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    लद्दाख में राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची की मांग को लेकर जनांदोलन शुरू, तीन दिवसीय भूख हड़ताल पर बैठे केडीए-एलएबी

    Updated: Sat, 09 Aug 2025 02:43 PM (IST)

    लद्दाख को राज्य का दर्जा दिलाने और छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस और लेक्स एपेक्स बॉडी ने हुसैनी पार्क में तीन दिवसीय भूख हड़ताल शुरू की है। केंद्र सरकार द्वारा वार्ता में देरी से नाराज दोनों संगठन पिछले पांच वर्षों से संयुक्त रूप से आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं।

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    उनकी मुख्य मांगें हैं राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची, जिन पर अभी तक कोई ठोस चर्चा नहीं हुई है।

    डिजिटल डेस्क, लेह। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को राज्य का दर्जा दिलाने और छठी अनुसूची का विस्तार करने सहित चार अन्य मांगों को लेकर जनांदोलन का बिगुल फूंक दिया गया। शनिवार सुबह कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) और लेक्स एपेक्स बॉडी (एलएबी) ने शहर के हुसैनी पार्क में तीन दिवसीय भूख हड़ताल की शुरूआत की।

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    यह आंदोलन ऐसे समय में हो रहा है जब केंद्र सरकार द्वारा अगले दौर की वार्ता में देरी की वजह से दोनों संगठनों के प्रतिनिधियों में नाराजगी भी है।

    केडीए और एलएबी पिछले पांच वर्षों से संयुक्त रूप से इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं। यही नहीं इन मुद्​दों को लेकर ये दल गृह मंत्रालय की उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) के साथ कई दौर की वार्ता भी कर चुके हैं।

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    भूख हड़ताल स्थल पर बैठे केडीए और एलएबी के सदस्यों ने अपने हाथों में मांगों के समर्थन में बैनर लिए हुए हैं, जिनके माध्यम से आम जनता को भी इस आंदोलन का हिस्सा बनने की अपील की गई है। बैनर पर लिखा गया है कि "हम सब मिलकर एक ऐसा भविष्य बना सकते हैं जहां लद्दाख, लद्दाख पर शासन करे।

    लद्दाख को राज्य का दर्जा देने, संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने, लेह और कारगिल क्षेत्रों के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटों और एक लोक सेवा आयोग (पीएससी) की स्थापना के समर्थन में की जा रही इस तीन दिवसीय भूख हड़ताल," में सबका सहयोग जरूरी है।

    केडीए के प्रमुख सदस्यों द्वारा हाथों में 'औपनिवेशिक व्यवहार का अंत करो, लोकतंत्र बहाल करो, राज्य का दर्जा - छठी अनुसूची और मजबूत लद्दाख' लिखी तख्तियां लिए स्थल पर एकत्र हुए और नारे लगाते हुए अपनी तीन दिवसीय भूख हड़ताल की शुरुआत की।

    केडीए के सह-अध्यक्ष असगर अली ने बताया कि "आज भूख हड़ताल हमारी चार मांगों के समर्थन में चल रहे आंदोलन का हिस्सा है। हमने अपनी मांगों के समर्थन में पिछले चार वर्षों में हड़तालें, उपवास, विरोध प्रदर्शन और पैदल मार्च (लद्दाख से दिल्ली तक) किए हैं, जिनमें से कुछ पर केंद्र के साथ चर्चा हुई है, लेकिन कुछ पर अभी चर्चा होनी बाकी है।"

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    उन्होंने बताया कि "और इनमें से हमारी सबसे बुनियादी मांग राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची है।" पिछले चार वर्षों में इन दो बुनियादी मुद्दों पर कोई ठोस चर्चा नहीं हुई है। "और मई में हुई हमारी पिछली चर्चा में, एचपीसी के अध्यक्ष और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और गृह सचिव ने वादा किया था कि अगले महीने से राज्य के दर्जे और छठी अनुसूची पर हमारी चर्चा शुरू होगी।" लेकिन अभी तक कोई चर्चा शुरू नहीं हुई है और हमें लगता है कि वे जानबूझकर इसमें देरी कर रहे हैं।

    उन्होंने कहा कि वार्ता में देरी ने ही उन्हें भूख हड़ताल करने के लिए मजबूर किया है। "हमें चर्चा पर भरोसा था और अब भी है। लेकिन अब वे हमें आंदोलन करने, विरोध करने और लद्दाख बंद करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। आज कारगिल से आंदोलन की शुरूआत हो गई है। यह केडीए और एलएबी का तीन दिवसीय संयुक्त कार्यक्रम है।

    दोनों संगठनों की कोर कमेटी चर्चा करेगी और आगे की रणनीति तैयार करेगी क्योंकि पूरा लद्दाख आंदोलन के लिए तैयार है और अगर सरकार कोई कदम नहीं उठाती है तो यह आंदोलन जारी रहेगा। वहीं केडीए के एक अन्य प्रमुख नेता सज्जाद कारगिली ने आरोप लगाया कि सरकार अगले दौर की बातचीत के अपने वादे को पूरा करने में विफल रही है।

    उन्होंने कहा कि इसलिए एक बार फिर हम शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से विरोध कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि यह संदेश सरकार तक पहुंचेगा। लद्दाख के लोगों के साथ यह औपनिवेशिक व्यवहार समाप्त होना चाहिए। कारगिली ने कहा कि लद्दाख में जल्द से जल्द लोकतंत्र बहाल किया जाना चाहिए और साथ ही संविधान की छठी अनुसूची, जिसका सरकार ने वादा किया था, लागू की जानी चाहिए। 

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