PESA Act: पेसा एक्ट को लेकर सरकार का बड़ा एलान, सभी की सहमति और सुझाव के बाद होगा लागू
झारखंड सरकार सभी की सहमति से त्रुटि रहित और ठोस पेसा नियमावली लागू करेगी। इसके लिए आदिवासी बुद्धिजीवियों और सामाजिक संगठनों के सुझावों पर विचार किया जाएगा। सरकार ने कहा है कि नियमावली में आदिवासी समुदाय के हितों का ध्यान रखा जाएगा और उनकी परंपरागत स्वशासन व्यवस्था के अधिकारों को बरकरार रखा जाएगा। संशोधित ड्राफ्ट में आवश्यक बदलाव किए जाएंगे।

राज्य ब्यूरो, रांची। PESA Act: राज्य के जनजातीय बहुल क्षेत्रों में पंचायतों को विशेष अधिकार देने वाली पेसा (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरियाज एक्ट) नियमावली सभी की सहमति से ही लागू की जाएगी। नियमावली त्रुटि रहित तथा ठोस होगी, ताकि बाद में उसपर कोई विवाद न हो।
इसमें आदिवासी समुदाय के हितों को अनदेखा नहीं किया जाएगा तथा परंपरागत स्थानीय स्वशासन व्यवस्था के अधिकार भी बरकरार रहेंगे।
पेसा विचार गोष्ठी कार्यशाला का आयोजन
पेसा नियमावली के प्रविधानों को लागू करनेवाले प्रमुख विभागों के मंत्रियों ने यह आश्वासन मंगलवार को होटल रेडिसन में आयोजित 'पेसा विचार गोष्ठी कार्यशाला' में आदिवासी बुद्धिजीवियों, सामाजिक संगठनों एवं अन्य हितधारकों को दिया।
मंत्रियों ने कहा कि इस कार्यशाला में जो भी सुझाव आए हैं, सरकार उन्हें लागू करने के लिए पेसा नियमावली के ड्राफ्ट में एक बार फिर संशोधन करेगी।
इससे पहले, कार्यशाला में आदिवासी बुद्धिजीवियों ने राज्य सरकार द्वारा जारी पेसा नियमावली के संशोधित ड्राफ्ट के कई प्रविधानों पर भी आपत्तियां दर्ज कीं। इस क्रम में उन्होंने कई सुझाव भी दिए। कहा गया कि पेसा नियमावली में झारखंड पंचायती राज अधिनियम 2011 के प्रविधानों को थोपा नहीं जाए।
खासकर परंपरागत स्वशासन व्यवस्था के अधिकारों का किसी भी हाल में हनन न हो। पेसा कानून लागू होने के इतने समय बाद भी नियमावली लागू नहीं होने पर भी सवाल उठाए।
आठ समूहों के माध्यम से आए सुझावों एवं आपत्तियों को सुनने के बाद सभी मंत्रियों ने आश्वासन दिया कि पेसा एक्ट की भावना से खिलवाड़ नहीं होगा। परंपरागत स्वशासन व्यवस्था के साथ किसी तरह का छेड़छाड़ भी नहीं होगा।
आदिवासी समुदाय से भी लें राय: के राजू
इससे पहले कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी व राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के पूर्व अपर सचिव के राजू ने स्पष्ट रूप से सुझाव दिया कि राज्य सरकार पेसा नियमावली किसी हड़बड़ी में कैबिनेट में न लाए।
सरकार गांवों में जाकर उन आदिवासी समुदाय से भी राय ले, जिनके लिए यह नियमावली लागू की जानी है। दूसरे राज्यों में लागू नियमावली का भी अध्ययन करे तथा वहां के अच्छे प्रविधानों को अपनी नियमावली में सम्मिलित करे।
उन्होंने पेसा नियमावली लागू करने के लिए जन प्रतिनिधि अधिनियम में भी संशोधन की वकालत की। उन्होंने कहा कि जमीन अधिग्रहण में ग्राम सभा की सहमति लेनी ही होगी, नहीं तो आदिवासी विरोध करेंगे। झारखंड में माडल पेसा रूल लागू हो ताकि दूसरे राज्य भी इसका अनुशरण कर सकें।
यह फाइनल ड्राफ्ट नहीं, परंपरागत व्यवस्था से नहीं होगी छेड़छाड़ : दीपिका
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जारी पेसा नियमावली का ड्राफ्ट अंतिम ड्राफ्ट नहीं है।
कार्यशाला में आई आपत्तियों और सुझावों को ध्यान में रखकर अंतिम ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा और परंपरागत स्वशासन व्यवस्था में कोई छेड़छाड़ नहीं होगा। पेसा एक्ट की मूल् भावना और संविधान के प्रविधानों के अनुसार ही नियमावली लागू की जाएगी।
समय लगे, लेकिन दुरुस्त नियमावली होगी लागू : दीपक बिरुआ
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दीपक बिरुआ ने कहा कि भले ही पेसा नियमावली तैयार करने में और समय लगे, लेकिन राज्य सरकार की मंशा एक दुरुस्त नियमावली लागू करने की है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि सभी की भावनाओं एवं संवेदनाओं को ध्यान में रखकर ड्राफ्ट में संशोधन किया जाएगा।
दिलीप सिंह भूरिया की रिपोर्ट का भी हो अध्ययन : शिल्पी नेहा तिर्की
कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान पेसा कानून को लेकर जो उलझनें हैं, उन्हें सुलझा पाना इतना आसान नहीं है, लेकिन सरकार ने सकारात्मक सोच के साथ आलोचनाओं को आमंत्रित किया है।
उन्होंने कहा कि दिलीप सिंह भूरिया समिति की रिपोर्ट को अध्ययन करने की जरूरत है। उसमें राज्य सरकार और ग्राम सभा के बीच बेहतर समन्वय जानकारी मिलेगी। आदिवासी समाज में सामूहिकता की भावना होती है। आज जरूरत है अपने दायित्व और जिम्मेदारी को समझने की।
सर्वसम्मति से लागू होगी नियमावली : रामदास सोरेन
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के मंत्री रामदास सोरेन ने भी कहा कि कार्यशाला में जो भी सुझाव आए हैं, उन सभी पर विचार कर ही नियमावली लागू की जाएगी। ड्राफ्ट में संशोधन कर आम सहमति बनाकर पेसा नियमावली लागू की जाएगी।
प्रस्तावित नियमावली के प्रमुख प्रविधान
- लघु खनिज की रॉयल्टी तथा शुल्क से मिलनेवाली राशि ग्राम सभा के कोष में जमा होगी। लघु खनिज की पहचान कर योजना बनाना भी इसका कार्य होगा।
- बालू घाटों का संचालन ग्राम सभा के माध्यम से होगा। जेसीबी एवं अन्य मशीनों से बालू खनन पर ग्राम सभा रोक लगा सकेगी।
- पुलिस प्रयास करेगी कि किसी की गिरफ्तारी से पहले ग्राम सभा की स्वीकृति ले। ग्राम सभा 48 घंटे के अंतर्गत गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी ले सकेगी।
- ग्राम सभा एसटी की जमीन को वापस करा सकेगी।
- वनों की सुरक्षा, संवर्द्धन और प्रबंधन की जिम्मेदारी ग्राम सभा की होगी।
- ग्राम सभा लघु वनोपज की खरीद एवं बिक्री के लिए न्यूनतम मूल्य तय कर सकेगी तथा रायल्टी का निर्धारण कर सकेगी।
- ग्राम सभा की अनुमति के बिना शराब एवं अन्य मादक पदार्थ की बिक्री नहीं होगी।
नियमावली के ड्राफ्ट पर आई आपत्तियां व राय
राज्य सरकार तीन वर्ष से केवल पेपर पर नियमावली बना रही है। प्रस्तावित नियमावली में पुरखों की व्यवस्था पर गांधी का ग्राम स्वराज थोपने का प्रयास है। इसमें पारंपरिक स्वशासन के अगुवा से भी राय लेनी चाहिए थी। ग्राम सभा को कार्यपालिका का भी अधिकार मिलना चाहिए। अनुसूचित क्षेत्र में पंचायती राज अधिनियम तथा झारखंड नगरपालिका अधिनियम को हटाना होगा।
ग्लैडसन डुंगडुंग।
जनजातीय स्वभाव को कायम रखने के लिए कानून बनाया गया है। सभी की भावनाओं का ख्याल रखते हुए ही राज्य में पेसा लागू किया जाएगा।
राजेश कच्छप, विधायक।
राज्य में लागू खनन, भूमि अधिग्रहण के नियमों में व्यापक बदलाव की जरूरत है। इसमें बदलाव किए बिना पेसा कानून लागू नहीं किया जा सकता।
जेवियर कुजूर।
ड्राफ्ट में ग्रामसभा को शक्तियां नहीं दी जा रही हैं। इसमें फर्जी ग्रामसभा की नींव डालने जैसा है।
इतिमल कंडुलना।
पंचायती राज अधिनियम को पेसा नियमावली में थोप नहीं सकते। ड्राफ्ट में जमीन अधिग्रहण कानून, 2015 लागू करने की बात कही गई है। तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा लागू कानून को ढोने का काम किया जा रहा है।
दयामनी बारला।
राज्य सरकार सीधे पेसा कानून बिना कोई संशोधन के अंगीकृत करे। पेसा लागू करते समय ग्रामसभा का अर्थ सार्थक रखना होगा।
विक्टर माल्टो।
ये भी
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।