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    "कश्मीर समस्या" का समाधान बंदूक-लाठियों में नहीं, बल्कि कलम-शिक्षा में: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान

    Updated: Sat, 02 Aug 2025 07:29 PM (IST)

    केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि कश्मीर समस्या का समाधान शिक्षा में है बंदूक में नहीं। चिनार पुस्तक महोत्सव में उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति और विकास बहाल हुआ है। कश्मीर ज्ञान ध्यान का केंद्र रहा है और मोदी सरकार इसका खोया गौरव लौटा रही है।

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    लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं बहाल हो रही हैं और गरीब, पिछड़े वर्गों को फायदा मिल रहा है।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को कहा कि "कश्मीर समस्या" का समाधान बंदूक या लाठियों में नहीं, बल्कि कलम में, शिक्षा में है।

    आज यहां शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर एसकेआइसीसी में चिनार पुस्तक महोत्सव-2025 के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कश्मीरी समाज एक शिक्षित समाज है। कश्मीर सदियों से ज्ञान,ध्यान और आध्यात्म का केंद्र रहा है लेकि आतंकवाद ने इसे नष्ट कर दिया था। अब यहां हालात पुन: बेहतर हो रहे हैं।

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    अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पांच अगस्त 2019 को केंद्र द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद, जम्मू-कश्मीर में फिर से शांति और विकास का वातावरण बहाल हुआ है। उन्होंने कहा कि कश्मीर सदियों से ज्ञान ध्यान और आध्यात्म का केंद्र रहा है।

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    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हम एक बार फिर कश्मीर को उसका खोया गौरव लौटा रहे हैं। कश्मीर में एक बार फिर अकादमिक गतिविधियां पूरी तरह बहाल हो चुकी हैं,अब यहां बच्चे गलियों में पत्थर के साथ नहीं बल्कि अपनी कक्षाओं में नजर आते हैं।

    उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं धीरे-धीरे बहाल हो रही हैं।जम्मू-कश्मीर में कई चीजें पहली बार हो रही हैं। गरीब और पिछड़े वर्गों के लिए कई सुविधाएं या कार्यक्रम, या विभिन्न कानून, जो पहले यहां लागू नहीं होते थे, अब अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर के लोगों को लाभान्वित कर रहे हैं। बाद पत्रकारों से बात करते हुए, प्रधान ने कहा कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से पहले, केंद्र शासित प्रदेश में कई वर्षों तक स्थानीय चुनाव नहीं हुए थे।

    "लोगों का जमीनी स्तर पर प्रतिनिधित्व गायब था। अब धीरे-धीरे जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल हो रही है। यहां पहली बार जिला विकास परिषदों का गठन अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बाद ही हआ है।

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    यहां हालात अब सामान्य हो चले हैं। घाटी में पर्यटन क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, स्थानीय व्यवसाय स्थिर हो रहे हैं, और जैसे-जैसे व्यवस्था आगे बढ़ेगी, लोगों का विकास जम्मू-कश्मीर में समृद्धि की ओर ले जाएगा।

    उन्होंने इस अवसर पर बताया कि जम्मू-कश्मीर में पुस्तकालय आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास (एनबीटी) केंद्र शासित प्रदेश में विभिन्न केंद्रीय योजनाओं को लागू करेगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि अगले साल के चिनार महोत्सव तक, जम्मू-कश्मीर की स्थानीय भाषाओं की विभिन्न पुस्तकों का देश की अन्य भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा।

    इसके अतिरिक्त, केंद्रीय मंत्री ने उल्लेख किया कि चिनार पुस्तक महोत्सव को एक स्थायी आयोजन के रूप में स्थापित करने के प्रयास किए जाएँगे। यहां महोत्सव में जिस तरह का माहौल है, उसे देखते हुए कोई भी कह सकता है कि इंटरनेट के प्रचलन के बावजूद, पुस्तकों में अभी भी नई पीढ़ी को जोड़ने की शक्ति है। 

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