अनंतनाग में आवारा कुत्तों ने फिर मचाया आतंक, प्रशासन की लापरवाही बनी लोगों के लिए बड़ी चुनौती
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में कुत्तों का आतंक बढ़ गया है। लाज़बल कादीपोरा जैसे इलाकों में कुत्तों के काटने के मामले बढ़ रहे हैं जिससे लोग डरे हुए हैं। नगर परिषद पर कार्रवाई न करने का आरोप है। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने भी कुत्तों के काटने के मामलों में वृद्धि की पुष्टि की है और रोकथाम पर जोर दिया है।

जागरण संवाददाता, श्रीनगर। दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में कुत्तों का आतंक एक बार फिर बड़ी चिंता का कारण बन गया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां कुत्तों के काटने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। लाज़बल, कादीपोरा, डांगरपोरा और खार बाजार जैसे इलाकों के लोगों ने कहा कि लगभग हर दिन एक या दो लोग आवारा कुत्तों के शिकार हो जाते हैं, लेकिन प्रशासन कोई रोकथाम के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है।
इन इलाकों में आवारा कुत्तों के झुंडों के खुलेआम घूमने से लोगों में, खासकर बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों में डर पैदा हो गया है। अभिभावकों का कहना है कि बार-बार होने वाले हमलों के बाद वे बच्चों को स्कूल या खेलने के लिए बाहर भेजने में हिचकिचाते हैं।
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बच्चों को घर से निकलने में लगता है डर
कादीपोरा के एक स्थानीय निवासी ने मोहम्मद सलीम ने बताया, बच्चे बिना डर के ट्यूशन क्लास नहीं जा सकते। कुत्तों के झुंड उनका पीछा करते हैं और हर दिन काटने की घटनाएं होती रहती हैं।
स्थानीय लोगों ने अनंतनाग नगर परिषद पर बार-बार शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई न करने का आरोप लगाया। लाज़बल के एक दुकानदार जावेद खान ने कहा, हम महीनों से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। समस्या बढ़ती जा रही है, लेकिन नगर पालिका सिर्फ बयान जारी करने तक ही सीमित है।"
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आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ रही है
स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि कूड़े के ढेर और खुले कचरे के ढेर आवारा कुत्तों को आकर्षित कर रहे हैं, जिससे उनकी संख्या बढ़ रही है। उन्होंने प्रशासन से कचरा प्रबंधन में सुधार करने और इस समस्या पर काबू पाने के लिए नसबंदी अभियान शुरू करने का आग्रह किया।
अनंतनाग के सरकारी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने पुष्टि की कि पिछले कुछ हफ्तों में कुत्तों के काटने के मामले बढ़े हैं। अस्पताल के कर्मचारियों ने कहा कि औसतन, हर दिन एक या दो नए मामले सामने आते हैं।
चिकित्सक एंटी-रेबीज का इलाज कर रहे हैं
जिनमें मामूली काटने से लेकर गंभीर चोटें शामिल हैं, जिनके लिए वैक्सिनेशन की आवश्यकता होती है। एक चिकित्सा अधिकारी ने कहा, हम नियमित रूप से एंटी-रेबीज का इलाज कर रहे हैं। लेकिन कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करके रोकथाम ही एकमात्र दीर्घकालिक समाधान है।
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