इन वजह से कुछ लोगों पर काम नहीं करती वेट लॉस की दवा, कई कोशिशों के बाद भी बढ़ जाता है वजन
वजन कम करने के लिए वेट लॉस ड्रग्स (Weight Loss Drugs) का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। लेकिन आपको बता दें ये कुछ लोगों पर कम असरदार साबित हो सकती हैं। जी हां जिन लोगों का वजन इमोशनल ईटिंग की वजह से बढ़ा है उन पर ये दवाएं कम असरदार होती हैं।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। आजकल मोटापे से जूझ रहे लाखों लोगों के लिए ओजेम्पिक (Ozempic), वीगोवी (Wegovy) जैसी वेट लॉस दवाइयां (Weight Loss Drugs) एक नई उम्मीद बनकर उभरी हैं। ये दवाएं शरीर में भूख के संकेतों को नियंत्रित करके और पेट भरे होने का अहसास देकर कैलोरी इनटेक कम करने में मदद करती हैं।
इसी वजह से ये दवाएं वेट लॉस के लिए इतनी असरदार मानी जा रही हैं। हालांकि, एक नई और अहम स्टडी ने इस चमत्कारी समझी जाने वाली दवाओं का एक अलग पहलू सामने रखा है। स्टडी बताती है कि अगर किसी व्यक्ति के वजन बढ़ने का मुख्य कारण इमोशनल ईटिंग (Emotional Eating) है, तो इन दवाओं का असर सीमित या कम हो सकता है। जी हां, जिन लोगों का वजन इमोशनल ईटिंग के कारण बढ़ा है, उन लोगों पर इन वेट लॉस की दवाओं का असर कम देखने को मिल सकता है
भूख नहीं, भावनाएं हैं जिम्मेदार
इन दवाओं का मैकेनिज्म भूख पर नियंत्रण करना है। लेकिन समस्या तब पैदा होती है जब खाना खाने की वजह पेट की भूख नहीं, बल्कि दिल और दिमाग की भावनाएं होती हैं। इमोशनल ईटिंग एक ऐसी कंडीशन है जहां लोग तनाव, एंग्जायटी, उदासी, बोरियत, या यहां तक कि खुशी जैसे इमोशन्स को मैनेज करने के लिए खाने का सहारा लेते हैं।
ऐसे में व्यक्ति शारीरिक रूप से भूखा नहीं होता, लेकिन फिर भी उसका कुछ न कुछ खाने का मन करता रहता है, खासकर हाई-शुगर, हाई-फैट वाला जंक फूड। जब कोई इमोशनल ईटर इन दवाओं का इस्तेमाल करता है, तो दवा उसकी शारीरिक भूख तो कम कर देती है, लेकिन इमोशनल क्रेविंग्स पर इसका कोई खास असर नहीं होता।
व्यक्ति अब भी तनाव में होने पर चिप्स, चॉकलेट जैसे जंक फूड्स खाना शुरू कर सकता है। दवा शारीरिक भूख को दबा देती है, इसलिए व्यक्ति सामान्य खाना तो कम खाता है, लेकिन इमोशन्स के चलते अनहेल्दी स्नैकिंग जारी रखता है। इससे कैलोरी में कम करने का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाता और वजन घटने की रफ्तार धीमी हो जाती है या फिर वजन वापस बढ़ने लगता है।
तीन प्रकार की ईटिंग आदतें और दवाओं पर असर
इस रिसर्च में खाने की तीन आदतों पर गौर किया-
- इमोशनल ईटिंग- भावनाओं के कारण खाना।
- एक्सटर्नल ईटिंग- बाहरी संकेतों जैसे खाने की खुशबू, देखने में आकर्षक लगना या ऐड देखकर खाने की इच्छा होना।
- रिस्ट्रेन्ड ईटिंग- जानबूझकर डाइट पर कंट्रोल रखना।
नतीजे साफ थे जिन प्रतिभागियों में इमोशनल ईटिंग के लक्षण ज्यादा थे, उन पर वेट लॉस दवाओं का प्रभाव कम और अस्थायी पाया गया। दूसरी ओर, जिनका वजन बढ़ना मुख्य रूप से शारीरिक भूख या बाहरी संकेतों से जुड़ा था, उन्हें इन दवाओं से ज्यादा फायदा मिला।
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