Shibu Soren: गुरुजी ने 'कमांडो' रखा था इनका नाम; शादी भी करवाई, शिबू सोरेन के दिल के करीब थे ये 3 लोग
झामुमो के संस्थापक शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार मंगलवार को उनके पैतृक गांव नेमरा में होगा। उनका अंतिम संस्कार नाड़ी दरहा नाला में किया जाएगा जहां 50 हजार से अधिक लोगों के शामिल होने की संभावना है। उनके बचपन के साथी जैसे ईश्वर महतो और शनिचर मांझी भी अंत्येष्टि में शामिल होंगे। झारखंड आंदोलनकारी बाबूलाल मांझी भी शिबू सोरेन को अंतिम विदाई देंगे।

राज्य ब्यूरो, रांची। झामुमो के संस्थापक एवं राज्यसभा सदस्य शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार (Shibu Soren Last Rites) मंगलवार को अपराह्न के बाद उनके पैतृक गांव गोला प्रखंड के बरलंगा थाना अंतर्गत नेमरा गांव में संपन्न होगा। उनका अंतिम संस्कार नेमरा गांव के पहाड़ी के तलहटी में स्थित नाड़ी दरहा नाला (बड़की नदी नाला) में किया जाएगा।
इसी के साथ शिबू सोरेन मंगलवार को अपनी पुरखों की माटी में विलीन हो जाएंगे। अंत्येष्टि में 50 हजार से अधिक लोगों के शामिल होने की संभावना है। अंत्येष्टि में शिबू सोरेन के बचपन के साथी भी शामिल होंगे।
'हमने गुरुजी के साथ लाठी खाई'
इनमें पहला नाम है मांडू प्रखंड केदला बस्ती के ईश्वर महतो का। वह 15 साल की उम्र से गुरुजी के साथ थे। यह बताते हैं कि हमने गुरुजी के साथ पुलिस की लाठी खाई है। तभी जाकर राज्य अलग हुआ था। ये बताते हैं कि शिबू सोरेन जैसे आज तक कोई पैदा नहीं हुआ। उनकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। सबको एक दिन जाना ही है।
गुरुजी ने इनका नाम रखा 'कमांडो'
हसदगढ़ा कुज्जु, मांडू प्रखंड के निवासी शनिचर मांझी का भी शिबू सोरेन से गहरा लगाव था। शिबू सोरेन ने इनका नाम कमांडो रखा था। बचपन में मां-बाप के निधन के बाद शनिचर मांझी गुरुजी से जुड़े थे।
यह झारखंड आंदोलनकारी हैं। यह अपने साथ तीर कमान रखते थे। इन्होंने प्रतिज्ञा की थी कि झारखंड राज्य अलग होगा तब शादी करेंगे। गुरुजी ने ही इनकी शादी करवाई।
झारखंड आंदोलन में जेल गए थे बाबूलाल मांझी
अगला नाम है कुज्जु रामगढ़ के निवासी बाबूलाल मांझी का। ये भी झारखंड आंदोलनकारी हैं। झारखंड आंदोलन में जेल गए थे। इनका भी शिबू सोरेन के साथ काफी गहरा नाता रहा।
ये संथाली आदिवासी हैं। इनकी भाषा होड़ है। इनके समाज मे मिट्टी देने की परंपरा है, लेकिन कुछ लोग अग्नि संस्कार भी करते हैं। शिबू सोरेन के परिवार में अग्नि संस्कार होता है।
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