विटामिन-डी की कमी दूर करने के लिए सिर्फ धूप लेना नहीं है काफी, इन 4 बातों का भी रखना होगा ध्यान
विटामिन-डी की कमी के कारण सिर्फ हड्डियां कमजोर नहीं होती। इस वजह से मांसपेशियों में दर्द, कमजोर इम्युनिटी, हेयर फॉल और डिप्रेशन जैसी परेशानियां (Vitamin-D Deficiency Symptoms) भी हो सकती हैं। इसलिए इसकी कमी से बचना जरूरी है। हालांकि, विटामिन-डी का अब्जॉर्प्शन बढ़ाने के लिए सिर्फ धूप लेना काफी नहीं है और भी कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।

विटामिन-डी की कमी कैसे दूर करें? (Picture Courtesy: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। विटामिन-डी एक ऐसा विटामिन है, जो हमारे शरीर के लिए काफी जरूरी है। यह हड्डियों की मजबूती, इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने और मूड अच्छा बनाए रखने के लिए काफी जरूरी है। लेकिन फिर भी एक बड़ी आबादी में आजकल विटामिन-डी की कमी (Vitamin-D Deficiency) देखने को मिलती है।
विटामिन-डी कम होने के कारण हड्डियों में दर्द, बार-बार बीमार पड़ना, बाल झड़ना और मांसपेशियों में दर्द जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए विटामिन-डी की कमी से बचना जरूरी है। हालांकि, विटामिन-डी की कमी पूरी करने के लिए सिर्फ धूप लेना काफी नहीं है। इस बात पर भी ध्यान देना जरूरी है कि हमारा शरीर उसे ठीक से अब्जॉर्ब करे। आइए जानते हैं विटामिन-डी का अब्जॉर्प्शन बढ़ाने के लिए किन बातों (Tips to Boost Vitamin-D Absorption) का ध्यान रखना चाहिए।
सही तरीके और सही समय पर लें धूप
धूप विटामिन-डी का सबसे बड़ा और नेचुरल सोर्स है, लेकिन धूप लेने का तरीका और समय बेहद मायने रखता है।
- सही समय- सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच की धूप सबसे असरदार मानी जाती है, क्योंकि इस दौरान सूरज की किरणों में UVB रेडिएशन की मात्रा सबसे ज्यादा होती है। यही रेडिएशन हमारी त्वचा में विटामिन-डी सिंथेसिस का काम करता है।
- सही अवधि- रोजाना लगभग 15-20 मिनट की सीधी धूप काफी है। जरूरी नहीं कि पूरे शरीर को धूप दिखाएं, हाथ-पैर और चेहरा खुला होना भी काफी है।
- ध्यान रखें- त्वचा का रंग गहरा होने पर विटामिन-डी बनने की प्रक्रिया धीमी हो सकती है, ऐसे में थोड़ा ज्यादा समय धूप में बिताने की जरूरत हो सकती है। वहीं, सनस्क्रीन लगाने से पहले कुछ देर बिना सनस्क्रीन के धूप लेना फायदेमंद रहता है।
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डाइट में शामिल करें हेल्दी फैट्स
विटामिन-डी एक फैट-सॉल्यूबल विटामिन है। इसका मतलब है कि यह शरीर में फैट की मौजूदगी में ही ठीक से घुलता और अब्जॉर्ब होता है। इसलिए, सिर्फ विटामिन-डी से भरपूर डाइट लेना ही काफी नहीं है, बल्कि उसे हेल्दी फैट्स के साथ लेना जरूरी है।
- हेल्दी फैट के सोर्स- अपनी डाइट में एवोकाडो, बादाम, अखरोट, ऑलिव ऑयल, फ्लैक्स सीड्स, सीड्स और फैटी फिश को शामिल करें।
- कैसे खाएं- अगर आप विटामिन-डी सप्लीमेंट ले रहे हैं, तो उसे खाने के साथ लें, खासकर ऐसे खाने के साथ जिसमें थोड़ी मात्रा में हेल्दी फैट्स हो। दूध या दही जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स में भी विटामिन-डी होता है और ये अपने आप में कुछ मात्रा में फैट भी रखते हैं।
गट हेल्थ का रखें ध्यान
हमारा पाचन तंत्र यानी गट, पोषक तत्वों के अब्जॉर्प्शन का सेंटर है। अगर आंतों का स्वास्थ्य ठीक नहीं है, तो चाहे आप कितना भी पोषण क्यों न ले लें, वह ठीक से अब्जॉर्ब नहीं हो पाएगा। विटामिन-डी का अब्जॉर्प्शन भी इसी प्रक्रिया पर निर्भर करता है।
- प्रोबायोटिक्स हैं जरूरी- प्रोबायोटिक्स अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो आंतों के स्वास्थ्य को दुरुस्त रखते हैं। दही, छाछ, इडली, डोसा, किमची और अन्य फर्मेंटेड फूड्स प्रोबायोटिक्स के बेहतरीन सोर्स हैं।
- फाइबर से भरपूर डाइट- प्रीबायोटिक्स लेना भी जरूरी है, क्योंकि ये प्रोबायोटिक बैक्टीरिया के लिए फूड का काम करते हैं। एक स्वस्थ आंत विटामिन-डी सहित सभी फैट-सॉल्यूबल विटामिन्स के अब्जॉर्प्शन के लिए जरूरी है।
कैफीन और अल्कोहल की मात्रा सीमित करें
हमारी लाइफस्टाइल की कुछ आदतें विटामिन-डी के मेटाबॉलिज्म और अब्जॉर्प्शन में बाधा डाल सकती हैं। इनमें कैफीन और अल्कोहल भी शामिल हैं।
- कैफीन- ज्यादा मात्रा में कॉफी, चाय या एनर्जी ड्रिंक्स विटामिन-डी रिसेप्टर्स को प्रभावित कर सकता है, जिससे इसका अब्जॉर्प्शन कम हो जाता है।
- अल्कोहल- अल्कोहल लीवर पर दबाव डालता है, और लीवर वह अंग है जो विटामिन-डी को उसके एक्टिव करने का काम करता है।
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Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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