Jharkhand News: JPSC नियुक्ति घोटाले में नया मोड़, CBI कोर्ट ने इन 5 बड़े अफसरों की बढ़ाई मुश्किलें
द्वितीय जेपीएससी नियुक्ति घोटाला मामले में नया मोड़ आ गया है। सीबीआई की विशेष अदालत ने 5 अफसरों के खिलाफ नए सिरे से जांच करने का आदेश दिया है। इन अफसरों में कई दिग्गज नाम शामिल हैं। अदालत ने सीबीआई की चार्जशीट पर सवाल उठाए हैं जिसमें कहा गया है कि जांच के दौरान इन अफसरों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला।

राज्य ब्यूरो, रांची। Jharkhand News: द्वितीय जेपीएससी नियुक्ति घोटाला मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत ने पांच अफसरों के खिलाफ नए सिरे से जांच करने का आदेश दिया है। इन अफसरों में प्रशांत कुमार लायक, लाल मनोज नाथ शाहदेव, कुमार शैलेंद्र, हरि उरांव और कुमारी गीतांजलि शामिल हैं।
अदालत ने सीबीआइ की चार्जशीट पर सवाल उठाए हैं। सीबीआइ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि जांच के दौरान प्रशांत लायक, लाल मनोज नाथ शाहदेव, कुमार शैलेंद्र, हरि उरांव और कुमारी गीतांजली के खिलाफ के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला।
विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने इसपर सवाल उठाते हुए अपने आदेश में लिखा है कि यह सभी प्राथमिकी के नामजद अभियुक्त हैं और इनपर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
अदालत ने क्या सब कहा?
अदालत ने हसन भाई वली भाई बनाम गुजरात सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के आलोक में इन अभियुक्तों के खिलाफ नए सिरे से जांच कर पूरक आरोप पत्र दायर करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने अपने आदेश की कापी सीबीआइ के ब्रांच हेड को भेजने का निर्देश दिया है।
सीबीआइ कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि जांच सही तरीके से नहीं की गई है। चयन प्रक्रिया में व्यवस्थागत अनियमितताएं स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही हैं। कई चयनित अभ्यर्थियों को परीक्षा के सभी स्तरों पर पीटी, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार के समय पक्षपात किया गया है। मामले के जांच अधिकारी दोषपूर्ण तथ्यों के प्रति उदासीन बने रहे तथा उनकी विस्तार से जांच नहीं की।
जांच अधिकारी ने यह भी जांच नहीं की कि क्या अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए कोई भुगतान या धन आदि की स्वीकृति हुई है। अदालत ने कहा कि मामले से संबंधित फारेंसिक रिपोर्ट में पांचो नामजद आरोपितों के द्वारा नंबरों में बदलाव किए जाने का ब्योरा भी उपलब्ध है। इसके अलावा जांच अधिकारी ने इन्हें आरोप मुक्त करने के लिए किसी कारण का उल्लेख नहीं किया है।
अदालत ने कहा- नए सिरे से जांच होना आवश्यक
हालांकि, परीक्षा में बड़े पैमाने पर अनियमितता होने की बात कही है। ऐसे में नए सिरे से जांच जरूरी है। न्यायालय ने आदेश में कहा है कि जेपीएससी की नियुक्तियों में अनियमितता के सिलसिले में हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी।
बुद्ध देव उरांव बनाम राज्य सरकार के इस मामले में हाइकोर्ट के आदेश के आलोक में प्रथम और द्वितीय जेपीएससी सहित नियुक्तियों के लिए आयोजित की गई 16 परीक्षाओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। मामले की सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से दायर शपथ पत्र में भी परीक्षा के दौरान अनियमितता बरतने की बात कही गई थी।
सरकार की ओर से दाखिल शपथपत्र से क्या पता चला?
सरकार की ओर से दाखिल शपथपत्र से पता चलता है कि 172 चयनित उम्मीदवारों की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच में 139 की उम्मीदवारी संदिग्ध पाई गई, जिसमें कटिंग और ओवर राइटिंग के बाद अंक बढ़ाए या घटाए गए थे। असफल उम्मीदवारों की उत्तरपुस्तिकाओं की जांच की गई।
इसमें 120 उम्मीदवारों के मूल अंक कम कर दिए गए थे। इन तथ्यों के मद्देनजर जांच अधिकारी को याचिकाकर्ता का बयान दर्ज कर रिकार्ड पर लाना चाहिए था, लेकिन जांच अधिकारी ने ऐसा नहीं किया है।
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