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    कश्मीरी सेब डिलीवरी के लिए रेलवे की फास्ट-ट्रैक पार्सल सेवा शुरू, उत्पादक बोले-अर्थव्यवस्था को गति, व्यापार में होगा सुधार

    Updated: Sat, 09 Aug 2025 03:30 PM (IST)

    कश्मीर के सेब उत्पादक जल्द शुरू होने वाली सेब ट्रेन पार्सल सेवा से उत्साहित हैं। यह सेवा अर्थव्यवस्था को गति देने के साथ-साथ व्यापार को भी बढ़ावा देगी। दिल्ली के लिए सीधी रेल सेवा से सेबों को ताज़ा बाजारों तक पहुँचाना आसान होगा और नुकसान कम होगा। हिमाचल के सेबों की वजह से कश्मीरी सेबों को नुकसान हुआ है।

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    नई व्यवस्था से बेहतर रिटर्न की उम्मीद है।

    जागरण संवाददाता, श्रीनगर। कश्मीर के सेब उत्पादक आगामी सेब ट्रेन पार्सल सेवा शुरू होने से काफी उत्साहित हैं। उनके अनुसार यह सेवा न सिर्फ अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगी बल्कि व्यापार में भी व्यापक सुधार लाएगी। यानी व्यापार को मजबूत करने में एक मील का पत्थर साबित होगी।

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    कश्मीर से दिल्ली के लिए सीधी रेल सेवा, सेब ट्रेन अगस्त के मध्य में शुरू होने की उम्मीद है। आठ रेफ्रिजरेटेड बोगियों से लैस यह सेवा यह सुनिश्चित करेगी कि घाटी से सेब राष्ट्रीय बाज़ारों तक ताज़ा पहुँचें, जिससे सेबों के खराब होने की संभावना कम होगी और परिवहन लागत में भी उल्लेखनीय कमी आएगी।

    सेब ट्रेन पार्सल सेवा से व्यापारियों को मिलेगा फायदा

    कश्मीर घाटी फल उत्पादक सह विक्रेता संघ के अधयक्ष बशीर अहमद बशीर ने कहा,यह हमारे लिए एक सुखद खबर है। इससे हमारे फल उद्योग को काफी फायदा मिले। पुलवामा के एक उत्पादक गुलाम नबी ने कहा, हमारे सेब ताज़े और तेज़ी से दिल्ली पहुँचेंगे। उन्होंने कहा, पिछले साल हमें लंबी सड़क देरी और फलों के नुकसान का सामना करना पड़ा था। यह रेल संपर्क एक बड़ा बदलाव ला सकता है।

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    गौरतलब है कि इस गर्मी की शुरुआत में, कश्मीर से चेरी को मध्य पूर्वी बाज़ारों में सफलतापूर्वक भेजा गया और रेल द्वारा दिल्ली भी पहुँचाया गया, जिससे एक सकारात्मक मिसाल कायम हुई। सेब ट्रेन को इसी लॉजिस्टिक गति का विस्तार माना जा रहा है।

    हिमाचली सेब के पहले बाजार में आने से कश्मीरी सेब काे हुआ नुकसान

    इस साल, हिमाचल प्रदेश में सेब की फसल जल्दी और भरपूर मात्रा में हुई, जिससे घरेलू बाज़ार कश्मीरी सेब से पहले ही भर गए। विशेषज्ञों का कहना है कि हिमाचली सेबों की जल्दी आवक ने कश्मीर की शुरुआती किस्मों की शुरुआती कीमतों और माँग को प्रभावित किया है।

    सोपोर के एक उत्पादक अब्दुल रजाक ने कहा, हमारे शुरुआती सेबों को अच्छी कीमतें नहीं मिल रही हैं क्योंकि हिमाचली सेब पहले ही दुकानों पर छा चुके हैं। लेकिन हमारे सेबों की गुणवत्ता बेजोड़ है और हमें अधिकतम फसल के दौरान बेहतर रिटर्न की उम्मीद है।

    भारत के कुल सेब उत्पादन में 75% योगदान देता है कश्मीरी सेब

    सेब की खेती कश्मीर की बागवानी अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनी हुई है, जो भारत के कुल सेब उत्पादन में लगभग 75% का योगदान देती है। शोपियां, पुलवामा, बारामूला और अनंतनाग जैसे ज़िले इस उद्योग का केंद्र हैं, जो 35 लाख से ज़्यादा लोगों को रोज़गार देता है और सालाना हज़ारों करोड़ रुपये का राजस्व उत्पन्न करता है। हालाँकि इस उद्योग को लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।

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    जीआई टैगिंग, कोल्ड स्टोरेज विकास जैसी पहलों से सेब उत्पादाकों को मिली राहत

    अनियमित मौसम और खराब भंडारण ढाँचे से लेकर बाज़ार तक पहुँच की समस्याएँ और ऊँची परिवहन लागत तक सेब उत्पाकदों को दिक्कतें पेश आई। बागवानी उत्पाद विपणन एवं प्रसंस्करण निगम (एचपीएमसी) से सहायता, जीआई टैगिंग और कोल्ड स्टोरेज विकास जैसी हालिया पहलों से कुछ राहत मिली है।

    अब आगामी रेल परिवहन व्यवस्था से इन प्रयासों को एक कदम और आगे बढ़ाने की उम्मीद है। बशीर ने कहा, अगस्त और सितंबर को देखते हुए हमें पूरी उम्मीद है कि सही समर्थन और समय पर रसद के साथ,हमारा सेब राष्ट्रीय और वैश्विक, दोनों बाज़ारों में अपनी जगह फिर से हासिल कर सकते हैं।

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