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    विरोध किया तो तबादला, बात मानी तो मलाई: निलंबित IAS विनय चौबे ने कैसे बुना शराब घोटाले का जाल? कोर्ट में तमाम अफसरों ने माना मास्टरमाइंड

    Updated: Tue, 30 Dec 2025 07:52 PM (IST)

    एसीबी की जांच में झारखंड शराब घोटाला मामले में पूर्व प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे को मास्टरमाइंड बताया गया है। कोर्ट में कई पूर्व व वर्तमान अधिकारियों ...और पढ़ें

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    कोर्ट में 5 बड़े अफसरों ने कहा- विनय चौब ही थे शराब घोटाले के असली सूत्रधार।

    राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य में शराब घोटाला मामले में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत जांच कर रही एसीबी ने उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के पूर्व प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे के कार्यकाल से जुड़े संदिग्धों व अधिकारियों का कोर्ट में बयान दर्ज कराया है।

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    सबने अपने बयान में विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे को ही शराब घोटाले का मास्टरमाइंड बताया है। एसीबी ने अब तक पूर्व आयुक्त उत्पाद आइएएस अधिकारी सह वाणिज्यकर आयुक्त अमीत कुमार, डीसी रामगढ़ फैज अक अहमद मुमताज व पूर्वी सिंहभूम के डीसी कर्ण सत्यार्थी के अलावा विभाग के तत्कालीन संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह व मैनपावर आपूर्ति एजेंसी मेसर्स मार्शन के स्थानीय प्रतिनिधि नीरज कुमार का बयान कोर्ट में दर्ज करवा दिया है।

    सबके बयान का सार यही है कि तत्कालीन विभागीय सचिव विनय कुमार चौबे ने जो चाहा, विभाग में वही हुआ। जिसने विरोध किया, उसे कार्रवाई या तबादला झेलना पड़ा। एक-एक कर कई आयुक्त उत्पाद बदलते गए। वे बात नहीं मानने वालों को इस्तीफा देने का दबाव बनाते रहे। फर्जी बैंक गारंटी देने वालों को संरक्षण दिया। एमआरपी से अधिक कीमत पर शराब की बिक्री कराई।

    छत्तीसगढ़ में ब्लैकलिस्ट शराब कारोबारियों को झारखंड में शराब के धंधे में उतारा और उनसे कमीशन में मोटी रकम वसूली तथा काम दिया।

    गजेंद्र सिंह ने किया था विरोध

    उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के तत्कालीन संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह ने कोर्ट को अपने बयान में बताया कि उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य म्यूनिसिपल कारपोरेशन लिमिटेड को परामर्शी बनाने व छत्तीसगढ़ माडल पर उत्पाद नीति को झारखंड में लागू करने का विरोध किया था।

    उन्होंने तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे को बताया था कि यह माडल पूर्व में फ्लाप हो चुका है। इसके बावजूद तत्कालीन उत्पाद सचिव विनय कुमार चौबे ने उनकी सलाह नहीं मानी। मई 2022 में उत्पाद नीति राज्य में लागू हो गई।

    विरोध करने वालों को इस्तीफा देने का दबाव बनाया गया। प्लेसमेंट एजेंसियों ने राजस्व लक्ष्य को पूरा नहीं किया। इसके बावजूद जेएसबीसीएल ने उनकी बैंक गारंटी से कटौती नहीं की। मेसर्स मार्शन इनोवेटिव व मेसर्स विजन हास्पिटालिटी नामक प्लेसमेंट एजेंसी ने फर्जी बैंक गारंटी पर मैनपावर आपूर्ति का ठेका ले लिया, उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई।

    एसीबी ने जांच में पाया

    एसीबी ने भी जांच में पाया है कि उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के तत्कालीन सचिव विनय कुमार चौबे ने नियमों को ताक पर रखकर अपनी चहेती प्लेसमेंट एजेंसियों को मैनपावर आपूर्ति का ठेका दिया। फर्जी बैंक गारंटी देने वाली प्लेसमेंट एजेंसियों पर कार्रवाई के बदले उन्हें काम दिया। इससे विभाग को करीब 38 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचा।

    एसीबी ने अपनी जांच को आगे बढ़ाया तो पाया कि शराब घोटाले का यह मामला करीब 100 करोड़ रुपये या इससे अधिक के हैं। राज्य में एमआरपी से अधिक कीमत पर शराब की बिक्री करवाकर भी अधिकारियों ने अवैध वसूली की है।

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