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    शिक्षकों के लिए TET पास करना अनिवार्य, SC के फैसले के खिलाफ नहीं जाएगी सरकार; आंदोलनकारियों का अब क्या होगा?

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 07:19 PM (IST)

    झारखंड सरकार शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं करेगी। शिक्षा विभाग दो साल में कम से कम दो टेट परीक्षाएं कराने पर ध्यान केंद्रित करेगा ताकि अधिक शिक्षक उत्तीर्ण हो सकें। विभाग का मानना है कि पुनर्विचार याचिका टिकने की संभावना कम है।

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    शिक्षकों के लिए TET पास करना अनिवार्य। फाइल फोटो

    नीरज अम्बष्ठ, रांची। प्रारंभिक शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) उत्तीर्ण होने की अनिवार्यता संबंधित सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध झारखंड सरकार शीर्ष कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल नहीं करेगी। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग इसकी कोई पहल नहीं करेगा।

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    अलबता विभाग का प्रयास होगा कि दो वर्षों में कम से कम दो शिक्षक पात्रता परीक्षा अनिवार्य रूप से आयोजित की जा सके, ताकि इस अवधि में अधिक से अधिक प्रारंभिक शिक्षक यह पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण हो सकें।

    दरअसल, विभाग का यह मानना है कि कोर्ट में रिव्यू पिटीशन अक्सर टिकता नहीं है। इसलिए रिव्यू पिटीशन दाखिल करने से अधिक सुलभ रास्ता समय पर टेट आयोजित कराना होगा। विभाग इसपर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के रुख तथा दिशा-निर्देश का भी इंतजार करेगा।

    बताते चलें कि सर्वोच्च न्यायालय ने कार्यरत उन सभी प्रारंभिक शिक्षकों के लिए यह पात्रता परीक्षा दो वर्षों के भीतर उत्तीर्ण होना अनिवार्य किया है, जिनकी सेवा पांच वर्ष से अधिक बची है।

    दो वर्षों में यह परीक्षा उत्तीर्ण नहीं होने पर उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति लेनी होगी, नहीं तो सरकार ही उन्हें सेवा से हटा देगी। इससे राज्य के लगभग 30 हजार वैसे प्रारंभिक शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं, जो फ्री एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के लागू होने के पूर्व नियुक्त हैं।

    यदि सर्वोच्च न्यायालय का आदेश सहायक अध्यापकों (पारा शिक्षकों) पर भी लागू होता है तो यह संख्या काफी अधिक बढ़ जाएगी। दूसरी तरफ, इन शिक्षकों का कहना है कि चूंकि वे इस कानून के लागू होने से पूर्व से कार्यरत हैं, इसलिए यह उनपर लागू नहीं होना चाहिए।

    सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध देशभर के शिक्षक लामबंद हो रहें हैं। वहीं, विभिन्न शिक्षक संघ आंदोलन कर रहे हैं।

    राज्य में वर्ष 2016 के बाद नहीं हुई है टेट परीक्षा

    आरटीई लागू होने के बाद राज्य में शिक्षक पात्रता परीक्षा केवल दो बार ही आयोजित हुई है। पहली परीक्षा वर्ष 2012 तथा दूसरी परीक्षा 2016 में हुई है।

    इसके बाद यह परीक्षा नियमावली के पेंच में फंसी हुई है। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के निर्देश के बाद जैक द्वारा आवेदन मंगाने के बाद भी यह परीक्षा नहीं हो सकी। वर्तमान में भाषा विवाद के कारण यह परीक्षा लंबित है।

    क्या चाहते हैं प्रभावित प्रारंभिक शिक्षक

    सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से प्रभावित शिक्षक चाहते हैं कि झारखंड सरकार तथा केंद्र सरकार कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल करें। साथ ही आरटीई कानून और नियमावली में संशोधन कर इसे सुनिश्चित किया जाए कि कानून तथा नियमावली लागू होने के पूर्व नियुक्त शिक्षकों पर टेट उत्तीर्ण होने की अनिवार्यता नहीं होगी।

    हालांकि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के विरुद्ध कानून या नियमावली में संशोधन करना अवमानना का मामला हो सकता है। बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड सहित कुछ राज्यों ने सर्वोच्च न्यायालय में उक्त आदेश के विरुद्ध रिव्यू पिटीशन दाखिल किया है।

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