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    Deadlifting ने छीन ली 27 साल के शख्स की आंखों की रोशनी, डॉक्टर ने बताई चौंकाने वाली वजह

    Updated: Mon, 13 Oct 2025 03:54 PM (IST)

    अगर आप भी उन लोगों में से हैं, जो रेगुलर जिम जाते हैं और भारी वजन उठाते हैं, तो यह आर्टिकल पढ़ना आपके लिए बेहद जरूरी है। दरअसल, हाल ही में एक ऐसी घटना सामने आई जिसने सभी को हैरान कर दिया है। बता दें, 27 साल के एक स्वस्थ युवक ने जिम में Deadlifting करते समय अचानक अपनी एक आंख की रोशनी खो दी।

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    Gym की एक गलती से युवक ने गंवा दी आंखों की रोशनी (इमेज सोर्स: प्रतीकात्मक/एआई जेनरेटेड) 

    लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। जिम में वर्कआउट करना शरीर के लिए फायदेमंद है, लेकिन कभी-कभी एक छोटी-सी गलती बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है। हाल ही में 27 वर्षीय एक युवक के साथ कुछ ऐसा हुआ जिसने सभी को चौंका दिया। भारी वजन उठाने (Deadlifting) के दौरान उसकी एक आंख की रोशनी अचानक चली गई। यह मामला डॉक्टरों के लिए भी हैरान करने वाला था।

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    deadlift blindness

    क्या है पूरा मामला?

    सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर एक रील के जरिए डॉ. आशीष मार्कन बताते हैं कि युवक जिम में डेडलिफ्ट कर रहा था। वजन बहुत भारी था, इसलिए उसने पूरी ताकत लगाई और सांस रोककर स्ट्रेन किया। कुछ ही सेकंड में उसे महसूस हुआ कि उसकी एक आंख से दिखना बंद हो गया है। जहां जांच के बाद पता चला कि उसे वल्साल्वा रेटिनोपैथी (Valsalva Retinopathy) नाम का एक दुर्लभ डिसऑर्डर हुआ है।

     
     
     
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    क्या होती है वल्साल्वा रेटिनोपैथी?

    यह एक ऐसी आंखों की समस्या है जिसमें अचानक दबाव बढ़ने से रेटिना में मौजूद महीन रक्त वाहिकाएं फट जाती हैं। ऐसा तब होता है जब कोई व्यक्ति भारी वजन उठाते समय या बहुत जोर लगाने के दौरान सांस रोक लेता है। परिणामस्वरूप आंख में खून जमा हो जाता है और देखने में दिक्कत आती है। हालांकि, यह समस्या ज्यादातर मामलों में कुछ हफ्तों में खुद ठीक हो जाती है, लेकिन ध्यान न देने पर यह गंभीर रूप ले सकती है।

    ज्यादा वजन उठाने से आंखों पर क्या पड़ता है असर?

    जब हम डेडलिफ्ट, स्क्वाट्स या अन्य भारी एक्सरसाइज करते हैं, तो शरीर के अंदर प्रेशर अचानक बढ़ जाता है। यह प्रेशर सीधे आंखों की नाजुक रक्त वाहिकाओं तक पहुंच सकता है। अगर कोई व्यक्ति लगातार सांस रोककर या गलत तरीके से स्ट्रेन करता है, तो आंखों में ब्लीडिंग हो सकती है। यही कारण है कि जिम करने वाले लोग भी इस जोखिम से पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं।

    how to prevent deadlift injury

    वर्कआउट करते समय क्यों नहीं रोकनी चाहिए सांस?

    वर्कआउट के दौरान कई लोग अपनी रीढ़ को स्थिर रखने और ताकत बढ़ाने के लिए सांस रोककर वजन उठाते हैं। इसे वल्साल्वा मैनूवर (Valsalva Maneuver) कहा जाता है। हालांकि यह तकनीक प्रदर्शन को बेहतर कर सकती है, लेकिन इससे शरीर में दबाव बहुत तेजी से बढ़ता है, जो आंखों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

    इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज

    अगर किसी व्यक्ति को अचानक बिना दर्द के धुंधलापन महसूस हो, आंखों के सामने परछाई या 'काला पर्दा' दिखे, तो तुरंत आई स्पेशलिस्ट से संपर्क करना चाहिए। ऐसे लक्षण रेटिना में ब्लीडिंग या प्रेशर बढ़ने का संकेत हो सकते हैं। समय पर इलाज कराने से स्थायी नुकसान से बचा जा सकता है।

    इन बातों का रखें ख्याल

    • बहुत भारी वजन उठाने से पहले ट्रेनर से सही तकनीक सीखें।
    • वजन उठाते समय सांस रोकने के बजाय धीरे-धीरे छोड़ें।
    • अगर सिर चकराए या आंखों में धुंधलापन महसूस हो तो तुरंत एक्सरसाइज रोक दें।
    • अपनी लिमिट को समझें और शरीर पर अनावश्यक दबाव न डालें।

    यह घटना सभी जिम जाने वालों के लिए एक चेतावनी है। फिटनेस जरूरी है, लेकिन सही तकनीक और शरीर की सीमाओं का ध्यान रखना उससे भी ज्यादा जरूरी है।

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