Navratri 2025: व्रत में क्यों खाते हैं कुट्टू का आटा... आखिर किस तरह होता है तैयार?
आप साल भर भले ही कुट्टू के आटे को भूल जाएं लेकिन व्रत आते ही इसकी याद सबसे पहले आती है। क्या कभी आपने सोचा है कि इस आटे में ऐसा क्या खास है कि इसे व्रत के खान-पान में शामिल किया जाता है? आइए इस नवरात्र (Navratri 2025) आपको बताते हैं इससे जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में।

लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। नवरात्र हों, शिवरात्रि या फिर कोई भी अन्य व्रत, हमारे मन में सबसे पहले कुट्टू की पूड़ी या पकौड़ी का ख्याल जरूर आता है, मगर क्या आपने कभी सोचा है कि बाकी सारे अनाजों को छोड़कर व्रत में सिर्फ कुट्टू का ही आटा क्यों इस्तेमाल होता है? क्या यह महज एक परंपरा है या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण भी छिपा है (Why Kuttu is consumed in Navratri)? आइए, इस बारे में विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि यह हमारे शरीर के लिए इतना फायदेमंद क्यों है।
क्या है कुट्टू का आटा?
कुट्टू का आटा असल में किसी अनाज से नहीं बनता। अगर आप इसे गेहूं, चावल या जौ जैसा समझते हैं, तो आप गलत हैं। कुट्टू एक प्रकार का फल है, जिसे 'बकव्हीट' (Buckwheat) कहते हैं। यह एक पौधे पर उगता है, जिसके तने लाल और फूल सफेद या गुलाबी होते हैं। जब यह पौधा पूरी तरह से पक जाता है, तो इस पर छोटे-छोटे, तिकोने आकार के फल आते हैं। इन्हीं फलों को सुखाकर और पीसकर कुट्टू का आटा बनाया जाता है। यही वजह है कि इसे अनाज की श्रेणी में नहीं रखा जाता और व्रत में इसका सेवन किया जाता है।
कैसे तैयार होता है कुट्टू का आटा?
कुट्टू का आटा बनाने की प्रक्रिया बहुत सिंपल है। सबसे पहले, कुट्टू के पौधे जब पूरी तरह से पक जाते हैं, तो उनके तिकोने फलों को इकट्ठा किया जाता है। इन फलों को अच्छी तरह से साफ करने के बाद, इन्हें तेज धूप में सुखाया जाता है। इस बात का ध्यान रखा जाता है कि फलों में नमी बिल्कुल भी न रहे, क्योंकि नमी रहने से आटा जल्दी खराब हो सकता है।
जब फल पूरी तरह से सूख जाते हैं, तो इन्हें मशीनों या पारंपरिक चक्की में पीस लिया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद, हमें भूरे रंग का बारीक पाउडर मिलता है, जिसे हम कुट्टू का आटा कहते हैं। बाजार में यह आटा आसानी से उपलब्ध है, लेकिन अगर आप चाहें, तो इन फलों को घर लाकर भी पीस सकते हैं।
व्रत में क्यों खाया जाता है कुट्टू का आटा?
कुट्टू का आटा व्रत में खाया जाने वाला सबसे पॉपुलर फूड ऑप्शन है और इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं:
- धार्मिक कारण: भारतीय परंपरा के अनुसार, व्रत में केवल सात्विक भोजन ही खाया जाता है। क्योंकि कुट्टू को अनाज नहीं, बल्कि एक फल माना जाता है, इसलिए यह व्रत के नियमों के अनुकूल होता है। यही वजह है कि लोग इसे धार्मिक रूप से शुद्ध मानकर इसका सेवन करते हैं।
- ग्लूटेन-फ्री: कुट्टू का आटा ग्लूटेन-फ्री होता है, जो इसे गेहूं से अलग बनाता है। जिन लोगों को ग्लूटेन से एलर्जी है या जो अपनी डाइट से ग्लूटेन हटाना चाहते हैं, उनके लिए यह एक बेहतरीन ऑप्शन है।
- एनर्जी का सोर्स: व्रत के दौरान, शरीर को एक्स्ट्रा एनर्जी की जरूरत होती है ताकि कमजोरी न आए। कुट्टू का आटा कार्बोहाइड्रेट्स का एक अच्छा सोर्स है, जो शरीर को धीरे-धीरे ऊर्जा प्रदान करता है और लंबे समय तक पेट भरा महसूस कराता है।
- पोषक तत्वों का भंडार: यह आटा सिर्फ व्रत के लिए नहीं, बल्कि सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, मैग्नीशियम, आयरन और विटामिन B-कॉम्प्लेक्स जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये सभी पोषक तत्व हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
- पाचन में आसानी: कुट्टू में मौजूद फाइबर की मात्रा इसे पचाने में आसान बनाती है। व्रत के दौरान जब पाचन क्रिया धीमी हो जाती है, तो कुट्टू का आटा पेट को हल्का रखता है और अपच या पेट फूलने जैसी समस्याओं से बचाता है।
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