पत्नी ने पति से अमेरिका में लिया था तलाक, फिर 7 महीने बाद भारत में कर दिया दहेज उत्पीड़न का केस; हाईकोर्ट पहुंचा मामला
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में तलाक के सात महीने बाद दर्ज FIR रद्द कर दी। अमेरिका में बसे दंपति ने आपसी सहमति से सारे विवाद सुलझा लिए थे और उन्हें विदेशी अदालत से तलाक भी मिल गया था। अदालत ने कहा कि जब सारे विवाद सुलझ गए तो भारत में आपराधिक कार्रवाई कानून का दुरुपयोग है। अदालत ने FIR को अवैध ठहराते हुए रद कर दिया।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में एक एफआईआर को रद कर दिया है, जो एक विवाहित जोड़े के बीच तलाक के सात महीने बाद दर्ज की गई थी। यह दंपति अमेरिका में रह रहा था और उनके बीच सभी वैवाहिक विवादों का समाधान एक आपसी सहमति से हुआ था।
जस्टिस जसगुरप्रीत सिंह पुरी की एकल पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जब पति-पत्नी के बीच सभी विवाद आपसी सहमति से सुलझा लिए गए हों और विदेशी अदालत से तलाक की डिक्री भी मिल चुकी हो, तो उसके बाद भारत में दर्ज की गई आपराधिक कार्रवाई 'कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग' है।
एफआईआर 14 फरवरी 2020 को बठिंडा की महिला पुलिस थाना में पत्नी के पिता द्वारा दर्ज करवाई गई थी, जिसमें पति और उसके माता-पिता पर दहेज प्रताड़ना के आरोप लगाए गए थे। जबकि दंपती का विवाह 22 दिसंबर 2015 को भारत में हुआ था और उन्होंने 1 फरवरी 2016 को अमेरिका में तलाक की याचिका दायर की थी।
20 जून 2019 को दोनों के बीच एक व्यापक समझौता हुआ जिसमें बच्चों, संपत्ति, वित्त, और स्त्रीधन से संबंधित सभी मामलों को सुलझा लिया गया था। इसके बाद 30 जुलाई 2019 को अमेरिकी अदालत ने तलाक की डिक्री जारी की थी। कोर्ट ने कहा कि पत्नी के परिवार ने एफआईआर दर्ज करवाते समय इस समझौते और तलाक का कोई जिक्र नहीं किया, जो कि एक महत्वपूर्ण तथ्य था।
कोर्ट ने पाया कि एफआईआर दर्ज करवाने का कोई वैध कारण नहीं था और सभी आरोपियों के खिलाफ की गई आपराधिक कार्रवाई को “कानूनी रूप से अवैध” ठहराया। इस मामले में पति और उसके माता-पिता द्वारा एफआईआर को रद्द करने के लिए याचिका दायर की गई थी, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
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