क्यों चिंता का कारण बना 15 लोगों की जान लेने वाला Bleeding Eye Virus, जानें इसके लक्षण और इलाज
दुनियाभर में इन दिनों Bleeding Eye Virus चिंता का विषय बना हुआ है। यह वायरस अब तक रवांडा में 15 लोगों की जान ले चुका है। इसे मारबर्ग वायरस डिजीज के प्रमुख लक्षणों में से एक होने की वजह से यह नाम दिया गया है। यह वायरस आमतौर पर फ्रूट बैट से फैलता है। आइए जानते हैं इस वायरस से जुड़ी जरूरी बातें।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। बीते दिनों दुनिया के कई हिस्सों में मारबर्ग, एमपॉक्स और ओरोपॉच के बढ़ते मामलों को लेकर चेतावनी जारी की गई थी। इसी बीच अब एक नए वायरस 'ब्लीडिंग आई' वायरस (Bleeding Eye Virus) को लेकर चिंता बढ़ गई है। इस वायरस में रवांडा में अब तक 15 लोगों की जान ले ली है और कई लोगों को संक्रमित कर दिया है। यह 'ब्लीडिंग आई' वायरस मारबर्ग के गंभीर लक्षणों से मिला है, जो गंभीर मामलों में आंखों, नाक या मुंह से ब्लीडिंग का कारण (Bleeding Eye Virus Causes) बन सकता है। आइए जानते हैं इस वायरस के बारे में विस्तार से-
क्या है 'ब्लीडिंग आई' वायरस?
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक मारबर्ग वायरस डिजीज, जिसे पहले मारबर्ग हेमरेजिक फीवर के नाम से जाना जाता था मनुष्यों में एक गंभीर और अक्सर घातक बीमारी है। रूसेटस एजिपियाकस, टेरोपोडिडे परिवार का एक फ्रूट बैट, मारबर्ग वायरस का प्राकृतिक मेजबान माना जाता है।
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यह वायरस फाइलोवायरस परिवार का एक बेहद संक्रामक पैथोजन है, जो इबोला वायरस से काफी हद तक संबंधित है। यह मारबर्ग वायरस डिजीज (एमवीडी) का कारण बनता है, जो एक गंभीर ब्लीडिंग फीवर है, जिसमें मृत्यु दर काफी ज्यादा होती है।
क्या लक्षण हैं?
मारबर्ग वायरस डिजीज के लक्षण (Bleeding Eye Virus Symptoms) आम तौर पर इस वायरस के संपर्क में आने से 2 से 21 दिन बाद दिखाई देते हैं। बात करें इसके शुरुआती लक्षणों की, तो इसका शुरुआती लक्षण निम्न हैं-
- तेज बुखार
- गंभीर सिरदर्द
- मांसपेशियों में दर्द
- तबीयत खराब होना
इसके बाद अलावा वायरस के संपर्क में आने के तीसरे दिन तक दस्त,पेट दर्द, ऐंठन, मतली और उल्टी जैसे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण विकसित होने लगते हैं। वहीं, पांचवें दिन से, ब्लीडिंग हो सकती है, जिसमें उल्टी और मल में खून और नाक, आंख, कान, मुंह, मसूड़ों या योनि से ब्लीडिंग शामिल है। गंभीर मामलों में, लक्षण शुरू होने के आठ से नौ दिनों के बीच, ज्यादा ब्लड लॉस और शॉक के बाद मौत भी हो सकती है।
कैसे फैलता है?
मारबर्ग वायरस संक्रमित व्यक्तियों के बॉडी फ्लूइड, दूषित सतहों या बिस्तर और कपड़ों जैसी संक्रमित चीजों के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। मूल रूप से यह वायरस फ्रूट बैट के संपर्क में आने से फैलता है। ये चमगादड़ इस वायरस के नेचुरल होस्ट होते हैं।
कैसे करें निदान?
इस वायरस के निदान के लिए एंटीजन डिटेक्शन, आरटी-पीसीआर और वायरस आइसोलेशन जैसे लैब टेस्ट की जरूरत होती है। समय से इसकी रोकथाम के लिए जल्दी और इसकी सही निदान बेहद जरूरी है।
इस वायरस का इलाज क्या है?
वर्तमान में, मारबर्ग वायरस डिजीज के लिए कोई वैक्सीन या एंटीवायरल इलाज नहीं है। ऐसे में फिलहाल इसका कोई इलाज मौजूद नहीं है।
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