आपको भी है लाइट जलाकर सोने की आदत, तो अनजाने में दे रहे हैं डायबिटीज और मोटापे को बुलावा
हर किसी के सोने का तरीका अलग होता है। किसी को हल्की सी रोशनी में भी नींद नहीं आती तो वहीं कुछ ऐसे भी हैं जिनके लिए बिना लाइट जलाए सोना मुश्किल होता है। अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो लाइट जलाकर सोते हैं तो इससे आपकी सेहत को कई तरह से नुकसान हो सकता है। आइए जानते हैं लाइट जलाकर सोने के नुकसान।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। अगर कमरे में आपका पार्टनर मोबाइल इस्तेमाल कर रहा है या साइड टेबल की लाइट जलाकर रीडिंग कर रहा हो या फिर खिड़की से छनकर कमरे में रोशनी आ रही हो तो आप सोने में परेशानी महसूस करते हैं। स्टडी बताती है कि सोते वक्त कमरे की लाइट जलाना हमारे सर्केडियन क्लॉक में बाधा पहुंचाती है और हमारे स्वास्थ्य पर भी असर डालती है।
अलर्ट हो जाता है ब्रेन
अगर हम कमरे में लाइट जलाकर सोते हैं तो हमारा ब्रेन अलर्ट हो जाता है। आपकी आंखें बंद होने के बावजूद भी ये आपकी नींद में खलल डालती है और आपके ब्रेन को गहरी नींद में जाने से रोकती है। साल 2016 में हुई स्टडी से पता चला था कि जो लोग सोते वक्त लाइट जलाते हैं, उनकी नींद रोजाना दस मिनट तक कम हो जाती है। उन्हें दिन में थकान महसूस होती है, आलस आता है और वे अच्छी तरह अपना काम नहीं कर पाते।
मेलाटोनिन कम हो जाता है
जब अंधेरा होता है तो आपका ब्रेन नींद लाने वाला हॉर्मोन मेलाटोनिन बनाता है, जिससे आपको नींद आने में मदद मिलती है और आपके सोने-जगने का साइकिल सही रहता है। शाम के वक्त आपके मेलाटोनिन का स्तर नेचुरली बढ़ जाता है, लेकिन ज्यादा रोशनी के संपर्क में रहने से ये हॉर्मोन देर से रिलीज होता है। खासकर, तेज लाइट और स्क्रीन या कुछ खास प्रकार के बल्ब की नीली रोशनी नींद उड़ा देती है।
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सर्केडियन रिदम भी हो जाता है गड़बड़
आपके शरीर के अंदर भी एक नेचुरल क्लॉक होती है, सर्केडियन रिदम। ये रिदम भी आपके सोने-जगने के साइकिल को नियंत्रित करता है। रोशनी इस साइकिल को ऑन-ऑफ करने का एक दमदार सिग्नल होता है, जैसे कि स्विच। जब हम सो रहे होते हैं तो रोशनी के संपर्क में आने से सर्केडियन रिदम में रुकावट आ जाती है। तेज रोशनी में सोना आपके इंटरनल क्लॉक को भ्रमित कर देती है और आपके सोने का पैटर्न बिगड़ जाता है।
लाइट दे सकती है डायबिटीज और मोटापा भी
नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में साल 2022 में हुई रिसर्च बताती है कि सोते वक्त हल्की रोशनी भी आपकी सेहत को नुकसान पहुंच सकती है। शोधकर्ताओं ने माना कि रोशनी में धड़कनें बढ़ जाती हैं और शरीर पूरी तरह रेस्ट की अवस्था में नहीं आ पाता, जिससे मोटापा और हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ सकता है।
स्ट्रीट लाइट भी डालती है असर
स्टडी में ये भी बताया गया है कि जिनके घरों में स्ट्रीट लाइट की रोशनी ज्यादा आती है उन्हें भी इस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है, खासकर शहरों में रहने वाले लोगों को।
कैसे बचें इससे
- ब्लैकआउट परदे या शेड्स लगाएं
- आई मास्क लगाएं
- फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स को कवर कर दें
- अलार्म क्लॉक की लाइट को कम पर रखें
- कमरे की रोशनी जलाने की बजाय हॉल और बाथरूम की लाइट जलाएं
अगर अंधेरे में न आए नींद
- बच्चे और कई बार बड़ों को भी अंधेरे कमरे में नींद नहीं आती, ऐसे में कुछ उपाय किए जा सकते हैं।
- अगर लाइट जलाना पड़े तो हल्की जलाएं जो कि बिलकुल फ्लोर के पास हो।
- लाइट का रंग महत्वपूर्ण होता है। पीली, लाल या ऑरेंज लाइट ब्रेन को उतना अलर्ट नहीं करती, लेकिन व्हाइट या ब्लू लाइट न जलाएं और उसे सोते हुए इंसान से दूर रखें।
- अपने बेड को इस तरह रखें कि बाहर से आती हुई रोशनी सीधे आपके चेहरे पर न पड़े।
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