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    Shibu Soren: 'उस काली रात शिबू सोरेन शांत थे और हम डर रहे थे', गिरफ्तारी वारंट के बाद अंडरग्राउंड होने की कहानी

    Updated: Tue, 05 Aug 2025 02:55 PM (IST)

    शिबू सोरेन झारखंड आंदोलन के नायक हमेशा जनता के बीच रहे। 2004 में कोयला मंत्री बनने के बाद चिरूडीह नरसंहार मामले में वारंट जारी होने पर वे अंडरग्राउंड हो गए थे। इस दौरान वे अपने साथियों के साथ झारखंड-बंगाल सीमा के पंचेत स्थित भाल्का गांव पहुंचे। बोदी हांसदा ने उस समय के डर को याद किया। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद शिबू सोरेन ने आत्मसमर्पण किया।

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    चिरूडीह नरसंहार मामले में शिबू सोरेन हुए थे अंडरग्राउंड।

    आशीष अंबष्ठ, धनबाद। झारखंड आंदोलन के नायक दिशोम गुरुजी शिबू सोरेन ने कहा था हमेशा जनता के बीच हूं और हमेशा रहूंगा। आखिरी समय तक वह जन प्रतिनिधि के रूप में काम करते रहे।

    साल 2004 में पहली बार कांग्रेस गठबंधन सरकार में केंद्रीय कोयला मंत्री बने। लेकिन पद संभालने के कुछ ही दिन बाद 17 जुलाई 2004 को जामताड़ा उप-विभागीय न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने उन पर चिरूडीह नरसंहार मामले में गैर-जमानती वारंट जारी किया।

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    इसके बाद गुरुजी अंडरग्राउंड हो गए। अंडरग्राउंड रहने के दौरान गुरुजी अपने कुछ करीबी साथियों के साथ झारखंड-बंगाल सीमा से सटे पंचेत पहुंचे।

    जामताड़ा से बराकर होते हुए वे निरसा विधानसभा क्षेत्र के पंचेत थाना अंतर्गत भाल्का गांव पहुंचे और यहां कुछ समय रुके।

    बोदी हांसदा याद करते हैं वो वक्त

    गुरुजी के साथ रहे बोदी हांसदा ने याद करते हुए कहा कि उस समय बहुत डर लग रहा था। पुलिस की गश्त चल रही थी, रात का अंधेरा और जंगल का सन्नाटा था। लेकिन गुरुजी शांत थे।

    उन्होंने कहा, 'सब चुप रहो, हम निकल जाएंगे, पुलिस को पता भी नहीं चलेगा। पुलिस को भनक लगी कि गुरुजी भाल्का गांव में हैं, लेकिन समर्थकों की मदद से वे पुरुलिया के रास्ते निकल गए।

    30 जुलाई 2004 को एक प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा था कि मैं हमेशा जनता के बीच हूं और हमेशा रहूंगा। बताया जाता है कि इसके बाद गुरुजी कई स्थानों पर छिपते रहे।

    हाईकोर्ट ने दिया था सरेंडर करने का आदेश

    झारखंड उच्च न्यायालय ने 2 अगस्त 2004 को उन्हें आत्मसमर्पण का आदेश दिया। इसके बाद वे पहली बार अंडरग्राउंड से निकलकर सार्वजनिक रूप से लोगों के बीच आए।

    गौरतलब है कि चिरूडीह नरसंहार 1975 में हुआ था, जिसमें केंद्रीय कोयला मंत्री शिबू सोरेन को आरोपित बनाया गया था।

    21 जुलाई 2004 को इस मामले में अदालत का फैसला आया था, जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने रांची पुलिस के जरिए कई जगह छापेमारी शुरू की थी। बाद में न्यायालय ने सारे मामलों में उन्हें बरी कर दिया था।

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