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    बच्चों में न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर की वजह बन रहा Dengue, स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

    Updated: Fri, 26 Sep 2025 09:06 AM (IST)

    डेंगू भारत में हर साल एक बड़ी समस्या बनकर आता है। हम सब इसके सामान्य लक्षणों जैसे तेज बुखार शरीर में दर्द और प्लेटलेट कम होने से वाकिफ हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है? दरअसल हाल ही में हुई एक रिसर्च से पता चला है कि डेंगू का वायरस अब बच्चों के दिमाग और नर्वस सिस्टम पर भी असर डाल रहा है।

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    डेंगू कर रहा बच्चों के मस्तिष्क पर प्रहार, बना रहा दिव्यांग (Image Source: Freepik)

    गजाधर द्विवेदी, गोरखपुर। एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से होने वाला डेंगू बच्चों के मस्तिष्क को प्रभावित कर दिव्यांग बना सकता है। यह पता चला है क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (आरएमआरसी) के एक -अध्ययन में अध्ययन 56 बच्चों - किशोरों पर किया गया। डेंगू से संक्रमित होकर इंसेफ्लाइटिस के शिकार बने इन बच्चों के प्रारंभिक उपचार में लापरवाही बरती गई, जिससे वायरल लोड बढ़ने से वायरस मस्तिष्क में पहुंचा। इससे बुखार के साथ उन्हें झटके आने लगे।

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    'ठीक' हुए 22 बच्चे निकले दिमागी रूप से बीमार

    2018-19 में बीआरडी मेडिकल कालेज में भर्ती ये बच्चे ठीक होकर घर चले गए थे। उसके पांच साल बाद इन बच्चों के स्वास्थ्य का आकलन किया गया। 22 बच्चों में न्यूरोलाजिकल समस्याएं (मानसिक दिव्यांगता) मिलीं। इसमें से एक की मृत्यु हो चुकी है। इस अध्ययन को यूके के जर्नल 'ओपेन फोरम इन्फेक्शियस डिजीजेज' ने इसी माह प्रकाशित किया है।

    जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) के शिकार बच्चों में दिव्यांगता की बात तो पूर्व के अध्ययन में सामने आ चुकी है। नए अध्ययन में आरएमआरसी ने यह जानने की कोशिश की कि क्या डेंगू की वजह से इंसेफ्लाइटिस के शिकार बच्चों में भी न्यूरोलाजिकल समस्याएं आ रही हैं? अध्ययनकर्ता दल की अगुआई कर रहीं डॉ. नेहा श्रीवास्तव ने 2018-19 में डेंगू से इंसेफ्लाइटिस के शिकार 56 बच्चों को अध्ययन का हिस्सा बनाया।

    बुखार के बाद भी जिंदगी पर असर

    वर्ष 2023-24 में शुरू हुए अध्ययन के दौरान टीम ने इनके घर जाकर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का आकलन किया। 34 बच्चे पूरी तरह स्वस्थ मिले। मानसिक दिव्यांगता के चलते एक बच्चे की मृत्यु हो गई थी। 11 बच्चों में हल्की न्यूरोलाजिकल समस्याएं थीं, जिससे उनके व्यवहार में परिवर्तन आया था। चार बच्चों का एक हाथ या पैर काम नहीं कर रहा था। बोलने व सुनने में भी समस्या थी। छह बच्चे दैनिक कार्यों के लिए दूसरों पर निर्भर थे। उक्त सभी 21 बच्चों में चीजों को याद रखने की क्षमता कम मिली। गोरखपुर-बस्ती मंडल व इससे सटे बिहार व नेपाल के जिलों में लंबे समय से जापानी इंसेफ्लाइटिस वायरस भय का पर्याय रहा है। पिछले सात-आठ वर्षों से इसका प्रकोप लगभग खत्म हो गया है।

    डेंगू केवल संक्रमण तक सीमित नहीं है। यह लंबे समय तक मानसिक, शारीरिक और व्यावहारिक दिक्कतें छोड़ सकता है। इसलिए समय पर पहचान, गहन देखभाल और पुनर्वास की व्यवस्था बेहद जरूरी है। - डॉ. नेहा श्रीवास्तव, अध्ययनकर्ता

    प्रभावित बच्चों के न्यूरोलाजिकल स्वास्थ्य पर डेंगू के असर का आकलन किया गया। परिणाम बताते हैं कि कई बच्चे स्वस्थ हो गए, लेकिन कुछ में लंबे समय तक मानसिक और शारीरिक कठिनाइयां बनी रहती हैं। - डॉ. अशोक पांडेय, मीडिया प्रभारी, आरएमआरसी

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