हेपेटाइटिस C की भी जांच करवानी चाहिए।

    ड्रग्स के इंजेक्शन शेयर करने वाले लोग:

    एचआईवी टेस्टिंग के लिए, यह सलाह दी जाती है कि जो भी व्यक्ति इंजेक्शन से ड्रग्स लेने वाले टूल्स को शेयर करते हैं, उन्हें साल में कम से कम एक बार अपना टेस्ट जरूर करवाना चाहिए।

    जिन्होंने ओरल या एनल सेक्स किया हो:

    अगर आपने ओरल या एनल सेक्स किया है, तो अपने डॉक्टर से गले और गुदा की जांच के बारे में बात कर सकते हैं।

    STI से जुड़े कुछ इन्फेक्शन्स

    HIV, यानी ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस, शरीर के इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है। अगर इसका इलाज न हो तो यह AIDS में बदल सकता है। HIV कई सालों तक बिना लक्षण के भी रह सकता है, इसलिए समय-समय पर जांच करवाना बहुत जरूरी है।

    गोनोरिया एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है, जो खासतौर पर प्राइवेट पार्ट्स को प्रभावित करता है। इसका लक्षण पेशाब में जलन या जननांगों से रिसाव हो सकता है। इलाज न मिलने पर यह फर्टिलिटी को नुकसान पहुंचा सकता है।

    क्लेमाइडिया भी एक सामान्य बैक्टीरियल STI है, जो महिलाओं और पुरुषों दोनों को प्रभावित करता है। यह संक्रमण भी कई बार बिना लक्षण के होता है, लेकिन आगे चलकर यह गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब या अंडकोष को नुकसान पहुंचा सकता है।

    सिफिलिस एक खतरनाक बीमारी है जो चार चरणों में शरीर को नुकसान पहुंचाती है। इसकी शुरुआत छोटे घाव से होती है, फिर शरीर पर दाने निकल सकते हैं और अगर समय रहते इलाज न किया जाए तो यह दिमाग और दिल को भी प्रभावित कर सकती है।

    हेपेटाइटिस B और C, ये दोनों वायरस लीवर को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे थकावट, पीलिया और पेट में दर्द हो सकता है। हेपेटाइटिस B के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, लेकिन हेपेटाइटिस C का इलाज दवाइयों से किया जाता है।

    HPV, यानी ह्यूमन पैपिलोमावायरस, सेक्शुअल रिलेशन से फैलने वाला एक आम वायरस है। यह प्राइवेट पार्ट्स पर मस्से पैदा कर सकता है और महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की एक बड़ी वजह बन सकता है।

    टेस्ट से डरने की नहीं है जरूरत

    हमारे समाज में अभी भी STI टेस्ट करवाने को लेकर शर्म या झिझक महसूस की जाती है, लेकिन सच्चाई ये है कि यह टेस्ट भी उतना ही जरूरी है जितना कि शुगर या ब्लड प्रेशर की जांच। खुद को हेल्दी रखने के लिए हमें अपने शरीर और सेक्सुअल हेल्थ के प्रति ईमानदार रहना होगा।

    यह भी पढ़ें- सेक्स के दौरान लापरवाही पड़ सकती है भारी, आसानी से हो जाएंगे इन्फेक्शन के शिकार

    Source:

    • Centers for Disease Control and Prevention: https://www.cdc.gov/