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    सिर्फ थकान और बोरियत ही नहीं है दिन में आने वाली नींद की वजह, जानें कैसे बन सकता है परेशानी का कारण

    क्या आपको भी दिन के समय खूब जम्हाइयां लेते हैं? अगर हां तो क्या आप इसका मतलब जानते हैं? उबासी आना एक नेचुरल प्रक्रिया है लेकिन अगर ज्यादा उबासी आ रही है तो यह परेशानी की ओर इशारा करती है (Sleep Deprivation Effects)। सिर्फ बोरियत की वजह से ही नहीं नींद की कमी के कारण भी बार-बार उबासी आती है। आइए जानें दिन में नींद आना क्यों खतरनाक है।

    By Swati Sharma Edited By: Swati Sharma Updated: Wed, 16 Apr 2025 08:32 AM (IST)
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    Day Sleepiness: दिन में ज्यादा नींद आना है खतरनाक! (Picture Courtesy: Freepik)

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। जब हम रात में पूरी नींद नहीं लेते हैं, तो दिन के समय बार-बार उबासी आना, आंखों में भारीपन और एनर्जी की कमी महसूस होना आम बात हो जाती है। यह समस्या सिर्फ थकान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत (Yawning Dangers) भी हो सकती है।

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    नींद पूरी न होने के कारण दिन में नींद आना न सिर्फ हमारे रोजमर्रा के रूटीन को प्रभावित करता है, बल्कि यह लंबे समय में कई खतरनाक बीमारियों को भी जन्म दे सकता है। आइए जानें कैसे नींद पूरी न होना या अच्छी नींद न आना (Day Sleepiness) आपको नुकसान (Sleep Deprivation Effects) पहुंचा सकता है। 

    हाल ही में, अमेरिका अकादमी ऑफ स्लीप मेडिसिन के एक पेपर में भी नींद पूरी न होने के कारण सेहत को होने वाले नुकसान की ओर ध्यान खींचने की कोशिश की गई है। इस पेपर के मुताबिक, नींद की कमी के कारण (health risks of sleepiness) कई दिन में बार-बार उबासी आना, सोचने-समझने से जुड़ी परेशानियां, एक्सीडेंट्स और मेंटल हेल्थ की समस्याएं हो सकती हैं। 

    नींद पूरी न होने के कारण (Reasons of Sleep Deprivation)

    नींद की कमी के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे-

    • इनसोम्निया- नींद न आना या बार-बार नींद टूटना।
    • स्ट्रेस और एंग्जायटी- मेंटल प्रेशर के कारण नींद प्रभावित होती है।
    • अनहेल्दी डेली रूटीन- देर रात तक जागना या नाइट शिफ्ट में काम करना।
    • नींद संबंधी बीमारियां- स्लीप एप्निया, रेस्टलेस लेग सिंड्रोम आदि।
    • गलत खान-पान- ज्यादा कैफीन या बहुत तला-भुना और मसाले वाला खाना खाना।

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    दिन में नींद आने के खतरे (Excessive Daytime Sleepiness Health Risks)

    फोकस और प्रोडक्टिविटी में कमी

    नींद पूरी न होने से दिमाग ठीक से काम नहीं कर पाता, जिससे फोकस करने में दिक्कत होती है। इसका सीधा असर काम करने की क्षमता और फैसले लेने की क्षमता पर पड़ता है।

    दुर्घटनाओं का खतरा

    नींद की कमी से गाड़ी चलाते समय या मशीनों पर काम करते समय फोकस कम हो जाती है, जिससे एक्सीडेंट्स होने का खतरा बढ़ जाता है।

    मोटापा और डायबिटीज का खतरा

    नींद की कमी शरीर के हार्मोन्स को प्रभावित करती है, जिससे भूख बढ़ जाती है और मोटापे का खतरा होता है। साथ ही, नींद की कमी इंसुलिन रेजिस्टेंस को बढ़ाकर टाइप-2 डायबिटीज का कारण बन सकती है।

    दिल की बीमारियों का जोखिम

    नींद पूरी न होने से ब्लड प्रेशर बढ़ता है और दिल पर ज्यादा दबाव पड़ता है। लंबे समय तक नींद की कमी हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा सकती है

    मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

    पूरी नींद न लेने से स्ट्रेस, एंग्जायटी और डिप्रेशन जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं। नींद की कमी दिमाग में सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे हैप्पी हार्मोन्स को कम कर देती है।

    इम्यून सिस्टम का कमजोर होना

    नींद शरीर की इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करती है। नींद पूरी न होने से इन्फेक्शन और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

    कैसे सुधारें नींद की गुणवत्ता? (How to Get a Proper Sleep?)

    • नियमित सोने का समय तय करें- रोजाना एक ही समय पर सोएं और जागें।
    • शाम को कैफीन और निकोटीन से बचें- ये नींद में बाधा डालते हैं।
    • सोने से पहले स्क्रीन टाइम कम करें- मोबाइल और लैपटॉप की ब्लू लाइट नींद भगाती है।
    • आरामदायक वातावरण बनाएं- शांत, अंधेरा और ठंडा कमरा नींद के लिए बेहतर होता है।
    • ध्यान और योग करें- इससे मन शांत होता है और नींद अच्छी आती है।
    • डॉक्टर से सलाह लें- अगर नींद न आने की समस्या लगातार बनी रहे, तो डॉक्टर से सलाह लें।

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    Source:

    Journal of Clinical Sleep Medicine: https://jcsm.aasm.org/doi/10.5664/jcsm.11658