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    कितने सुरक्षित हैं स्कूल: जम्मू-कश्मीर के सरकारी प्राइमरी स्कूल सलयार में कक्षाएं खुले में या फिर किसी के घर में चलाने को मजबूर शिक्षक

    Updated: Mon, 04 Aug 2025 04:18 PM (IST)

    ऊधमपुर के मोंगरी तहसील में स्थित सरकारी प्राइमरी स्कूल सलयार में बारिश के कारण बच्चों को छुट्टी करनी पड़ती है। स्कूल की चहारदीवारी न होने से इमारत मलबे से भरी है और दीवारों में दरारें हैं। 2017 से यह समस्या बनी हुई है जब बारिश में मलबा कक्षाओं में घुस गया था।

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    डीडीसी पंचैरी के अनुसार, मलबा रोकने के लिए प्रोटेक्शन वाल के निर्माण के लिए 4 लाख रुपये मंजूर किए हैं।

    शेर सिंह, जागरण, ऊधमपुर। जिला मुख्यालय से करीब 60 दूर मोंगरी तहसील में एक ऐसा सरकारी प्राइमरी स्कूल सलयार मौजूद है, जहां बारिश होते ही बच्चों को छुट्टी करनी पड़ती है। पहाड़ से खेत में मलबा गिर जाता है।

    चहारदीवारी ने होने के कारण स्कूल की इमारत मलबे से बदहाल हो चुकी है। दीवारों पर बड़ी -बड़ी दरारें पड़ गई हैं। कमरे भी अंदर मलबे से भरे हुए हैं। दिन प्रतिदिन बच्चों व शिक्षक की परेशानी बढ़ती जा रही है। अभी तक शिक्षा विभाग ने स्कूल की इमारत की मरम्मत व बार बार मलबा आने से रोकने के लिए कोई योजना तैयार नहीं की है। वहीं बच्चों के अभिभावक अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है।

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    गत आठ वर्ष से विद्यार्थी जरूरत अनुसार इमारत की सुविधा को तरस रहे हैं। वर्ष 2017 में बरसात के मौसम में जब बच्चे अपनी कक्षाओं में पढ़ रहे तो बारिश के दौरान अचानक ही पहाड़ी से मलबा स्कूल के पास पहुंचा और खिड़कियों से कक्षाओं में अंदर चला गया। मजबूरन शिक्षकों ने स्कूल को खाली करवाया और बच्चों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।

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    इसके बाद हर बार यही समस्या सामने आने लगी। जब भी तेज बारिश होती तो पहाड़ी से मलबा स्कूल के अंदर पहुंच जाता और मजबूरन बच्चों को बाहर निकालना पड़ता। आठ वर्ष से स्कूल में यही हालात बन रहे हैं और शिक्षक व बच्चे परेशानियों का सामना करने को मजबूर है।

    कुछ सप्ताह पहले जब बरसात शुरू हुई तो पहाड़ से मलबा इमारत में चला गया। अब स्कूल खुले में या फिर किसी के घर एक कमरे में चलाया जा रहा है। शिक्षक बहुत ही मिन्नत करके किसी से बच्चों के लिए बैठने के लिए स्थान मांगता है। जब कोई स्थान नहीं देता है तो बारिश होने पर बच्चों को छुट्टी दे दी जाती है। इसी से अंदाजा लगाया जा रहा है कि किस प्रकार बच्चों को गुणवत्ता भरी शिक्षा मिल सकेगी।

    वर्ष 2004 में खुला स्कूल और 2008 में बनी इमारत

    सरकारी प्राइमरी स्कूल सलयार 2004 में खुला था। इसको किराए के कमरे में शुरू किया गया। चार वर्ष तक स्कूल किराए के कमरे में चलता और 2008 में बच्चों को अपनी इमारत नसीब हुई। इसके बाद 2016 तक बच्चे बिना किसी परेशानी के शिक्षा हासिल करते रहे। 2017 में बरसात के मौसम में अचानक से पहाड़ से मलबा व पानी स्कूल के अंदर पहुंचा और फिर आज तक यह परेशानी सामने आ रही है।

    स्कूल में नहीं है चहारदीवारी

    वर्ष 2008 में जब स्कूल की अपने इमारत बनी थी तो चार दिवारी नहीं बनाई गई और आज तक चहरदीवारी नहीं बन पाई है। अगर चहरदीवारी बनाई होती तो हो सकता है कि पहाड़ से मलबा चार दिवारी की बजह से रुक जाता और बच्चों को स्कूल से बाहर नहीं जाना पड़ता। हालांकि अच्छी बात यह है कि स्कूल में बिजली, पानी और शौचालय की सुविधा मौजूद है।

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    जब वर्ष 2017 में पहली बार स्कूल की इमारत में मलबा घुसा था तो उसी समय शिक्षा विभाग ने इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए था। लेकिन बहुत ही अफसोस की बात है कि आज तक इस समस्या का समाधान निकालने के लिए शिक्षा विभाग ने काम नहीं किया है। शिक्षा विभाग को बच्चों की सुरक्षा की कोई चिंता नहीं है। वरिंद्र सिंह, स्थानीय ग्रामीण

    शिक्षा विभाग को इस समस्या की तरफ विशेष तौर पर ध्यान देना चाहिए। बच्चे बहुत ही उम्मीद के साथ स्कूल जाते हैं और जब स्कूल में बैठने के लिए स्थान भी नहीं मिलेता तो कैसे गुणवत्ता भरी शिक्षा मिल सकेगी। शिक्षा विभाग ने कई बार स्कूल का दौरा कर इस समस्या को देखा है, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं किया है। मोहर सिंह, स्थानीय ग्रामीण

    अपने कार्यकाल में कई बार स्कूल की इमारत की समस्या को शिक्षा विभाग व प्रशासन के समक्ष रखा है। लेकिन आज तक इसका कोई समाधान नहीं निकाला गया है। मौजूदा समय में तो स्कूल के इमारत की हालत बहुत ज्यादा खराब हो चुकी ह। अब तो बच्चे भी इमारत में सुरक्षित नहीं रह सकते हैं। शिक्षा विभाग ने तो कुछ किया नहीं है, लेकिन जिला प्रशासन को इस तरफ ध्यान देना चाहिए। हंस राज ठाकुर, पूर्व सरपंच पंचायत दमनोत

    स्कूल में बार बार मलबा पहुंचने का कारण पहाड़ पर भूस्खलन होना है। जिला प्रशासन के सहयोग से मलबे को रोकने के लिए प्रोटेक्शन वाल का निर्माण करवाने के लिए 4 लाख रुपये मंजूर करवा दिए गए है। अगर प्रोटेक्शन वाल बन जाएगी तो मलबा स्कूल के अंदर नहीं आएगा और इमारत को भी नुकसान नहीं होगा। मौजूद समय में बच्चे व शिक्षक बहुत अधिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं। जसवीर सिंह, डीडीसी पंचैरी-मोंगरी

    मैंने कई बार स्कूल की इस हालत के बारे में उच्च अधिकारियों को बताया है और अधिकारियों की तरफ से मुझे कई आश्वसन मिले हैं। मैं अपनी तरफ से बच्चों को मौजूदा हालात के बीच गुणवत्ता भरी शिक्षा देने का हर संभव प्रयास कर रहा हुं। डीडीसी पंचैरी ने मुझे बताया कि प्रोटेक्शन वाल से पैसा मंजूर हुआ है। अगर यह प्रोटेक्शन वाल बन जाए तो हमारे लिए बड़ी राहत होती। सुरजीत, स्कूल के शिक्षक

    मैंने कुछ दिन पहले ही इंचार्ज जेडईओ पंचैरी का कार्यभार संभाला है। मेरे ध्यान में अभी तक इस स्कूल की समस्या नहीं लाई गई है। अगर इस स्कूल में इतनी अधिक परेशानी बनी हुई है तो प्राथमिकता के साथ इसका समाधान निकालने प्रयास किया जाएगा। संजय पखरु, इंचार्ज जेडईओ पंचैरी 

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