कितने सुरक्षित हैं स्कूल: मासूमों के सिर पर मंडरा रहा खतरा, विभाग खंडहर इमारत से अंजान
सांबा जिले के रामगढ़ में स्थित सरकारी मिडिल स्कूल झंग की जर्जर इमारत खतरे का सबब बनी हुई है। चार दशक पुरानी यह इमारत खंडहर में तब्दील हो चुकी है और कभी भी गिर सकती है। शिक्षा विभाग के आदेश के बावजूद इसे अभी तक तोड़ा नहीं गया है जिससे बच्चों पर हादसे का खतरा मंडरा रहा है।

भूषण कुमार जागरण, रामगढ़। शिक्षा विभाग को सांबा जिले के रामगढ़ में हादसे का इंतजार है। सरकारी मिडिल स्कूल झंग की असुरक्षित घोषित खंडहर इमारत को आदेश के कई माह बाद भी डिस्मेंटल नहीं किया गया है।
इस कारण मिडिल स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के सिर पर हर समय हादसे का अंदेशा बना रहता है। करीब चार दशक पुरानी खंडहर बन चुकी गवर्नमेंट मिडिल स्कूल झंग की इमारत कभी भी गिर सकती है, लेकिन विभाग का इस ओर ध्यान नहीं है। ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
गवर्नमेंट मिडिल स्कूल झंग की इस पुरानी इमारत में कभी कक्षाएं चलती थीं। मरम्मत नहीं होने पर इमारत खंडहर में तब्दील हो गई। चार दशक पहले यह इलाके का एक मात्र स्कूल था, जहां बच्चे पढ़ने आते थे। जैसे-जैसे इमारत खंडहर होती गई, तो वैसे-वैसे बच्चे भी स्कूल छोड़ने लगे।
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हालांकि, बाद में सरकार ने परिसर में अन्य इमारत बनाकर वहां पर कक्षाएं सुचारू तो कर दीं, लेकिन पुरानी इमारत को ध्वस्त करना भूल गया। अब यह पुरानी इमारत इतनी ज्यादा खंडहर हो चुकी है कि कई बार दीवारों से ईंटें खुद ही गिर जाती हैं।
स्कूल में आधी छुट्टी के समय अकसर बच्चे इस इमारत में खेलने पहुंच जाते हैं, जो उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इमारत की हालत इस कदर जर्जर हो चुकी है कि किसी भी समय वह धराशायी होकर गिर सकती है। यही नहीं, जर्जर हुई इमारत की दीवारें, छत पूरी तरह कमजोर पड़ चुकी हैं। खिड़कियां और दरवाजों का कोई नामो निशान नहीं है।
नींव भी हो चुकी है खोखली
बरसात के दिनों में जर्जर हुई स्कूली इमारत के भीतरी हिस्सों में बारिश के पानी का जमावड़ा होने से उसकी नींव भी खोखली पड़ चुकी है। इमारत को गिराने के लिए स्कूल प्रबंधन व स्थानीय विलेज एजुकेशन कमेटी सदस्यों ने शिक्षा विभाग व जिला प्रशासन को अवगत करवाया था। डीसी ने स्कूल का दौरा कर मौजूदा स्थिति का जायजा लिया और खंडहर इमारत को डिस्मेंटल करने के लिए शिक्षा विभाग को आदेश भी दिए थे। लेकिन, कई माह बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
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स्वच्छ पेयजल की स्कूल में उचित व्यवस्था नहीं
सरकारी मिडिल स्कूल झंग में पीने के स्वच्छ पानी की उचित सुविधा न होने से विद्यार्थियों को मजबूरन हैंडपंप का पानी पीना पड़ता है। बता दें कि सीमावर्ती क्षेत्र रामगढ़ के आसपास गांवों में लगे हैंडपंपों का पानी पहले ही पीने योग्य नहीं है। हैंडपंपों के पानी में कई प्रकार के खेतों में पड़ने वाले केमिकल, उर्वरकों का असर कई फीट नीचे जा चुका है। ऐसे में जलशक्ति विभाग की आपूर्ति ही एकमात्र जरिया है। इसके बावजूद मिडिल स्कूल झंग के विद्यार्थियों को आजतक नल की सुविधा नहीं मिली। हालांकि, जल जीवन मिशन के तहत जो नए ट्यूबवैल लगे हैं उसकी लाइन को स्कूल परिसर के बाहर ही रख दिया गया। सप्लाई वक्त-वक्त पर आती है। अगर वह स्कूल के बाहर लगे नल से मिल जाए, तो काम चल जाता है अन्यथा स्कूल परिसर में लगे हैंडपंप का पानी पीकर विद्यार्थी अपनी प्यास बुझाते हैं।
बारिश के दिनों में स्कूल परिसर में हो है जलभराव
बारिश के दौरान स्कूल परिसर में जलभराव हो जाता है। खासतौर पर बरसात के दिनों में स्कूल परिसर में खेतों का पानी दीवारों की नींव के रास्ते घुस जाता है, जिससे स्कूल के प्रवेशद्वार पर पानी का जमावड़ा बना रहता है। हालांकि, स्कूल प्रबंधन ने अपने स्तर पर बारिश व बरसात के दिनों में विद्यार्थियों को सुरक्षित कक्षाओं तक पहुंचने के लिए एक अतिरिक्त रास्ता बनाया है। यह स्थायी समाधान नहीं है।
यूं तो सरकारी मिडिल स्कूल झंग में शिक्षा के प्रसार में कोई कमी नहीं है। मौजूदा बुनियादी ढांचा पूरी तरह पर्याप्त नहीं है। स्कूल परिसर में पुरानी जर्जर इमारत खतरा बन रही है। यह एक ऐसा खतरा है, जो किसी की जिंदगी पर भारी पड़ सकता है।
-पंकु, पूर्व पंच
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प्रशासन को किसी हादसे का इंतजार नहीं करना चाहिए। इस पुरानी इमारत को यहां से जल्द से जल्द हटाना चाहिए। ऐसा न हो कि किसी दिन कोई बड़ा हादसा हो जाए और उसके बाद ही प्रशासन की नींद खुले। यह बहुत गंभीर मामला है।-विभीषण सिंह, पूर्व सरपंच
सरकारी मिडिल स्कूल झंग की जर्जर इमारत को ध्वस्त करवाने के लिए जल्द ही कार्रवाई होगी। इसके लिए स्वयं जायजा लेंगे। पेयजल आपूर्ति और स्कूल परिसर में जलभराव की समस्या को हल करने के लिए भी कार्रवाई की जाएगी।
-केवल कृष्ण, मुख्य शिक्षा अधिकारी, सांबा
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